IIT-BHU के वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सिस्टम यानी AI बेस्ड स्मेल डिवाइस तैयार किया है। इसका नाम पवन संतरी है। यह हर तरह की स्मेल की जानकारी आपको फोन में ही दे देगा। आप कूकर में खाना चढ़ाकर घर से बाहर चले गए हैं, तो उसके पक जाने के बाद आप अपने लोकेशन से ही गैस को बंद कर सकते हैं। 14 से ज्यादा विषैली गैसों और फल-सब्जियों में हो रही केमिकल मिलावट का खुलासा भी यह डिवाइस करेगी।
यह दुनिया का सबसे एडवांस एयर गार्ड सिस्टम बताया जा रहा है। विदेशों में पूरी तरह से AI बेस्ड डिवाइस नहीं बनाई गई है। वहीं ओपन मार्केट से 20-50 गुना सस्ता भी रहेगा। बाजार में 5-20 लाख रुपए तक इस डिवाइस की कॉस्ट आएगी। मगर IIT ने इसे महज 10 हजार रुपए में तैयार कर लिया है। यह ऐक्सपैरिमैंट IIT-BHU में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के साइंटिस्ट डॉ. एनएस राजपूत ने किया है।
डिवाइस यह सूचना चार तरह से बताएगा…
- लोकल डिस्प्ले
- आपके फोन पर क्लाउड द्वारा
- मेल करके
- ब्लूटूथ कनेक्ट करके
आगे 8 पॉइंट के बारे में डिटेल बताएंगे कि AI बेस्ड पवन संतरी किन चीजों पर नजर रखेगा…
1. घर की हवा स्वच्छ है या नहीं, डिवाइस बताएगी
एनएस राजपूत ने कहा, ‘यह घर की हवा और गैस लीकेज ही नहीं, बल्कि वहां सड़-पक रहे खाना की स्मेल डिटेक्ट कर सकता है। घर की हवा स्वच्छ है या कोई कमी है, तो उसे पहचान कर अलर्ट करेगा। अगरबत्ती का धुआं और उसके नुकसान पहुंचाने वाले प्रदूषक तत्वों, फुलवारी में कितने फूल खिले हैं और सार्वजनिक स्थानों पर बीड़ी-सिगरेट पीने वालों पर पैनी नजर रख सकता है।’
2. आप बाहर होंगे तो बंद कर सकेंगे गैस
आप कूकर में दाल-चावल चढ़ाकर घर से बाहर निकल गए हैं, तो उसके पक जाने के बाद आप अपने लोकेशन से ही गैस को बंद कर सकते हैं। क्योंकि, खाना पकने के बाद कूकर सीटी देगा, जिसकी महक सूंघकर डिवाइस आपको सूचित करेगी। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सिस्टम की मदद से आप अपने मोबाइल एप द्वारा गैस की स्विच ऑफ कर सकते हैं। इसके लिए आपके चूल्हे में एक AI डिवाइस लगानी होगी।
3. बाजार में बिक रही मीट-मछली बासी है या ताजी
बाजार में बिक रही मीट-मछली, सब्जी, फल और अन्य फूड प्रोडक्ट्स कितने पुराने हैं। इसकी जानकारी देगा। दरअसल, मछली मर जाती है तो उसके अंदर बैक्टीरिया ग्रो करने लगता है। उस बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए यदि फार्मेलिन या केमिकल मिलाया गया है तो उसे सूंघकर रीडिंग आपके फोन में देगा। वहीं, फलों को एथीलीन से पकाया गया है या नेचुरल हैं, यह भी बताएगा।
4. गाड़ी का इंजन खराब होने से पहले करेगी सूचित
गाड़ी का इंजन खराब हो रहा है, तो सबसे पहले उसके धुएं की क्वालिटी खराब होती है। यह डिवाइस धुएं को डिटेक्ट करेगी। आपके इंजन को खराब होने से पहले ही बता देगी। इस डिवाइस को कार या बाइक के साइलेंसर पर लगाना होगा। वहीं, आपको कितने दिन में मोबिल पलटवाना है, इसका भी अलर्ट देगा।
5. पब्लिक प्लेस पर धुआं करने वालों पर नजर
पब्लिक प्लेस या ट्रेन, बस में कोई बीड़ी-सिगरेट पी रहा होगा तो सुरक्षा अधिकारियों को तत्काल उनके फोन में यह जानकारी दे देगा। यह बताएगा कि उस कोच में कहां से धुआं की महक आ रही है। क्योंकि अलार्म सिस्टम में स्मोकिंग करने वाला व्यक्ति सावधान हो जाता है या पकड़ में नहीं आता। इस डिवाइस में ऐसा नहीं है
6. हॉस्पिटल की हाइजिन का भी रखेगी ख्याल
हॉस्पिटल में हाइजिन का भी ख्याल डिवाइस रख सकेगी। जिस लिक्विड से हॉस्पिटल के फर्श पर पोछा लगाया जा रहा है, यह डिवाइस उसे भी सूंघकर डाटा यूजर को भेज सकती है। यदि स्वीपर ने जरूरत से कम या ज्यादा लिक्विड का प्रयोग किया तो यह उसके वैरिएशन को भी बताएगी। क्योंकि साफ-सफाई का इंफेक्शन से डायरेक्ट कनेक्शन होता है। इस तरह से अस्पताल का मैनेजमेंट जान सकेगा कि इस दिन स्वीपर ने कम लिक्विड का इस्तेमाल किया और इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।
7. सब्जी ऑर्गेनिक है या इन ऑर्गेनिक
आजकल ऑर्गेनिक सब्जी बताकर पब्लिक को ठगा जा रहा है। आप इस डिवाइस को सब्जी के पास लगाकर चेक कर सकते हैं। यह डिवाइस बताएगी कि सब्जी में किस-किस और कितना केमिकल इस्तेमाल किया गया है।
8. अगरबत्ती सूंघकर कंपनी बता देगा
आपने पूजा के लिए किस कंपनी का अगरबत्ती जलाया है, उसकी भी जानकारी देगा। इस डिवाइस में 11 तरह की अगरबत्ती के स्मेल का डाटा फीड किया गया है। यदि ज्यादा देर तक अगरबत्ती या धूप बत्ती जल रही है और उससे कितना प्रदूषण हुआ। वहीं, अगरबत्ती में यदि केमिकल मिलाया गया है तो पता लगा सकते हैं।
स्मोक टैक्स लगा सकती है सरकार
सबसे बड़ी बात वाहनों के साइलेंसर और इंडस्ट्रीज की चिमनियों में इस डिवाइस को लगाया जा सकता है। उनसे निकलने वाले धुएं की मात्रा और क्वालिटी को चेक किया जा सकेगा। डिवाइस PM 1, PM 2.5, PM 10 समेत 11 केमिकल प्रदूषकों के बारे में बताएगा। सरकार पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने के लिए स्मोक टैक्स भी लगा सकती है। पर्यावरण से होने वाली तमाम जानलेवा बीमारियों में कमी ला सकते हैं।