हाल ही प्रदेश सरकार ने बीस सूत्री कार्यक्रम को लेकर प्रदेश स्तरीय कमेटी का गठन किया। गर्वनेंस के लिहाज से इस कमेटी को सरकार में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यही समिति सरकारों की फ्लैगशिप योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने और उसकी समीक्षा का काम करती है। यही वजह होती है कि CM के नेतृत्व वाली इस कमेटी के उपाध्यक्ष को केबिनेट मंत्री का दर्जा मिलता है। मगर सरकारों के लिए ये बीस सूत्री कार्यक्रम कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इससे लग जाता है कि वर्तमान सरकार के 4 साल पूरे होने को आए और अब जाकर 14 अक्टूबर को इसकी स्टेट लेवल कमेटी बनाई गई है।
हाल ही में कमेटी में उपाध्यक्ष के अतिरिक्त 20 सदस्यों को नियुक्त किया गया है। बीस सूत्री कार्यक्रम को सरकारी योजनाओं के एग्जीक्यूशन और समीक्षा के लिए बेहद जरूरी माना जाता है। इसके बावजूद सरकार बनने के 46 महीने बाद कमेटी बनी। कमेटी के उपाध्यक्ष के पद पर भी डॉ चंद्रभान की नियुक्ति इसी साल 8 महीने पहले हुई थी। लगभग 38 महीने बाद इस कमेटी में उपाध्यक्ष लगाया गया था। वहीं जिला स्तर की बात की जाए तो अब भी सिर्फ 10 जिलों में ही कमेटी बनाई गई है। जबकि 23 जिलों में अब भी कमेटी बनना बाकी है।
10 साल बाद हुई बीसूका की बैठक
बीस सूत्री कार्यक्रम को लेकर सरकारें कितनी गंभीर हैं इसका अंदाजा इस बात से लग जाता है कि बीसूका की स्टेट लेवल कमेटी की बैठक 10 साल बाद हुई। इस साल मार्च में वर्तमान उपाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान ने बैठक ली। जबकि नियमानुसार हर साल इसकी 2 बैठकें होनी चाहिए। इन 10 वर्षों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों की सरकारें रही मगर दोनों ही सरकारें इसे लेकर निष्क्रिय नजर आई।
कमेटियां भी औपचारिकता मात्र
बीसूका की कमेटियों को लेकर भी औपचारिकता नजर आती है। वर्तमान सरकार में लगभग 4 साल में बीसूका की स्टेट लेवल कमेटी बनी। इसके अलावा पिछली बीजेपी सरकार में दिगम्बर सिंह के उपाध्यक्ष रहते कमेटियां सिर्फ नाम की ही थी। वहीं इससे पहले कांग्रेस सरकार में कर्ण सिंह के उपाध्यक्ष रहते पूरे कार्यकाल में स्टेट लेवल कमेटियां ही नहीं बनाई गई। इस साल भी अबतक कमेटियां पूरी तरह नहीं बनी है।
क्यों जरूरी है बीसूका?
दरअसल बीस सूत्री कार्यक्रम गर्वनेंस के अनुसार बेहद जरूरी ईकाई है। इसका काम केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न फ्लैगशिप योजनाओं का एग्जीक्यूशन और समीक्षा करना है। उपाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान ने बताया कि वर्तमान में 42 योजनाएं वो देख रहे हैं। इस कार्यक्रम का लक्ष्य होता है कि तमाम तरह की सरकारी योजनाओं का लाभ लाभार्थी तक पहुंचे। साथ ही यह पहुंच रहा है या नहीं उसकी जानकारी भी यही समिति रखती है।