कोर्ट ने फैसला:किशोरी के साथ दुष्कर्म की घटना छिपाने व पुलिस को सूचना दिए बिना जन्मी बच्ची का इलाज करने वाले डॉक्टर समेत सात को सजा

दुष्कर्म की शिकार किशोरी की जन्मी बच्ची का इलाज करना एक डाॅक्टर को महंगा पड़ गया। पुलिस को सूचना न देने पर कोर्ट ने डॉक्टर समेत सात लोगों को सजा सुनाई है। इनमें दुष्कर्मी भी शामिल है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जैसमीन शर्मा की कोर्ट ने दुष्कर्मी शंकर को 20 साल की, डॉक्टर और उसके एक सहयोगी व दाई को 5-5 साल की सजा सुनाई है।

इस पूरी घटना का खुलासा तब हुआ, जब बच्ची को निजी अस्पताल से बीके अस्पताल रेफर किया गया। बीके अस्पताल के डॉक्टरों ने जब बच्ची के माता पिता के बारे में जानकारी की तब पता चला कि जिस मां ने बच्ची को जन्म दिया है, वह दुष्कर्म की शिकार हुई है। इसके बाद एनआईटी पुलिस ने केस दर्ज किया था।

लीगल सेल के एडवोकेट रविंद्र गुप्ता ने बताया कि मूलरूप से बिहार की रहने वाली किशोरी(14) अपने परिवार के साथ यहां संजय कॉलोनी एनआईटी में रहती थी। दो भाई व तीन बहनों मंे यह सबसे छोटी थी। इसके पिता निजी कंपनी में नौकरी करते हैं जबकि मां घरों में काम करती है। किशोरी के पड़ोस में ही पेइंग गेस्ट हाउस चलता है। यूपी के गाजीपुर निवासी शंकर वहां खाना बनाता था। पीजी से बच्चों के जाने के बाद वह किशाेरी को बुलाकर दुष्कर्म करता था। कुछ दिन बाद किशोरी अपने गांव चली गई।

शारीरिक बदलाव होने पर मां को पता चला

एडवोकेट रविंद्र गुप्ता ने बताया कि गांव से वापस आने के बाद जब किशोरी का पेट बढ़ा हुआ दिखाई दिया तो उसने बेटी से पूछताछ की। बेटी ने पूरी घटना बयां कर दी। फिर उसे डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने उसे गर्भवती होने की जानकारी दी। लेकिन लोकलाज के डर से मां से न ताे किसी से बताई और न ही पुलिस को सूचना दी।

घटना को छिपाने में तीन महिलाएं भी शामिल

गुप्ता ने बताया कि पीड़िता की मां ने सेक्टर 55 निवासी लक्ष्मी नामक महिला से बेटी के गर्भवती होने के बारे में चर्चा की। लक्ष्मी ने अपनी बेटी जयंती को बताई। जयंती ने अपनी सहेली राजरानी से चर्चा की। राजरानी बच्चा गोद लेना चाहती थी। तीनों ने सहमति बनाकर किशोरी को अपने साथ पलवल ले गई। 17 फरवरी 2018 को जब किशोरी को दर्द उठा तो राजरानी उसे फरीदाबाद के किसी छोटे क्लीनिक में दिखाया। वहां किशोरी ने बच्ची को जन्म दिया। लेकिन वह रोई नहीं। बच्ची को जन्म देने के बाद किशोरी अपनी मां के साथ चली गई। राजरानी बच्ची को विनायक अस्पताल में दिखाया। वहां डॉक्टर प्रभांसू ने देखा और बीके अस्पताल के लिए रेफर कर दिया।

बीके अस्पताल में खुली घटना की पोल

राजरानी बच्ची को लेकर बीके अस्पताल पहुंची। अस्पताल में डॉक्टरों ने जब बच्ची के मां बाप के बारे में पूछा तो रेप पीड़िता काे अस्पताल बुलाया गया। उसके आने के बाद पूरी घटना का खुलासा हुआ। अस्पताल के डॉक्टरों ने पुलिस को सूचना दी। जिस पर एनआईटी पुलिस ने केस दर्ज किया। शुक्रवार को इस केस की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जैसमीन शर्मा की कोर्ट ने दुष्कर्मी शंकर को 20 साल व 40 हजार रुपए जुुर्माना, महिला आरोपी लक्ष्मी, जयंती व राजरानी को दो दो साल की सजा व 6-6 हजार रुपए जुर्माना, जबकि विनायक अस्पताल के डॉक्टर प्रभांसू, अस्पतालकर्मी प्रमोद और दाई रमला सरकार को 5-5 साल की सजा और जुर्माने की सजा सुनाई है।