UP के 6 जिलों में बाढ़ का सबसे बड़ा कहर:नाव पर जुगाड़ से बन रहा खाना, दो दिन से भूखे बाढ़ पीड़ित पहुंच रहे राहत केंद्रों पर

उत्तर प्रदेश में बाढ़ से ग्रामीण इलाकों में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। इस बार बाढ़ अक्टूबर में भी कहर बरपा रही है। यूपी के अवध का अधिकांश इलाका बाढ़ से घिरा हुआ है। यूपी के 18 जिलों में 1500 गांव की 25 लाख की आबादी प्रभावित है। इनमें बाढ़ का सर्वाधिक प्रभाव बाराबंकी, सिद्धार्थनगर, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा और लखीमपुर में देखने काे मिल रहा है।

सबसे पहले आपको हम ले चलते हैं बाराबंकी, जहां भूखे हैं बाढ़ पीड़ित

बाराबंकी का तिलवारी गांव…यहां गांव तक जाने के लिए सिर्फ नाव का ही सहारा है। गांव वाले बताते हैं कि यह गांव घाघरा से सिर्फ 200 मीटर ही दूर है। हर बार बाढ़ आती है लेकिन इस बार बाढ़ ने तोड़ कर रख दिया है। किसानों की फसल चाहे धान हो या गन्ना सब पानी में बर्बाद हो चुका है। जबकि बच्चों का पेट भरने के लिए भी बड़े जतन करने पड़ रहे हैं। घुटनों तक पानी में खड़े गांव के बुजुर्ग रामफल बताते हैं, गांव में पहली बार इतना पानी आया है। इससे पहले कहीं न कहीं थोड़ी बहुत जमीन रहती थी। जिसपर खाना बन सकता था। अबकी बार वह भी नसीब नहीं हुई। कल से भूखे पेट हैं। गांव वालों से कहता हूं कि चलो पड़ोस के गांव चले क्योंकि अभी पानी कम होने का कोई उपाय नहीं दिख रहा है। लेकिन कोई सुनता नहीं है। यहां सरकारी सहायता भी नहीं आई है।

कुछ दूरी पर ममता और संगीता नाव पर चूल्हा जलाए हुए हैं। तीन तरफ ईंट लगाकर भगौना चढ़ा कर फूंक मार मार आंच तेज करने की कोशिश कर रही हैं। कहती हैं कि घरों में पानी भर गया है। नाव के अलावा कोई जगह नहीं है जिससे बच्चों का पेट भरा जा सके। पानी में जहरीले सांप और कीड़े घूम रहे हैं। कहीं कोई ठिकाना नहीं है। तीन दिनों से कभी खाना बन पा रहा है कभी नहीं बन पा रहा है। क्या करे। योगी जी से गुहार है कि हमें कहीं और थोड़ी सी जमीन देकर इस समस्या से निजात दिलाएं।

यहां से चलते हैं बलरामपुर, जहां 8 लोग बाढ़ में बह गए हैं

यूपी में बाढ़ से बलरामपुर के हालात ही सबसे ज्यादा बिगड़े हुए हैं। यहां बीते तीन से चार दिन में बाढ़ में आठ लोग बह गए हैं। जिसमें से प्रशासन सिर्फ चार के ही शव बरामद कर सका है। अभी चार लोग लापता हैं।बलरामपुर में एसडीआरएफ और एनडीआरएफ बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित जगह पहुंचाने में लगी हुई है।

बलरामपुर के उतरौला तहसील के लगभग 500 गांव में 5 लाख की आबादी प्रभावित है। लगभग 70 से ज्यादा गांव टापू बन चुके हैं। बलरामपुर शहर तक पानी पहुंच गया है। दरअसल, राप्ती नदी में उफान आने से और तटबंध टूट जाने से लगभग 9 साल बाद बलरामपुर में ऐसी बाढ़ देखी जा रही है।

हालात इतने बद्तर है कि बलरामपुर में बाढ़ ग्रस्त गांव अब रूकने लायक नहीं रह गए है। पेरा गांव से निकल कर परिवार के साथ आए राकेश प्रशासन द्वारा बनाए गए राहत शिविर में पहुंचे हैं। कहते हैं कि ऊपर से पानी बरस रहा है। नीचे राप्ती उफनाई हैं। इंसान जाए तो कहां जाए। दो दिन से खाना नहीं नसीब हुआ है। यहां आए हैं तो खाना मिल पाया है।

उनके गांव के ही कैलाश बताते हैं कि जिनके यहां पक्का घर है वह अपनी छत पर मड़ई वगैरह डाल कर रह रहे हैं। वहीं खाना पीना कर रहे हैं। हमारा घर कच्चा है तो तीन दिन से चूल्हा नहीं जला है। प्रशासन की नाव से हम राहत शिविर तक परिवार को लेकर चले आए हैं। बताया जा रहा है कि बलरामपुर में हाइवे पर पानी पहुंच गया है। रेलवे ट्रैक बाधित हो चुके हैं। जिससे ट्रेनों का आवागमन रूक चुका है।

यहां से चलते हैं सिद्धार्थनगर, यहां 4 लोगों का परिवार बह गया था बाढ़ में

राप्ती नदी जहां बलरामपुर में उफान पर है तो वहीं सिद्धार्थनगर में भी तबाही मचाए हुए है। यहां एक दिन पहले रिक्शे पर सवार चार लोगों का परिवार बाढ़ के पानी में बह गया था। फिलहाल अभी तक इनकी खोज नहीं हो पाई है। सिद्धार्थनगर में बाढ़ से 129 गांव प्रभावित बताए जा रहे हैं। लगभग तीन से चार लाख की आबादी प्रभावित है।

