RSS चीफ मोहन भागवत के वर्ण व्यवस्था खत्म करने और पूर्वजों की गलतियों वाला बयान देने के ठीक अगले दिन कानपुर में वाल्मीकि जयंती के कार्यक्रम में पहुंचे। उन्होंने अपने 24 मिनट के भाषण में 26 बार भगवान वाल्मीकि या फिर वाल्मीकि शब्द का संबोधन किया। इतना ही नहीं उन्होंने वाल्मीकि समाज को सीधे संघ की शाखा से जुड़ने का न्योता दिया। इससे साफ है कि संघ अब अपने काडर में दलितों की मजबूत भागीदारी करना चाहता है। चुनावी गणितज्ञ दलित प्रेम को लोकसभा चुनाव की रणनीति से भी जोड़कर देख रहे हैं।
दलितों को संघ के काडर में लाने की कोशिश
कानपुर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति का केंद्र बिंदु है। यहां से पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड दोनों सीधा जुड़ते हैं और यहां दलितों और पिछड़ी जातियों की बड़ी आबादी है, जो BJP का बड़ा वोटबैंक है। अब RSS इन दलितों को जोड़कर उन्हें अपने काडर में लाकर खड़ा करना चाहती है। वाल्मीकि जयंती पर फूलबाग में हुए कार्यक्रम में सर संघचालक मोहन भागवत ने सीधे तौर पर कहा कि वाल्मीकि समाज के लोग शाखा के कार्यकर्ताओं से दोस्ती करें। जो भी संभव है, किया जाएगा। RSS अपनी पूरी ताकत से दलित और वाल्मीकि समाज के साथ है।
मोहन भागवत ने 24 मिनट के भाषण में 26 बार वाल्मीकि शब्द का संबोधन किया। RSS अपने काडर में अब दलितों को लाने की पूरी कोशिश कर रही है। RSS या BJP का ये दलितों या वाल्मीकि समाज पर बड़ा दांव माना जा रहा है।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब संघ प्रमुख चुनाव यानी निकाय चुनाव से पहले कानपुर प्रवास पर आए हैं। इससे पहले 2017-2019 और 2022 के चुनाव से पहले भागवत कानपुर प्रवास पर आए थे। संघ के बड़े पदाधिकारियों के साथ मंथन किया था।
संविधान तो बना, लेकिन अभी तक मन नहीं बदला: भागवत
भागवत ने कहा कि वाल्मीकि समाज दुर्बल है। संविधान में व्यवस्था कर दी गई है, ताकि समाज आगे आए। राजा देख रहा है कि कानून चल रहा है, लेकिन समाज में अपनापन नहीं है तो लाभ नहीं होगा। डॉ. आंबेडकर ने भी बताया था कि अब लोग पिछड़े नहीं रहेंगे। जिन छुआ नहीं जाता, वे बराबरी से बैठेंगे, लेकिन मन बदलना होता है। राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता को मिल गई, लेकिन सामाजिक स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। संघ का प्रयास है कि समरसता बढ़े। संघ अपनी पूरी ताकत से वाल्मीकि समाज के साथ है। शाखा के कार्यकर्ताओं से दोस्ती करिए। संघ दलित और वाल्मीकि समाज के लिए हर संभव प्रयास करेगा।