तू शाहीं है परवाज है काम तेरा, तिरे सामने आसमां और भी हैं…
– अल्लामा इक़बाल
करिअर फंडा में स्वागत !
उर्दू और फारसी के प्रसिद्ध शायर अल्लामा इकबाल ने जब ये खूबसूरत लाइनें लिखीं तो वे कहना चाहते थे कि तुम एक पक्षी (शाहीं) हो और उड़ना (परवाज) तुम्हारा काम है, और क्या उड़ने वाले के लिए कभी आसमान छोटा पड़ सकता है?
कॉम्पिटिटिव एग्जाम तैयारी के दौरान क्या आप फ्रस्ट्रेशन (निराशा) का शिकार बन जाते हैं? तो सॉल्यूशन आज मिलेगा।
हजारों बच्चों को अनेकों एग्जाम के लिए पढ़ाने के दौरान मैंने समझा है कि फ्रस्ट्रेशन नॉर्मल प्रोसेस है, और इससे अच्छे से निपटा भी जा सकता है।
फ्रस्टेशन क्यों होता है
1) फ्रस्ट्रेशन तब होता है, जब हम यह महसूस करते हैं कि किसी काम का परिणाम उस पर की गई मेहनत की तुलना में कम निकला है, या जैसा हमने उम्मीद की थी, वैसा नहीं निकला है।
2) कई बार फ्रस्ट्रेशन अपनी संतुष्टि के बजाय दूसरे लोगों जैसे हमारे परिवार, दोस्तों आदि की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने पर भी होता है।
3) निराश व्यक्ति यह महसूस करता है कि उसने सारे प्रयास कर के देख लिए हैं, फिर भी मनचाहा नतीजा नहीं निकल रहा। उसे अब सफलता प्राप्त करने कि कोई राह नहीं दिखती और यह बात तनाव बढ़ाती है।
4) वो ये गलत सोचने लगता है कि संसार में अब उसके लिए कुछ भी नहीं बचा। यह एक गंभीर स्थिति है, ऐसे में या तो व्यक्ति हाइपर होकर गुस्से में उबलने लगता है या फिर नर्वस ब्रेकडाउन का शिकार होकर इनएक्टिव और उदास हो जाता है।
फ्रस्ट्रेशन से निपटने के 5 पक्के तरीके
इन 5 पॉइंट्स को पढ़िए, फिर एक शानदार कहानी आ रही है।
1) अपनी स्थिति सच्चाई से स्वीकार करें
बिलकुल भी उल्टा-पुल्टा न सोचते हुए, जो सच है, उसे अपने मन में स्वीकार कर लें। हम दुनिया से झूठ बोल सकते हैं, खुद से नहीं। और जब तक सच से सामना हम ही नहीं करेंगे, तब तक किसी भी तरह हम प्रॉब्लम को सॉल्व करने तक नहीं पहुंचेंगे। इस स्टेप को फॉलो करने के बाद आप आगे बढ़ सकते हैं।
2) एकांत चिंतन और जीवन एनालिसिस
मेरे हिसाब से स्टेप नंबर दो में अब कुछ समय के लिए एकांतवास ले लीजिए। घर से दूर किसी शांत स्थान पर कुछ घंटो या दिनों के लिए एकांतवास करें। ऐसा संभव ना हो तो घर के किसी कमरे में एकांतवास किया जा सकता है। सभी चीजों से मुक्त हो, अपने लिए आपकी अपेक्षाएं, दूसरों की आपसे अपेक्षाएं, सब चीजों को साइड में रखें। धीरे-धीरे अपने जीवन को एनालाइज करें। और मुस्कुराते रहें।
A. आपने किस परिवार में जन्म लिया, क्या ये आपके हाथ में था, नहीं!
B. जो भी रिश्ते बेसिक लेवल पर आपको मिले हैं, जैसे माता-पिता, भाई-बहन आदि क्या आपने चुने, नहीं!
C. आपकी ग्रोथ के सबसे बेसिक साल (जीवन के शुरू के 10-12 साल) क्या आपके हाथ में थे यानी क्या कोई भी उस समय अपने लिए निर्णय ले सकता है क्या? नहीं!
D. कैसे आपके सबसे अच्छे दोस्तों से आपकी दोस्ती हुई। दुनिया आपसे क्या चाहती है? आप क्या चाहते हैं?
3) एबिलिटी ड्रीम्स मिसमैच
अब ये सोचें कि कहीं आपकी एबिलिटी, और आपके ड्रीम्स में कोई सामंजस्य है, या नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं कि आप जिस उड़ान की सोच रहे हैं, उसके लिए पंख ही नहीं विकसित हुए? तो उड़ान कैसे भरेंगे?
4) सफल लोगों का विश्लेषण
जो सफल हो गए, जिनसे तुलना कर करके आप दुखी हो रहे हैं, वे सफल कैसे हुए? जलन और ईर्ष्या को साइड में रखकर, सोचिए। दिमाग खुल जाएगा और चेहरे पर मुस्कान आ जाएगी।
5) आगे के दिनों के लिए निश्चय
अंत में, अपने आप से कहिए, आने वाला कल अलग होगा। आने वाला कल अलग होगा। आने वाला कल अलग होगा।
अब आंखें खोल देने वाली कहानी
1) तितली का कुकून: एक बार एक आदमी को अपने गार्डन में तितली का कुकून दिखाई पड़ा। वह उसे रोज देखने लगा। एक दिन उसने पाया कि कुकून में एक छोटा छेद बन गया है और तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही है। बहुत देर प्रयास करने के बाद भी वो निकल नहीं पाई और फिर बिलकुल शांत हो गयी, मानो उसने हार मान ली हो!
2) मैं मदद करूंगा: उस आदमी ने निश्चय किया कि वो उस तितली की मदद करेगा। उसने एक कैंची उठाई और कुकून की ओपनिंग को इतना बड़ा कर दिया कि वो तितली आसानी से बाहर निकल सके। तितली बिना किसी और संघर्ष के आसानी से बाहर निकल आई, पर उसका शरीर सूजा और पंख सूखे हुए थे।
3) अरे उड़ क्यों नहीं रही: वो आदमी तितली को ये सोचकर देखता रहा कि वो किसी भी वक्त अपने पंख फैला कर उड़ने लगेगी, पर ऐसा हुआ नहीं! वो तितली कभी उड़ ही नहीं पाई और अपनी बाकी जिंदगी इधर-उधर घिसटते हुए मर गई।
4) प्रकृति का नियम मत तोड़ो: वो आदमी अपनी दया और जल्दबाजी में ये नहीं समझ पाया कि दरअसल कुकून से निकलने की प्रक्रिया को प्रकृति ने कठिन इसलिए बनाया ताकि ऐसा करने से तितली के शरीर में मौजूद तरल उसके पंखों में पहुच सके, और वो छेद से बाहर निकलते ही तुरंत उड़ सके!
5) संघर्ष ही सफलता: वास्तव में कभी-कभी हमारे जीवन में संघर्ष ही वो चीज है जिसकी हमें आवश्यकता होती है, क्योंकि बिना स्ट्रगल के सब कुछ पाने लगें तो हम भी एक अपंग के सामान हो जाएंगे।