राजस्थान कांग्रेस में हुए पॉलिटिकल ड्रामे का असर गुजरात चुनावों पर भी दिख रहा है। कांग्रेस के जिन मंत्रियों-विधायकों की ड्यूटी गुजरात चुनावों में लगी हुई थी, उनका सारा ध्यान दिल्ली-जयपुर में केन्द्रित हो गया। ऐसे में वे न तो पर्याप्त समय गुजरात में दे पाए और न ही पूरी क्षमता से काम कर पाए।
सोमवार को देश भर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी हुआ। अब इस चुनाव के परिणाम आने और दीपावली के बीतने के बाद ही गुजरात चुनाव में राजस्थान के कांग्रेस नेताओं की भूमिका प्रभावी ढंग से दिखाई देगी। इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दो दिवसीय दौरे पर सोमवार को गुजरात पहुंचे। वे वहां एक सभा को भी संबोधित करेंगे। वहीं, गुजरात के कांग्रेस प्रभारी डॉ. रघु शर्मा ने भास्कर को बताया कि कांग्रेस पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है और परिणाम कांग्रेस के पक्ष में ही आएगा।
गुजरात में चूंकि राजस्थानी मूल के लोगों की संख्या लगभग एक करोड़ है, ऐसे में राजस्थान की कांग्रेस सरकार और पार्टी पूरी कोशिश कर रही है गुजरात में बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए।
26 लोकसभा क्षेत्रों में प्रदेश के नेताओं की ड्यूटी
गुजरात की 26 लोकसभा सीटों पर अलग-अलग मंत्रियों-विधायकों की ड्यूटी लगाई गई थी। इनमें शिक्षा मंत्री बी. डी. कल्ला को आणंद, राजस्व मंत्री रामलाल जाट को पाटन, अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद को कच्छ, खेल राज्य मंत्री अशोक चांदना को बनासकांठा, विधायक राजकुमार शर्मा को सूरत, आरटीडीसी के चैयरमेन धर्मेन्द्र राठौड़ को अहमदाबाद, सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना को मेहसाणा, उद्योग मंत्री शकुंतला रावत को सुरेन्द्रनगर, खान मंत्री प्रमोद जैन भाया को राजकोट, गृह राज्य मंत्री राजेन्द्र सिंह यादव को जामनगर, सुखराम विश्नोई को अमरेली, ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी को भावनगर, पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा को पंचमहाल, विधायक अमीन कागजी को अहमदाबाद, जल संसाधन मंत्री महेन्द्रजीत मालवीय को दाहोद, पूर्व मंत्री अर्जुन बामणिया को छोटा उदयपुर, प्रशासनिक सुधार राज्य मंत्री गोविंद राम मेघवाल को भरूच की जिम्मेदारी दी हुई है।
अब तक 5-6 मीटिंग हो जानी चाहिए थीं
26 लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस नेताओं को प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से चुनावी तैयारियां करवानी थीं। उन्हें अपनी जिम्मेदारी वाली लोकसभा सीट के तहत आने वाले प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में अब तक लगभग 5-6 बैठकें करनी थी, लेकिन अब तक राजस्थान के नेताओं की एक–दो बार ही बैठक हो सकी है। कुछ नेता तो ऐसे हैं जो जुलाई में जिम्मेदारी मिलने के बाद अब पहली बार गुजरात जाएंगे। प्रत्येक लोकसभा सीट के तहत 7-8 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।
गुजरात में राजस्थानी मूल के मतदाताओं की संख्या काफी
गुजरात की आबादी करीब साढ़े छह करोड़ है। जिनमें से करीब एक करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनकी पारिवारिक जड़ें राजस्थान से हैं। इनमें भी अधिकांश लोग तो ऐसे हैं, जो विगत 40-50 वर्षों में ही राजस्थान से वहां जाकर बसे हैं।
अहमदाबाद, मेहसाणा, बनासकांठा, वड़ोदरा, आणंद, कच्छ, सुरेन्द्रनगर, राजकोट और सूरत में तो राजस्थान मूल के लोगों की आबादी करीब 25 से 50 प्रतिशत तक है। जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर संभाग और शेखावाटी क्षेत्र से वैश्य समुदाय और किसान समुदायों के लाखों परिवार गुजरात में रहते हैं।
मेडिकल और व्यापार के सिलसिले में एक लाख से अधिक राजस्थानी लोग रोजाना गुजरात आते-जाते हैं। ऐसे में यह राजस्थानी समुदाय को लुभाने के लिए हर चुनाव में कांग्रेस और भाजपा राजस्थानी राजनेताओं को गुजरात में प्रचार, दौरे, सभा आदि के लिए भेजती हैं।
भाजपा ने तो गुजरात में वर्ष 2017 में भी राजस्थान के सांसद व केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव को ही चुनाव प्रभारी बनाया था और इस बार भी यादव को ही कमान सौंपी है। कांग्रेस ने पिछली बार अशोक गहलोत और इस बार भी राजस्थान से ही वरिष्ठ नेता डॉ. रघु शर्मा को ही प्रभारी बनाया है।
क्या गहलोत दिखा पाएंगे फिर से करिश्मा?
