आगरा शहर का एक गांव ऐसा भी है, जहां घर-घर में बारुद रहता है। पटाखा बनता है, फिर चाहे घर के छोटे बच्चे ही क्यों न हो। इस अवैध कारोबार में सभी शामिल रहते हैं। ये लोग सुतली बम तैयार करते हैं। ये गांव है धौर्रा। आगरा शहर से सिर्फ 20 किमी. दूर। दिवाली से ठीक पहले दैनिक भास्कर की टीम यहां पहुंची। तो हर घर में पटाखा बनता मिला।
अहम ये भी है कि इस गांव में 4 परिवार ऐसे भी हैं, जिनके पास पटाखा बनाने का लाइसेंस है। यहां से कुछ दूर पर नगला खरगा इलाका है। कामोबेश वहां भी हर घर में पटाखा तैयार होते हैं।
- पढ़िए रिपोर्ट
खेत में बना रहे, वहीं से बेच रहे
गांव के अंदर थोड़ा आगे बढ़ने पर खेतों में कुछ बाइक जाती हुई दिखाई दीं। वहां पर कई लोग खडे़ थे। खेत में बड़ा से तिरपाल बिछा था और उस पर देसी पटाखे धूप में रखे थे। खेत के एक कोने में महिलाएं और बच्चे पटाखों पर कागज चिपकाने में जुटे हुए थे। ग्राहक के आने पर बच्चे पटाखे गिनकर भी दे रहे थे। बच्चों के हाथ बारुद से सने थे। बच्चों के साथ महिलाएं भी इस काम में लगी थीं।
इस बार खुले में काम नहीं हो रहा है। केवल दुकानदारों के लिए को ही सप्लाई दी जा रहा है। अगर पटाखे चाहिए भी तो दोपहर बाद ही मिलेंगे।
सुरक्षा मानक पूरे नहीं
जिस जगह पर पटाखे तैयार किए जा रहे थे। वहां पर सुरक्षा के मानक भी पूरे नहीं थे। एक कमरे में पटाखे भरे थे। कमरे के अंदर ही सुतली बम तैयार हो रहे थे। कमरे के बाहर महिलाएं पटाखों पर कागज चिपका रही थीं। दुर्घटना होने की स्थिति में बचाव के लिए तीन-चार बल्टियों में मिट्टी भरी रखी थी। एक आग बुझाने वाला सिलेंडर रखा था। खेत में तिरपाल पर सुतली बम बिखरे पडे़ थे। यहां बातचीत में लोगों ने बताया कि प्रशासन से उन्हें आतिशबाजी तैयार करने की ट्रेनिंग भी नहीं दी गई है।
सख्ती के चलते चोरी-छिपे हो रहा काम
गांव वालों का कहना है कि इस बार सख्ती ज्यादा होने के चलते बहुत कम लोग काम कर रहे हैं। जिन लोगों को प्रशासन से लाइसेंस मिला है, उन्होंने तीन दिन पहले से माल बनाना शुरू किया है। हालांकि बहुत से लोग चोरी-छिपे काम करते हैं। मगर, उनकी डीलिंग सीधे दुकानदारों से है। दुकानदारों को चुपके से माल की सप्लाई की जा रही है।
धौर्रा में जा चुकी है 36 लोगों की जान
2003 : धौर्रा में पटाखे बनाते समय वकील व देशराज की विस्फोट में मौत हुई।
2005 : धौर्रा में गोदाम में धमका होने पर प्रभुदयाल, भरत सिंह, विजय सिंह व राजू की मृत्यु हुई थी।
2009 : नगला खरगा निवासी बीडीसी सदस्य गीता देवी के घर में धमाका हुआ, जिसमें गीता देवी व उनके पति बनी सिंह की मृत्यु हुई तथा पांच वर्ष का बेटा घायल हुआ था।
2009 : गांव नगला खरगा के बाहर खेत में बने गोदाम में धमाका हुआ था, जिसमें 13 लोगों की जान गई।
2010 : धौर्रा में पटाखे बनाते समय विस्फोट हुए जिसमें दो लोगों की मौत हुई।
2011 : पटाखे ले जाते समय हाईवे स्थित कुबेरपुर चौराहे पर टेंपो में धमाका हुआ जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी।
2011 : नगला गोला में खेत पर पटाखे ले जाते समय विस्फोट हुआ था, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई थी।
2014 : धौर्रा में घर में बम बनाते समय महिला की मौत तथा तीन घायल हुए थे।
2015 : दीपावली के दिन धौर्रा से पटाखे ले जाते समय भागूपुर चौराहे पर टेंपो में रखते समय विस्फोट हुए था, जिसमें तीन लोगों की मौत हुए थी।
2016 : धौर्रा से स्कूटर से पटाखे लेजाते समय थाना जगदीशपुरा के सामने विस्फोट हुआ था, जिसमें स्कूटर सवार दोनों लोगों की मौत हुई थी।