काम करते-करते फोकस टूटता है तो कीजिए मेडिटेशन:टी ब्रेक मेडिटेशन से लेकर ड्राइविंग के दौरान भी संभव है ध्यान

शांति अंदर से आती है। इसे बाहर मत ढूंढो।

– गौतम बुद्ध

करिअर फंडा में स्वागत!

अपने भीतर देखें सब मिलेगा

काफी समय से आपने मेडिटेशन पर करिअर फंडा लिखने की मांग की थी। इसलिए आज मैं आपको मेडिटेशन से होने वाले फायदों और इसे कैसे करते हैं, पर अपने अनुभव बताऊंगा। मेडिटेशन यानी ध्यान लगाना हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों का महत्वपूर्ण भाग रहा है, और इसने पूरी दुनिया में लोकप्रियता हासिल की है।

अब तो 21 जून को विश्व योग दिवस भी मनाया जाता है।

क्या आप परेशान हैं

1) आप काम करते-करते अचानक से इंटरेस्ट लूज कर देते हैं?

2) काम में पूरा मन नहीं लग पता और गलतियां हो जाती हैं?

3) जितना पढ़ा उतना परफॉरमेंस नहीं?

4) दिमाग पर नियंत्रण नहीं?

5) मन खुश नहीं?

बस, तो अब पढ़ते रहिए, समाधान मिलेगा।

ध्यान करने से फायदे

वेस्टर्न वर्ल्ड में मेडिटेशन पर काफी रिसर्च की गई है तथा इसके लिए MRI जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है। मैंने पाया है कि कई रिसर्च मेडिटेशन से तनाव के कम होने, लेफ्ट फ्रंटल लोब की गतिविधि में स्पष्ट बदलाव, अधिक शांत और पहले से ज्यादा खुश होने, शारीरिक दर्द में कमी होने, वर्क-परफॉर्मेंस में सुधार होने, शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होने और जीवन में माइंडफुलनेस (Mindfulness) आने की ओर इशारा करती हैं।

आज जब स्वस्थ दिखने वाले लोगों का अचानक मौतों का सिलसिला सा चल पड़ा है, ये महत्वपूर्ण है।

ध्यान क्या है

ध्यान लगाना (मेडिटेट करना) एक प्रक्रिया है जहां आप अपने माइंड को किसी एक गतिविधि पर फोकस करते हैं (या विचार पर, या वस्तु पर) और अपने अटेंशन की ट्रेनिंग करते हुए, मेन्टल पीस और इमोशनल शांति पाने का प्रयास करते हैं।

1) शांत अवस्था में बैठ कर मनुष्य का अपने शरीर के भीतर श्वास, और विभिन्न ग्लेंड्स जैसे पिट्यूटरी, पीनियल, थॉयरॉइड इत्यादि के बारे में माइंडफुल (Mindful) होना या उनके बारे में अवेयर होकर उन पर ध्यान लगाना उन्हें मन की आंखों से देखना ही ध्यान है।

2) भारतीय शास्त्रों में कुंडलिनी योग में सात चक्रों मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा चक्र, सहस्रार चक्र, की बात की गई है, हमारे शरीर की सभी प्रमुख ग्लेंड्स क्रमशः गोनेड्स, एड्रेनल, थायमस, थॉयरॉइड, पिट्यूटरी और पीनियल ग्लेंड्स भी इन्ही स्थानों पर स्थित है।

यही ग्लैंड जीवन में प्रसन्नता व स्वास्थ्य के लिए आवश्यक सभी प्रकार के हॉर्मोन्स जैसे डोपामीन, कोर्टिसोल, ऑक्सीटोसिन, एंडोमॉर्फिन इन्सुलिन इत्यादि को रिलीज़ करती है। शायद नियमित रूप से ध्यान लगाना इन ग्रंथियों या ग्लेंड्स को नियंत्रित कर पाता है।

ध्यान कैसे लगाएं

कई तरीके प्रचलित है फिर भी एक बेसिक तरीका इस प्रकार हो सकता है

1) शांत, हवादार जगह चुनें

2) आरामदायक तरीके से रिलैक्स होकर बैठे, आदर्श अवस्था पद्मासन की हो सकती है, फिर भी आप किसी भी पॉस्चर में बैठ सकते हैं, केवल रीढ़ की हड्डी सीधी-तनी होनी चाहिए

