अब आवाज से बीमारी का पता चलेगा:धीमी टोन पर पार्किंसन, अटक कर बोलने पर लकवे का खतरा

किसी भी बीमारी का पता लगाने के लिए ब्लड, सीटी स्कैन या दूसरी तरह की जांच करानी पड़ती है, लेकिन पहली बार बोलने से बीमारी का पता लगाने की तैयारी की गई है। दरअसल, अमेरिका की फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के हेल्थ वॉइस सेंटर ने हाल ही में एक स्टडी की है। इसमें करीब 30 हजार प्रकार की आवाजों का एक डेटाबेस तैयार किया गया है।

अटक कर बोलना पैरालिसिस का संकेत हो सकता है

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) बेस्ड इस टूल का इस्तेमाल अल्जाइमर से लेकर कैंसर तक का पता लगाने के लिए किया जा सकेगा। स्टडी में शामिल प्रोफेसर येल बेनसोयूसन ने बताया कि ऐसा व्यक्ति जिसकी आवाज धीमी हो और पिच टोन लो होती जाए, वह पार्किंसन डिसीज से पीड़ित हो सकता है। इसी तरह आवाज में अचानक भारीपन होने पर स्ट्रोक का जोखिम हो सकता है। अटक-अटककर बोलना पैरालिसिस होने का संकेत हो सकता है। इसी तरह अन्य आवाजों के आधार पर बीमारियों की पहचान हो सकेगी। इसकी जांच के लिए लोगों को ऐप पर दी गई लाइंस को पढ़ना होगा।

दूसरी तरफ, बड़ी टेक कंपनियां भी इस बारे में तेजी से काम कर रही हैं। वॉइस असिस्टेंट तैयार किया जा रहा है। जैसे अमेजन का एलेक्सा आवाज में बदलाव होने पर मैसेज देगी कि आपकाे सर्दी या जुकाम है या किसी डॉक्टर से परामर्श लेने का सुझाव भी दे सकती है। ऐसा होने से कई बार आपको किसी बड़ी बीमारी की जानकारी पहले ही मिल जाएगी, जिसके चलते सही वक्त पर इलाज करा सकेंगे।

5 क्षेत्रों में आवाज के सैंपल लिए ताकि पहचान आसान हो

शोधकर्तओं की टीम ने 5 क्षेत्रों में आवाज के सैंपल एकत्र किए हैं। इसमें तंत्रिका संबंधी, आवाज संबंधी, मनोदशा संबंधी, श्वसन संबंधी और आत्मकेंद्रित और बच्चों में बोलने को लेकर हिचकिचाहट भी शामिल है। ताकि बीमारियों की आसानी से पहचान हो सके।