महाकाल लोक की वो बातें, जो आपको दिखेंगी नहीं:हर प्रतिमा का एक खास संदेश, ये जीने की राह दिखाते हैं

यानी शिवलिंग के दर्शन करते हैं, तो रोम-रोम शिवकृपा से भर जाता है। हम आनंद से भर जाते हैं और इसी महाकाल वन में अब मानव निर्मित महाकाल लोक स्थापित हो गया है। अनेक प्रतिमाएं हैं, कलाकृतियां हैं, पास में सागर है। इस महाकाल लोक का जब हम भ्रमण करते हैं, तो पर्यटन की दृष्टि से तो बहुत आनंद मिलेगा।

हर कलाकृति, हर मूर्ति के साथ उसका इतिहास लिखा है। उस वर्णन को पढ़कर भी जानकारी बढ़ेगी, लेकिन जैसा आनंद हमने शिवलिंग के दर्शन से प्राप्त किया वह अद्भुत है। इस महाकाल लोक की प्रत्येक प्रतिमा के पीछे जो संदेश है, उसको बहुत बारीकी से समझना चाहिए। केवल सतही स्तर पर हम घूम कर आ जाएं तो लाइट एंड साउंड का प्रभाव पड़ेगा। सुंदर-सुंदर मूर्तियों को देखकर अच्छा भी लगेगा पर हासिल क्या हुआ, इसलिए जब यहां भ्रमण करने आएं, तो प्रत्येक मूर्ति के सामने थोड़ी देर खड़े रहें। उसके निर्माण के सौंदर्य की प्रशंसा करें और साथ ही उसके भीतर से जो संदेश निकल रहा है, उसे भी ग्रहण करें।

यदि इस ढंग से हम महाकाल लोक का दर्शन करेंगे, तो आनंद भी मिलेगा। ठीक वैसा ही आनंद, जैसा हमें शिवलिंग के दर्शन से मिला या मिलता है। शिवलिंग के दर्शन से हम आत्मा तक अभिभूत हो जाते हैं और महाकाल लोक की प्रतिमाओं के शिव लीला के दर्शन से हमारा रोम-रोम झंकृत हो जाएगा। महाकाल लोक है तो अद्भुत। अब यह हमारे ऊपर है कि हम कितना आनंद लेते हैं। ये जो महाकाल लोक है, जिसे कॉरिडोर भी कहा है, यह एक जीने की राह है। अब इस जीने की राह से गुजर कर हम क्या सूत्र लेते हैं, ये हमारे ऊपर है।

पं. विजय शंकर मेहता के बारे में

उज्जैन के त्रिवेणी पर स्थित हनुमान चालीसा ध्यान केंद्र ‘शांतम’ के संस्थापक पं. विजय शंकर मेहता आध्यात्मिक गुरु हैं। वे लंबे समय तक पत्रकारिता क्षेत्र से भी जुड़े रहे हैं। वर्तमान में वे हनुमान चालीसा से मिलने वाली सीख के जरिए जीवन जीने की कला सिखाने और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए मानव सेवा का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

11 अक्टूबर को PM नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक को देश को समर्पित कर दिया, जिसके बाद से बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकाल लोक देखने पहुंच रहे हैं। प्रतिमाओं के सामने लगे क्यूआर कोड स्कैन कर भगवान शिव की महिमा को जान रहे हैं। इसमें मिल रही जानकारी लोगों को पसंद आ रही है।

PM मोदी बोले- ऐसे कैसे हो सकता है कि महाकाल बुलाएं और ये बेटा न आए

जय महाकाल.. ! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर की रात जब उज्जैन में ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के नए परिसर ‘महाकाल लोक’ का लोकार्पण किया, तो चारों ओर इसी जयघोष की गूंज सुनाई दी। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच रक्षा सूत्र (कलावा) बनाए गए 15 फीट ऊंचे शिवलिंग की प्रतिकृति से मोदी ने रिमोट से जैसे अनावरण किया, अध्यात्म का यह नया आंगन आज से सभी के लिए खुल गया।

​​पहले दिन 15000 भक्तों ने निहारे महादेव की लीलाओं के अद्भुत नजारे

महाकाल लोक बहुत ही सुंदर और अद्भुत है। यहां शिव के हर रूप के दर्शन हो रहे हैं। युवा पीढ़ी के लिए सीखने और समझने को यहां बहुत कुछ है। यहां आकर बहुत एक्साइटेड हूं। मंगलवार को लाइव लोकार्पण देखा और आज यहां पर मैं हूं। एक से डेढ़ घंटे घूमने के बाद भी ऐसा फील हो रहा है, जैसे कुछ देख ही नहीं पाई हूं। यह कहना था गुड़गांव से आईं ऋतिका शर्मा का।

पत्नी वियोग में संन्यासी बन गए थे राजा भर्तृहरि

श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के नए दर्शन परिसर ‘महाकाल लोक’ को मंगलवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित कर दिया। ‘महाकाल लोक’ के बनने के बाद यह एकमात्र ऐसा मंदिर बन गया है, जहां श्रद्धालु दर्शन के साथ शिव से जुड़ी हर कहानी जान सकते हैं। उज्जैन का भव्य ‘महाकाल लोक’ अपने आप में अद्भुत है।

पहले ऐसा नहीं था महाकाल मंदिर: मुस्लिम शासकों ने तोड़ा, हिंदू राजाओं ने संवारा

देशभर के 12 ज्योतिर्लिंगों में उज्जैन का महाकाल मंदिर अकेला दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। मंदिर आज जैसा दिखता है, पुराने समय में ऐसा नहीं था। 11वीं सदी में गजनी के सेनापति और 13वीं सदी में दिल्ली के शासक इल्तुतमिश के मंदिर ध्वस्त कराने के बाद कई राजाओं ने इसका दोबारा निर्माण करवाया।

जड़ी-बूटियों से रूद्रसागर को साफ करने की कहानी…

उज्जैन में महाकाल लोक तैयार करने में रूद्रसागर तालाब का गंदा पानी बड़ी चुनौती रही। चुनौती इसलिए भी क्योंकि महाकाल लोक इसी के किनारे है। इस तालाब में 12 हजार घरों का सीवरेज गिरता था। 9 महीने की मेहनत के बाद तालाब का पानी ‘मिनरल वाटर’ की तरह साफ हो गया है।