इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया था। इससे पहले हुए 2017 के विधानसभा, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कोई मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा था। लेकिन, इस साल होने जा रहे नगर निकाय चुनाव में भाजपा में बड़ा बदलाव दिखाई दे सकता है। क्योंकि इस बार बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज भाजपा से टिकट की मांग कर रहा है।
नगर निकाय चुनाव में पार्टी इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतारेगी। दावा किया जा रहा है कि योगी-मोदी की जोड़ी ने प्रदेश का राजनीतिक भूगोल बदल दिया है। भाजपा को अछूत मानने वाला यह अल्पसंख्यक समाज अब भाजपा के टिकट की मांग कर रहा है। पार्टी सूत्रों का दावा कि जिन सीटों पर मुस्लिम समाज का प्रभाव ज्यादा है, वहां उसी समाज का प्रत्याशी उतारा जाएगा।
मुस्लिम मांग रहे है निकाय चुनाव में भाजपा का टिकट
सूबे में हवा का रुख अब बदल चुका है। सपा-बसपा का दामन छोड़ मुस्लिम भी अब भाजपा से टिकट मांग रहे हैं। यह हम नहीं कर रहे। बिजनौर के स्योहारा पहुंचे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र चौधरी ने दावा किया कि इस बार बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज से भी टिकट के लिए आवेदन मिल रहा है।
भूपेंद्र चौधरी का कहना है कि अगर आवेदक दमदार हुआ तो भाजपा मुस्लिमों पर भी चुनावी दांव लगाएगी। पार्टी हम कमल खिलाने निकले हैं की अपनी टैग लाइन को लेकर क्षेत्रों में निकल रही है। कार्यकर्ताओं को निकाय चुनाव में प्रदेश के सभी निकाय क्षेत्रों की हर गली, हर नुक्कड़ तक कमल खिलाने का संकल्प दिलाया जा रहा है। बूथ प्रबंधन पर जोर है। साथ ही तलाश दमदार उम्मीदवारों की भी है।
यूपी में भाजपा सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की तर्ज पर पार्टी का जनाधार बढ़ाने की कवायद में जुटी हुई है। भाजपा इस बार निकाय चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों पर भी दांव लगाने की तैयारी में है। पार्टी खासतौर पर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में मुस्लिम उम्मीदवार उतारेगी। सूत्रों की मानें तो पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे ने ‘जिताऊ’ उम्मीदवारों की सूची तैयार करनी शुरू कर दी है। मुस्लिमों की दावेदारी और निकाय चुनाव की तैयारी को लेकर अगले सप्ताह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी अल्पसंख्यक मोर्चे की टीम के साथ मंथन भी करेंगे।
इस बार मुस्लिम समाज में बढ़ा भाजपा का क्रेज
भाजपा ने साल ने 2017 के नगर निकाय चुनाव में महज 13 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। इससे पहले 2012 में पार्टी ने 5,148 वॉर्डों में महज 842 में ही उम्मीदवार उतारे थे।कई मुस्लिम बहुल वॉर्डों में बीजेपी का कोई उम्मीदवार नहीं था।
वहीं, नगर निगमों में 980 पार्षद पदों की तुलना में 844 पर ही बीजेपी ने चुनाव लड़ा था। वाराणसी नगर निगम की 90 में 78 सीटों पर ही प्रत्याशी उतारे गए थे, क्योंकि मुस्लिम बहुल वॉर्डों के लिए पार्टी के पास उम्मीदवार ही नहीं थे। लेकिन अब हालात बदल गए है। अब बड़ी संख्या में मुस्लिम नगर निकाय चुनाव में भाजपा की टिकट की मांग कर रहें है।
300 वार्डों पर मुस्लिम समाज का बड़ा इम्पैक्ट
UP में करीब 300 ऐसे वार्ड हैं, जिसमें मुस्लिम समाज का दबदबा है। इनमें से तमाम सीटों पर भाजपा उम्मीदवार तक नहीं उतारती थी। इसकी दो वजह थी। पहला- मुस्लिम कैंडिडेट भाजपा के टिकट पर लड़ना नही चाहते थे। दुसरा- भाजपा हार के डर से अपना उम्मीदवार तक उतारने में बचती रहती थी।
इस बार यूपी में होने वाले नगर निकाय चुनाव के लिए भाजपा कोई कोर कसर नही छोड़ना चाहती है। इसीलिए यूपी के मुस्लिम बाहुल्य 300 वार्डों में जीत के लिए पसमांदा समाज के इस सम्मेलन को किया जा रहा है और तैयारी इन सभी सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की है।
मुस्लिमों को टिकट देने के पीछे भाजपा की सियासत
नए वोटरों को साथ लाने की कवायद में जुटी बीजेपी मुस्लिमों को ‘अपना’ बनाने पर काम कर रही है। इसी वजह से निकाय चुनाव में मुस्लिमों पर दांव लगाया जाएगा। भाजपा के एक नेता कहते हैं कि मुस्लिमों को टिकट देना बीजेपी की सियासत का भी हिस्सा है और जरूरत भी। 2012 में हुए नगरीय निकाय चुनाव में 30% से अधिक नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष मुस्लिम बने थे।
- यूपी में 24 जिले ऐसे हैं, जहां मुस्लिमों की संख्या 20% से ज्यादा है।
- 12 जिलों में मुस्लिम आबादी 35% से 52% तक है।
- संभल, सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, बहराइच, मुजफ्फरनगर, बलरामपुर, मेरठ, अमरोहा, रामपुर, बरेली, श्रावस्ती में मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा।
- अलीगढ़, मुरादाबाद, फिरोजाबाद, संभल, शामली सहित कई जिलों में नगर पंचायतों में भी मुस्लिम वोटर बहुतायत में हैं।
2024 से पहले वोट प्रतिशत 60% तक लाने की कोशिश
भाजपा ने इस वोट बैंक को अपने पाले में लाने के लिए पसमांदा बुद्धिजीवी सम्मेलन कर रही है। करीब 6 दिन पहले लखनऊ में हुए इस सम्मेलन में सरकार के अंसारी समाज के मंत्री दानिश अंसारी के साथ ही दोनों डिप्टी सीएम भी शामिल हुए। भाजपा मिशन 2024 के पहले अपने वोट प्रतिशत को यूपी में 60% के आसपास लाना चाहती है, ऐसे में अल्पसंख्यकों पर भी पार्टी का फोकस है। पीएम के आग्रह के बाद पसमांदा मुसलमानों की महत्वपूर्ण आबादी वाले 44,000 से अधिक मतदान केंद्रों की पहचान की है, जहां ध्यान केंद्रित किया जाएगा। ऐसे हर बूथ में पसमांदा मुस्लिम समुदाय के कम से कम 100 लाभार्थियों से बात करने का लक्ष्य है।
मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली कहते हैं कि केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं का फायदा पाने वाले ज्यादातर लोग अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। विधानसभा क्षेत्रवार देखें तो हर बूथ पर करीब 100 लाभार्थी अल्पसंख्यक समुदाय के हैं। अल्पसंख्यक मोर्चे को इन्हें ‘अपना’ बनाने की जिम्मेदारी दी गई है।