3) आंखे बंद करके दिमाग को विचार-शून्य बनाने की कोशिश करें

4) धीरे-धीरे अपना ध्यान श्वास के आने और जाने पर केंद्रित करें, श्वास के लेने और छोड़ने से ‘सो हम’ की ध्वनि उत्पन्न होती है आपको उसी पर ध्यान केंद्रित करना है

5) यहां से ध्यान को दिमाग में ‘पिट्यूटरी ग्लैंड’ (पीयूष ग्रन्थि) के ऊपर केंद्रित करें

6) शुरुआत तीन से पांच मिनट (या उससे कम) अवधि के साथ करें। एक दिन में 40-45 मिनट से अधिक न करें, वो भी 20, 20 की दो अवधियों में हो तो और अच्छा

7) ध्यान के सिद्धांतों को समझें व उनके बारे में पढ़ें।

टी -ब्रेक मेडिटेशन (Tea Break Meditation)

भाग-दौड़ भरी जिंदगी में रोज ‘ध्यान’ के लिए अलग से समय निकालना कई लोगों के लिए असंभव हो जाता है इसलिए में एक अधिक प्रैक्टिकल ‘टी-ब्रेक मेडिटेशन’ सुझाना चाहता हूं

1) अपनी पसंद की चाय बनाएं और उसे अपने पसंद की साफ प्याली या कटलरी में निकाल लें

2) आराम से रिलैक्स हो कर बैठ जाएं। चाय एकदम पीना शुरू ना करें। गर्म चाय से उठती भाप पर ध्यान केंद्रित कर, उसकी खुशबू, उसकी गर्मी महसूस करें

3) फिर धीरे-धीरे आनंद से एक-एक घूंट लें, प्रत्येक घूंट को अपने मुंह में महसूस कर, उसका स्वाद एन्जॉय करें

4) प्रत्येक घूंट गले से पेट में उतरता हुआ महसूस करें, इसी प्रकार आराम 8 से 10 मिनट में अपने चाय की प्याली को खत्म करें

5) थोड़ी देर के लिए किसी चीज के बारे में न सोचें, बस आप और चाय, ऐसा करते वक्त आंखें बंद करना अच्छा रिजल्ट दे सकता है

6) आप तरो-ताजा महसूस करेंगे!

मेरे अनुभव में ध्यान करने से सबसे अधिक हमारी अपने बारे में और हमारे आस-पास की दुनिया के बारे में माइंडफुलनेस या सचेतता बढ़ती है।

गुस्से से निजात, खुशियों को दावत

आप रोजमर्रा के पैटर्न्स को समझ पाते हैं और उन पर आपका रिएक्शन बदल जाता है। गुस्से के बजाय मुस्कान आती है

उदाहरण: आज ही ट्राई करें

1) जब आप सड़क पर बाइक (या कार) लेकर जाते हैं तो कोई व्यक्ति ऐसा होगा ही जो आपको ‘कट’ मार कर आगे निकलने की कोशिश करता है। हम गुस्से में कुढ़ने लगते हैं।

2) गुस्सा न करें बल्कि ये सोचें कि (A) जरूर ये ऑफिस के लिए बहुत लेट हो चुका है, (B) इसका कोई अस्पताल में जूझ रहा है, (C) इसे अपने बच्चे को स्कूल लेने जाना है, या (D) ये युवा है और तेज गति एन्जॉय कर रहा है!

3) उसे शुभकामना दें कि सुरक्षित पहुंच जाए।

मेडिटेशन की ट्रेजेडी

मैंने ये भी देखा है कि कई लोग दावा तो करते हैं कि वे रोजाना ध्यान लगाते हैं, लेकिन उनके बिहेवियर में गुस्सा, आक्रामकता, ‘मैं तुमसे बेहतर’ का एटिट्यूड साफ झलकता है। इनका कोई भला नहीं हो पाया क्योंकि इन्होंने ध्यान लगाना सीखा ही नहीं!