रूस रेफरेंडम (जनमत संग्रह) हासिल करने के बाद यूक्रेन के 4 हिस्सों- डोनेट्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन और जपोरिजिया को ऑफिशियली अपनी सीमा में मिलाने जा रहा है। आज राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन इसके लिए होने वाले समझौते पर साइन करेंगे।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री एस. पेसकोव ने कहा- यूक्रेन के चार हिस्सों को रूस में मिलाने की तैयारी पूरी हो चुकी है। इन शहरों के हेड क्रेमलिन के सेंट जॉर्ज हॉल में जरूरी डॉक्यूमेंट्स पर साइन करेंगे।
स्पेशल डे की तरह सेलिब्रेट कर रहा रूस
यूक्रेन के चार हिस्सों को रूस में मिलाने के मौके को रूस किसी स्पेशल डे की तरह सेलिब्रेट करने की तैयारी में है। रूस का नेशनल मीडिया आज (30 सितंबर को) होने वाले कार्यक्रम को रेफरेंडम मिलने के जश्न के तौर पर प्रेजेंट कर रहा है।
राष्ट्रपति पुतिन इस मौके पर स्पेशल स्पीच देंगे। इसके लिए मॉस्को के रेड स्क्वायर में होर्डिंग और एक बड़ी वीडियो स्क्रीन लगाई गई है। इस दौरान कई सड़कें बंद रहेंगी। एक खास शो भी तैयार किया गया है, जिसे समझौते पर साइन होने के बाद दिखाया जाएगा।
कब्जे की वजह
- यूक्रेन के इतने लंबे समय तक जंग में टिके रहने की सबसे बड़ी वजह अमेरिका और पश्चिमी देशों का हथियार और आर्थिक समर्थन है। रूस यूक्रेन को मिलने वाले पश्चिमी देशों के समर्थन का शुरू से विरोध करता रहा है।
- अब यूक्रेन के 4 हिस्सों को खुद में मिलाकर रूस पश्चिमी देशों को ये संदेश देना चाहता है कि उसे रोकना मुश्किल है। ऐसा करके रूस ये दावा कर पाएगा कि यूक्रेन उसके क्षेत्र पर हमला कर रहा है और पश्चिमी देशों को भी निशाने पर लिया जा सकता है। 2014 में रूस ने इसी तरह क्रीमिया पर कब्जा जमाया था, जिसका पश्चिमी देशों ने विरोध किया था। इसके बाद भी क्रीमिया पर रूस का ही कब्जा है।
पहले भी ऐसा कर चुका है रूस
- साल 2008 में जॉर्जिया के साथ एक छोटा युद्ध लड़ने के बाद रूस ने जॉर्जिया की दो अलग-अलग टेरिटरी अबकाजिया और दक्षिण ओसेशिया को स्वतंत्रत राज्य के रूप में मान्यता दी थी। इन दो टेरिटरी को रूस ने काफी फंडिंग भी की थी। इसके बाद यहां के लोगों को रूसी नागरिकता दी गई और युवाओं को रूसी सेना में शामिल किया गया।
- 2014 में रेफरेंडम के बाद क्रीमिया को रूस ने खुद में मिला लिया था। उस समय भी पुतिन ने स्पीच दी थी।
रूस के लिए लुहांस्क-डोनेट्स्क अहम
अब सवाल ये उठता है कि आखिर रूस के लिए इन चार हिस्सों पर कब्जा क्यों मायने रखता है। इन 4 हिस्सों का रूस में शामिल होने का मतलब यूक्रेन का आर्थिक रूप से तबाह होना होगा।रूस में शामिल होने के बाद लुहांस्क-डोनेट्स्क मध्य एशिया में US के असर को कमजोर करने का जरिया बनेंगे। दोनों प्रांत NATO के खिलाफ भी पुतिन का हथियार होंगे।
रूस के कदम का विरोध
यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने रेफरेंडम के नाम हो रहे इस ऐनक्सेशन (जबरन विलय) पर सख्त ऐतराज जताते हुए इसकी निंदा की है। जर्मनी की फॉरेन मिनिस्टर एनालेना बेरबॉक ने आरोप लगाया कि रेफरेंडम के लिए लोगों को घरों और ऑफिस में घुसकर धमकी दी गई। ये रेफरेंडम बंदूक की नोक पर मिला है, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के उलट है। रूस ने केवल अशांति फैलाई है।
इस पर रूस ने कहा- हमने पांच दिन (23 सितंबर- 27 सितंबर) तक जनमत संग्रह कराया। इसमें मिले समर्थन के आधार पर हम यूक्रेन के डोनेट्स्क, लुहांस्क, जापोरिजिया और खेरसॉन को अपने देश में मिला रहे हैं। इसके लिए कानूनी तौर पर वोटिंग कराई गई है।
यूक्रेन का दावा जल्द वापस लेंगे अपनी टेरिटरी
यूक्रेन ने क्रेमलिन की घोषणाओं को नजरअंदाज करते हुए जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है। यूक्रेन की सेना ने कहा है कि वो आने वाले कुछ दिनाें में अपने नॉर्थ-ईस्ट के क्षेत्रों को रूस के कब्जे से छुड़वा लेगी। डोनेट्स्कऔर लुहांस्क को स्वतंत्र कराने की बात यूक्रेन सेना की ओर से की गई है।