जीवन के पिरामिड के लिए 4 टिप्स:मोटिवेशन और जॉब सेटिस्फेक्शन बनाए रखें,अपनी जरूरतों को समझें

सरल किन्तु बेहद पावरफुल

आज हम जानेंगे एक ऐसी थ्योरी के बारे में जिसे ‘मास्लोस हायरार्की ऑफ नीड्स’ (Maslow’s Hierarchy of Needs) अर्थात ‘आवश्यकताओं का अनुक्रम’ के रूप में जाना जाता है। अब्राहम मास्लो एक अमेरिकन मनोवैज्ञानिक थे। क्या आपने कहीं पढ़ी है ये थ्योरी?

मास्लो के ‘आवश्यकताओं के क्रम’ के अनुसार मनुष्यों की आवश्यकताएं पांच स्तरों पर होती हैं –

1. शारीरिक जरुरतें

2. सुरक्षा जरुरतें

3. रिश्तों सम्बन्धी जरूरतें

4. सम्मान सम्बन्धी जरूरतें , तथा

5. आत्मबोध

ये पांचों स्तर एक के ऊपर एक पिरामिड का निर्माण करते हैं।

समझें इस पिरामिड को, समझें अपने जीवन के ड्राइविंग फोर्स को

आप स्टूडेंट हो या प्रोफेशनल, ये आपके लिए काम की है।

1) रोटी, कपड़ा और मकान: पिरामिड की सबसे नीचे की लेयर ‘शारीरिक आवश्यकताओं’ जैसे साफ हवा, पीने योग्य पानी, पौष्टिक भोजन, आश्रय, नींद, कपड़ों, प्रजनन इत्यादि से सम्बंधित है। सबसे पहले आप ये सब ही पूरा करेंगे, और इन्हें पूरा करते रहना पड़ेगा। हमेशा।

2) सुरक्षा जरुरतें: पिरामिड में इसके ऊपर की लेयर मनुष्य की शारीरिक और इमोशनल सुरक्षा से सम्बन्धी जरूरतों की है, जैसे किसी भी प्रकार की हिंसा से शारीरिक सुरक्षा, रोजगार, हेल्थ, प्रॉपर्टी, बचत आदि।

3) रिश्तों सम्बन्धी जरूरतें: पिरामिड में इस से ऊपर का स्तर मनुष्य की रिश्तों सम्बन्धी आवश्यकताओं का है जिसमें, दोस्ती, निजी-सम्बन्ध, आत्मीयता, शादी-ब्याह, घर-परिवार, सामाजिक एकता का भाव इत्यादि शामिल है।

4) ताकत और सम्मान सम्बन्धी जरूरतें: क्रम में इसके ऊपर ‘ताकत और सम्मान’ से सम्बंधित जरूरतें जैसे सामाजिक स्टेटस, पहचान, सामाजिक ताकत, कार्य और विचारों की स्वतंत्रता आदि आते हैं।

5) आत्मबोध: मैं कौन हूं?: जी ‘हां’ पिरामिड की सबसे ऊपरी लेयर ‘आत्मबोध’ की है। इसमें मनुष्यों के अपने आपको, अपने आस-पास के विश्व को जानने समझने के फिलॉसॉफिकल विचार आते हैं। यहां मनुष्यों की आवश्यकताएं शारीरिक और इमोशनल से ज्यादा वैचारिक होती हैं।

कहने का अर्थ यह है की इस संसार में उपस्थित किसी भी व्यक्ति सबसे पहली आवश्यकताएं उसके शरीर से जुड़ी हैं जैसे भूख, प्यास, नींद उसके बाद वह हेल्थ, प्रॉपर्टी, बचत इत्यादि के बारे में सोचता उसके बाद घर-परिवार, दोस्तों का स्तर तथा उसके बाद सामाजिक स्टेटस, पहचान और सबसे अंत में आत्मबोध का स्तर आता है।

पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में यूज करें ये ज्ञान: 4 टिप्स

जैसा मास्लो कहते हैं, “हम क्या ‘चाहते’ हैं, यह जान लेना सामान्य घटना नहीं है। यह एक दुर्लभ और कठिन मनोवैज्ञानिक उपलब्धि है। जीवन में उन्नति करने के लिए आपको अपने कौशल, क्षमताओं के अलावा अपनी और दूसरों की जरूरतों के क्रम को समझने से भी लाभ मिलेगा।

1) मोटिवेशन और जॉब सेटिस्फेक्शन बनाए रखना: एक मैनेजर के रूप में आपको ये समझना होगा कि आपके एम्प्लाइज की सबसे पहली जरूरतें शारीरिक हैं। उन्हें पूरा किए बिना मोटिवेशनल लेक्चरों का कोई मतलब नहीं है। इसके साथ ही सभी व्यक्तियों की आवश्यकताओं का क्रम समय-समय पर बदलता रहता है इसलिए आपको एक मैनेजर के तौर पर इसे भी ध्यान में रखने की आवश्यकता होगी की कब उनका वेतन बढ़ाना है, कब उनकी सुरक्षित होने की भावना को पुख्ता करने के लिए मेडिक्लेम लेना है, इत्यादि।

2) सेल्स एवं मार्केटिंग के नीति निर्माण में: मास्लो के ‘जरूरतों के क्रम’ को वस्तुओं के बेचने और मार्केटिंग के नीति निर्माण में उपयोग किया जा सकता है। अर्थात ऐसा व्यक्ति जिसकी जरूरतों का लेवल सबसे पहले अर्थात ‘शारीरिक जरूरतों’ पर है को ‘आर्चीज’ के ग्रीटिंग कार्ड बेचने में दिक्कत आ सकती है, जैसे कि ‘आत्मबोध’ के स्तर वाले व्यक्ति को ‘कंप्यूटर गेम’ बेचने में।

3) प्रोडक्ट, सर्विसेज की डिजाइनिंग और निर्माण में: आप अपने ग्राहक वर्ग की जरूरतों के स्तर को समझ कर अपने प्रोडक्ट और सर्विसेज का निर्माण और डिजाइनिंग से सम्बंधित निर्णय ले सकते हैं, जैसे कि ‘शारीरिक स्तर’ की जरूरतों वाले ग्राहक वर्ग के लिए लक्जरी कार बनाना अधिक उपयोगी होगा या ‘टिकाऊ मोटरसायकल’। उसी प्रकार ‘बचत’ की चिंता में लगे ग्राहक वर्ग को महंगे ‘बोनसाई’ पौधों का क्या काम।

4) निजी, पारिवारिक जीवन में: आप निजी, पारिवारिक स्तर पर किसी भी व्यक्ति की जरूरतों के स्तर को समझ कर उससे उसी प्रकार व्यवहार करें। यदि आप अपने किसी ऐसे सम्बन्धी को जो फायनेंशियल प्रॉब्लम से गुजर रहा है ‘शिप ऑफ थीसीयस’ जैसी दार्शनिक फिल्म दिखाने ले जाएंगे तो वो उसके लिए किसी टॉर्चर से कम नहीं होगी, इसके बजाय किसी होटल में अच्छा भोजन या केवल पैसों की मदद उसके लिए ज्यादा उपयोगी होगी।