हरियाणा के करनाल जिले में जुंडला के बाद अब असंध में CM फ्लाइंग टीम ने धान खरीद में फर्जीवाड़ा पकड़ा है। टीम ने असंध के उपलाना गांव में BG ओवरसीज राइस मिल के गोदाम में 8200 बैग चावल बिहार का पकड़ा।
टीम का नेतृत्व कर रहे DSP अजीत सिंह ने बताया कि कुल 5 राइस मिल, बाला जी, राधे-राधे , BG ओवरसीज, श्री श्याम शामिल में जांच की गई। श्री श्याम राइस मिल में सरकारी धान के भी 5 हजार बैग कम मिले हैं। उन्होने बताया कि अनाज मंडी के आढ़तियों की दुकानों की भी चैकिंग की गई है, जिनमें कुछ आढ़तियों के ऑनलाइन गेट पास में मिस मैच मिला है।
इस तरह से समझें घोटाला
मंडी में जैसे ही धान आती है, इसे कच्ची पर्ची पर आढ़ती खरीदता है। कायदे से धान की बिक्री का जे फार्म काटना चाहिए। इस फार्म पर उल्लेख होता है कि धान की कीमत क्या है? धान सरकारी खरीद में गया या फिर निजी खरीद रही। धान पर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलता है। इसलिए कुछ राइस मिल, आढ़तियों के साथ मिल कर धान को उसके समर्थन मूल्य से 2 से 3 सौ रुपए प्रति क्विंटल ज्यादा का दाम देकर खरीद लेते हैं, पर क्योंकि किसान को कच्ची पर्ची दी जाती है, इसलिए धान की बिक्री को निजी राइस मिल में न दिखा कर सरकारी बिक्री में दिखा देते हैं है। जो ऊपर के पैसे हैं, वह मिल संचालक आढ़ती को नकद दे देते हैं।
तो इसमें गड़बड़ी क्या? किसान को तो MSP से ज्यादा दाम मिला
अब राइस मिलर्स इस धान का सैला बना कर खुले बाजार में 3500 रुपए से लेकर 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर से बेच देगा, पर जो धान उसने MSP से 300 रुपए अधिक दाम पर खरीद, उस पर वह प्रति क्विंटल 800 रुपए से लेकर एक हजार रुपए आसानी से कमा लेगा। दूसरा यदि वह इस धान को निजी खरीद में लेता तो उसे 4 प्रतिशत रेवेन्यू देना पड़ता। सरकारी खरीद होने की वजह से रेवेन्यू से बच गया।
अब यदि धान की सरकारी खरीद हुई तो चावल कहां से आएगा?
बता दें कि इस तरह के मिल संचालक बिहार, UP और राजस्थान से सरकारी योजना के तहत BPL को दिए जाने वाले सस्ते चावल को वहां से खरीद कर दोबारा से FCI को दे देते हैं। BPL का चावल उन्हें बहुत ही सस्ते दाम पर मिल जाता है। इस तरह से बिना कुछ किए, राइस मिलर्स यहां भी 7 से 800 रुपए की काली कमाई कर लेता है। BG ओवरसीज में जो बिहार का धान मिला, वह इसी घोटाले को अंजाम देने के लिए मंगाया गया था।
सरकार को होता जबरदस्त नुकसान
बता दें कि क्योंकि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च करती है। सस्ता राशन भी इसी योजना का हिस्सा है, लेकिन गरीब की थाली में जो निवाला सरकारी मदद से जाना चाहिए था, वह मदद सीधे राइस मिलर्स की जेब में जा रही है।
कौन कौन हो सकते इस गड़बड़ी में शामिल
बताया जा रहा है कि खाद्य आपूर्ति विभाग मंडी कमेटी के किसी ने किसी अधिकारी की मिलीभगत के बिना यह घोटाला संभव ही नहीं है। आढ़ती भी इसमें शामिल रहता है। इस तरह से एक पूरा तंत्र इस भ्रष्टाचार में लिप्त है।
क्या इस पर रोक लग सकती है?
बता दें कि कम से कम जिस तरह से करनाल में एक के बाद एक घोटाला सामने आ रहा है, इससे तो नहीं लगता कि स्थानीय अधिकारी इस पर रोक लगाने की दिशा में कुछ कर पाएंगे। जुंडला में जहां धान खरीद में 12.77 करोड़ का घोटाला हुआ, वहां 2दिन बाद खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी सक्रिय हुए, इंस्पेक्टर गौरव व सब इंस्पेक्टर संदीप कुमार को सस्पेंड किया गया, जबकि कायदे से होना तो यह चाहिए था कि पहले ही दिन उनकी जवाबदेही सुनिश्चित होती।
गुरुवार को ही लिखा था DFSC ने विभाग को पत्र
मिली जानकारी के अनुसार, गुरुवार को ही DFSC अनिल कालड़ा ने जुंडला अनाज मंडी से इंस्पेक्टर गौरव अरोड़ा को हटाया था, जबकि इंस्पेक्टर सहित 3 लोगों के खिलाफ विभाग को कार्रवाई लिए पत्र लिखा था। इस पत्र के बाद हुआ यह कि शुक्रवार देर शाम को इंस्पेक्टर गौरव व सब इंस्पेक्टर संदीप कुमार को विभाग द्वारा सस्पेंड कर दिया और दोनों को मुख्यालय में आने के आदेश जारी कर दिए।
CM फ्लाइंग DSP अजीत सिंह ने बताया कि शुक्रवार को शिकायत के आधार पर असंध की 5 राइस मिलों में छापामारी की गई, जिसमें 2 राइस मिलों में गडबड़ सामने आई थी। बाकी मिलों की अभी जांच चल रही है। दोनों मिलों के मालिकों पर खिलाफ FIR दर्ज करवाने की शिकायत असंध पुलिस को दे दी गई है।