यहां इटवा की ओर से नेपाल जाने का संपर्क टूट गया है। नदी के तेज बहाव से खौफ का माहौल बना हुआ है। इस मार्ग पर आवागमन रात से ही बंद कर दिया गया। इटवा चौराहा और बढ़नी की ओर से आ रहे वाहनों का संचालन बंद कर दिया गया है।
बाढ़ के भयावह हालात को देखते हुए जिले में सीएम योगी का दौरा भी प्रस्तावित बताया जा रहा है। बहरहाल, डुमरियागंज तहसील के किसान बाढ़ के साथ साथ प्रशासनिक रवैये से भी हैरान परेशान हैं। उस्का गांव के निहाल सिंह कहते हैं कि जब धान में पानी की जरूरत थी तब पानी नहीं मिला। जब धूप की जरूरत थी तो पानी ही पानी है। अब तो हमारी फसल डूब चुकी है। घर डूबा पड़ा है। गांव से आने जाने में दिक्कत है। नाव न हो तो गांव से बाहर नहीं निकल सकते हैं। जीव जंतुओं का खतर अलग है। अब बस यही चाहते हैं कि प्रशासन आकर कुछ मदद करे।

अब बात गोंडा की, यहां घाघरा ने मचाई है तबाही

गोंडा में कर्नलगंज तहसील में घाघरा ने तबाही मचाई हुई है। यहां गांव में घुटनों तक पानी भरा हुआ है। यहां 110 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। जबकि एक लाख से ज्यादा की आबादी बाढ़ की त्रासदी झेल रही है। यहां नकरहा गांव की रहने वाली बुजुर्ग कलावती बताती हैं, गांव में पानी ही पानी है। न रहने का ठिकाना है न ही खाना बनाने का ठिकाना है। यहां अफसर भी नहीं आते हैं जो हमारी परेशानी देख सकें। हम तो हर साल बाढ़ से जूझते हैं।

वहीं गांव के ही सहजराम कहते हैं कि यहां तीन दिन से हालात खराब हैं। आने जाने का रास्ता बंद हो चुका है। सिर्फ गांव में चारो तरफ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। फसल चौपट हो गई है। कुछ भी नहीं बचा। घर में रखा अनाज भीग कर बर्बाद हो गया है। किसी तरह दिन काट रहे हैं।

बहराइच की तीन तहसीलों के 102 गांवों में घुसा पानी, नेपाल से छोड़ा गया 4 लाख क्यूसेक पानी

बहराइच में महसी, मिहिंपुरवा समेत कैसरगंज तहसील में बाढ़ का पानी बड़ी संख्या में आबादी को प्रभावित कर रहा है। यहां लगभग एक लाख की आबादी प्रभावित बताई जा रही है। बहराइच के बौंडी इलाके में हालात भयावह हैं। थाने में पानी इतना भरा कि ट्रैक्टर पर बैठकर पुलिसवालों को थाने से सुरक्षित स्थान की ओर निकलना पड़ा। फखरपुर इलाके में सामुदायिक केंद्र में पानी भरा है। जिससे मरीजों को आने जाने में दिक्कत हो रही है।

घाघरा नदी के तटवर्ती इलाकों में बसे सैकडों गांव बाढ के पानी से घिर गए हैं। लगातार हो रही झमाझम बारिश से जहां लोग परेशान हैं। वहीं घाघरा नदी का जलस्तर भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है। महसी तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत सिपाहिया हुलास,चरीगाह, चौहानपुरवा,शिवलोचनपुरवा, रामसबदपुरवा,बबुरी,टिकुरी,कायमपुर, मांझा दरिया बुर्द,मंगलपुरवा, नरोत्तमपुर,केवलपुर, पंचदेवरी, गोलागंज, नागेश्वर पुरवा, पिपरी पिपरा, सिलौटा,प्रहलादपुरवा, कुट्टी बाग,तारापुरवा,सहित सैकड़ों गांवों में बाढ का पानी भरा होने से ग्रामीण परेशान हैं।

लखीमपुर में शारदा ने 86 गांव को जलमग्न किया, डेढ़ लाख की आबादी प्रभावित

लखीमपुर की दो तहसील धौरहरा और निघासन में शारदा और घाघरा ने 86 गांव को बाढ़ प्रभावित बना दिया है। यहां गांव के साथ साथ रास्तों पर पानी भर चुका है। हालांकि, लगातार बारिश के बाद बुधवार को दोनों नदियों मे जलस्तर कम तो होना शुरू हुआ लेकिन गांव में घुसे पानी से राहत नहीं मिल पाई है। सबसे ज्यादा धौरहरा तहसील में लगभग 65 गांव में रहन सहन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। धौरहरा तहसील के हालात सबसे ज्यादा खराब हैं।

असौरा गांव का एक परिवार जो बाढ़ से जूझ रहा है। परिवार के बुजुर्ग कहते हैं कि अब कहां चले जाए घर तो यही है। खाना वगैरह बनाने में दिक्कत आती है लेकिन क्या करें। हमारी मजबूरी है। जब तक काट सकेंगे। तब तक काटेंगे। वहीं धौरहरा तहसील में घूम घूम कर राहत सामग्री बांट रहे नायब तहसीलदार शशांक शेखर मिश्रा ने बताया कि तहसील क्षेत्र के 65 गांव बाढ प्रभावित हैं। जिनमें से 37 गांवों में राहत सामग्री वितरण का कार्य चल रहा है। धीरे धीरे कर अन्य सभी गांवों में जल्द ही राहत सामग्री पहुंचाई जाएगी।