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पांच वर्ष पहले 2017 गुजरात चुनावों का प्रभारी बनाया गया था। गहलोत ने वहां तब बहुत से गांव-शहरों में उन्होंने दौरे किए थे। अहमदाबाद की गलियों में तो गहलोत ने स्वयं घूम-घूम कर घर-घर जाकर लोगों को कांग्रेस के समर्थन में वोट देने की अपील के पर्चे भी बांटे थे। उन चुनावों में भाजपा को 182 में से 99 सीटों पर कांग्रेस रोक पाने में कामयाब हुई।
कांग्रेस को 77 सीटें मिलीं जो पिछले दो दशक में कांग्रेस का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन रहा। गहलोत ने तब एक बयान जारी कर इस प्रदर्शन को कांग्रेस की नैतिक विजय बताया था। उनका कहना था कि केन्द्र और गुजरात सहित पड़ोसी राज्यों (महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश व राजस्थान) में भाजपा की सरकारें होते हुए भी भाजपा को 182 में से 100 सीटें भी ना मिल सकीं।
कांग्रेस पार्टी ने अब मुख्यमंत्री गहलोत को गुजरात चुनावों के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया है। वे अगस्त में गुजरात में दो-तीन स्थानों का दौरा कर चुके हैं। सोमवार को वे फिर से गुजरात के लिए रवाना हो गए, जहां वे अहमदाबाद और बनासकांठा में सभा करेंगे। कांग्रेस को उम्मीद है कि गहलोत के नेतृत्व में पार्टी एक बार फिर से बेहतर प्रदर्शन करेगी।
राजस्थान की कांग्रेस सरकार के सभी मंत्रियों और प्रभावशाली नेताओं को गुजरात की किसी न किसी लोकसभा सीट का प्रभारी बनाया गया है। अभी तक दो बार उद्योग मंत्री शकुंतला रावत और आरटीडीसी के चैयरमेन धर्मेन्द्र राठ़ौड़ ने जरूर क्रमश: सुरेन्द्र नगर और अहमदाबाद में पार्टी मीटिंग की है। अन्य नेताओं ने फिलहाल दौरे या सभा नहीं की है।
राजस्थान के राजनीतिक घटनाक्रम का असर गुजरात चुनावों पर
हाल ही राजस्थान में कांग्रेस पार्टी और सरकार में जो राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना, उससे गुजरात चुनावों में कांग्रेस की तैयारियों पर भी विपरीत असर पड़ा। कांग्रेस के नेताओं, मंत्रियों, विधायकों, पदाधिकारियों का सारा ध्यान जयपुर और दिल्ली के बीच शिफ्ट हो गया।
अब चूंकि दीपावली आने वाली है, तो सभी मंत्री-विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्रों में व्यस्त रहेंगे। गुजरात के चुनावों की तिथियां अभी घोषित तो नहीं हुई, लेकिन यह माना जा रहा है कि यह नवंबर के अंतिम सप्ताह या दिसंबर के पहले सप्ताह में ही होंगी।
मई में गए थे राहुल, लेकिन भारत जोड़ाे यात्रा से अछूता रहेगा गुजरात
इस वर्ष मई में राहुल गांधी ने गुजरात का दौरा किया था। अहमदाबाद में उन्होंने गांधी आश्रम जाकर लोगों को कांग्रेस को वोट देने की अपील भी की थी। उसके बाद से अभी तक राहुल गांधी गुजरात नहीं गए हैं। इसी बीच केरल से कश्मीर के बीच उनके द्वारा निकाली जा रही भारत जोड़ा यात्रा अभी कर्नाटक में है।
यह यात्रा तमिलनाड़ू, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश होते हुए राजस्थान से दिल्ली की तरफ बढ़ेगी, लेकिन इस यात्रा के तहत राहुल गुजरात नहीं जाएंगे। भाजपा के नेता विभिन्न अवसरों व मंचों पर कह चुके हैं कि गुजरात में चुनाव होते हुए भी इस यात्रा का ना आना इस बात को दर्शाता है कि कांग्रेस को अपनी हार स्पष्ट दिख रही है।
सोनिया और प्रियंका का भी कोई दौरा या सभा अब तक नहीं
अभी तक कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी या प्रियंका गांधी का भी कोई दौरा या सभा गुजरात में नहीं हुआ है। विगत दो दशक में सोनिया गांधी का गुजरात में अक्सर दौरे होते रहे हैं। संभवत: पार्टी अब उनकी कोई रैली या सभा आयोजित करवाए।
सचिन पायलट भी अभी तक रहे दूर
गुजरात चुनावों से अभी तक कांग्रेस के स्टार प्रचारक माने जाने वाले नेता सचिन पायलट का भी गुजरात में अभी तक कोई दौरा नहीं हुआ है। पायलट ने इसी वर्ष पंजाब और उत्तर प्रदेश में सम्पन्न चुनावों में कई स्थानों पर सभाओं को संबोधित किया था। पायलट राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और डिप्टी सीएम रहे हैं। युवा, किसान, महिला व शिक्षित वर्ग में उनके प्रति खास आकर्षण रहता है, ऐसे में वे गुजरात चुनावों में पार्टी के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं।