अकबर के शाही निर्माण की कहानी:महिला के आंसू गिरे तो मस्जिद बनवाने का प्लान कैंसिल किया; 30 लाख खर्च करके बनवा दिया शाही पुल

मुगल शासक अकबर का आज ही के दिन यानी 15 अक्टूबर, 1542 को उमरकोट में जन्म हुआ था। उमरकोट अब पाकिस्तान का हिस्सा है। अकबर से जुड़ी तमाम कहानियां आप जानते हैं। उनके सुनियोजित ढंग से बनवाए किले, स्मारक और मस्जिद आज भी मौजूद हैं। उन्होंने जौनपुर में एक पुल भी बनवाया था, जो 455 साल बाद भी उतनी ही मजबूती के साथ मौजूद है।

मस्जिद निर्माण के लिए चंदा इकट्ठा करने पर जोर था
गोमती नदी के बाएं साइड पर शाही किला मौजूद है। इसे 1362 में फिरोजशाह ने बनवाया था। अकबर यहां अक्सर आते रहते थे। जब आते थे, तो उनके साथ मुनीम खान खाना भी मौजूद रहते। मुनीम का फोकस धर्म विस्तार पर अधिक था। इसलिए वह मस्जिद के लिए चंदा इकट्ठा करने का काम करते थे। जौनपुर के अलग-अलग हिस्सों से उन्होंने मस्जिद निर्माण के काफी पैसा इकट्ठा कर लिया।

नौका विहार पर निकले अकबर को रोती हुई औरत ने रोक लिया
गोमती नदी जौनपुर जिले के बीच से गुजरती है। इसलिए इधर से उधर जाने वाले लोग पहले नाव का सहारा लेते थे। 1564 में एक महिला नदी के पार करके सूप बेचने आई थी। उसे वापस लौटने में देरी हो गई। नदी पार करवाने वाली नाव जा चुकी थी। अब महिला के पास कोई विकल्प नहीं था। वह रोते हुए वहीं बैठ गई।

उसी वक्त अकबर अपने मुनीम खान खाना के साथ शाही किले से नौका विहार पर निकले थे। महिला की नजर उन पर पड़ गई। महिला ने तेज-तेज आवाज देना शुरू किया। अकबर का ध्यान गया तो नौका उधर ले चलने को कहा। नजदीक पहुंचे और पूछा, क्या बात है? महिला ने अपनी स्थिति बताते हुए कहा, “मेरे घर पर दो बच्चे हैं, एक बीमार है जिसके लिए मुझे दवा और खाने का सामान लेकर जाना है। लेकिन नाव चली गई। अब मैं नहीं जा सकती।”

अकबर ने कहा, मस्जिद बाद में बनेगी, पहले पुल बनाओ
महिला की बातों को सुनकर अकबर ने मुनीम खान की तरफ देखा। बिना एक मिनट इंतजार किए उन्होंने कहा, “मस्जिद के लिए जो भी चंदा इकट्ठा किया गया है उस पैसे से यहां पुल बनाइए। मस्जिद बाद में बनेगा।” मुनीम खान हैरान हो गए। उन्होंने कहा, “हुजूर, यहां कुंड है जो बहुत गहरा है, ऐसे में यहां पुल बनाना आसान नहीं होगा।” अकबर अपनी जुबान पर कायम रहे। उन्होंने कहा, “जैसा भी हो, यहां पुल का निर्माण करवाया जाए।”

गोमती नदी की दिशा बदलनी पड़ी
अकबर का आदेश था इसलिए पुल बनाना ही था। तय यह हुआ कि पहले गोमती नदी की दिशा बदलनी पड़ेगी। शाही पुल के दक्षिण साइड एक पुल बनाया गया। जिससे नदी का बहाव कम हो गया। 1564 में शाही पुल का निर्माण शुरू हुआ। देश के अलग-अलग हिस्सों से पत्थर मंगाए गए। जानवरों की हड्डियों का चूरा, चूने का पाउडर, वृक्षों की छाल जैसी चीजों का इस्तेमाल करके पुल 10 पिलर खड़े किए गए।

455 साल पहले 30 लाख रुपए हुए थे खर्च
1564 में बनना शुरू हुआ शाही पुल 1567 में बनकर तैयार हो गया। पुल की लंबाई 353 फिट है। पुल की चौड़ाई 26 फिट है। 2 फुट 3 इंच की मुंडेर बना दी गई। इसके निर्माण में उस वक्त 30 लाख रुपए खर्च हुए थे। जब यह पुल बन गया तब ओमनी नाम के एक जिलाधीश हुए थे। उन्होंने इसके ऊपर गुमटियां 28 गुमटियां बना दी। इन गुमटियों में पहले दुकान लगती थी लेकिन लगातार भीड़ बढ़ने और जाम लगने के कारण दुकानों को हटा दिया गया। फिलहाल इस वक्त पुल को मरम्मत की जरूरत है।