‘मदरसे का मतलब आप हमारी मस्जिद पर सवाल उठा रहे’:अरशद मदनी बोले-अगर मजहब से सरकार का टकराव होता है तो हमें फैसले का हक होगा

जमीयत-ए-उलमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मदरसों के सर्वे पर बड़ा बयान दिया। कहा, “अगर आप मदरसे को पकड़ रहे हैं तो इसका मतलब है, आप हमारी मस्जिद पर सवाल उठा रहे हैं। आने वाले समय में अगर हमारे मजहब से सरकार का टकराव होता है तो हमें उस वक्त फैसला लेने का हक होगा। हमें अपने मजहब के मुखालफत में जिंदा रहना है या फिर मुखालफत के अंदर मरना है। यह फैसला उसी समय होगा।”

मदरसों के सर्वे के बाद पहली बार दारुल उलूम देवबंद के रशीदिया मस्जिद में मदरसा संचालकों का रविवार को सम्मेलन हुआ। इसमें देशभर से 4500 मदरसा संचालक शामिल हुए। इस सम्मेलन के बाद अरशद मदनी ने मीडिया से बात की।

  • पेश हैं उसके कुछ अंश

सवाल : क्या दारुल उलूम मदरसों की दीनी शिक्षा में बदलाव करेगा?
जवाब : 
दारुल उलूम देवबंद देशभर में संबद्ध मदरसों के दीनी शिक्षा के कोर्स में फिलहाल कोई बदलाव नहीं करेगा। मदरसा संचालकों से ये साफ जरूर कहा गया कि अरबी क्लास में प्रवेश लेने के लिए विद्यार्थियों को हाईस्कूल पास होना अनिवार्य किया जाएगा। यहीं नहीं, मदरसों में आधुनिक शिक्षा सिस्टम लागू करने पर भी गंभीरता दिखाई है।

सवाल : क्या सर्वे को लेकर मदरसा संचालकों को कोई परेशानी हो रही है?
जवाब : 
यूपी गवर्नमेंट ने मदरसा सर्वे के अंदर जो चेहरा हमें दिखाया है, वो खराब नहीं था। हमने जैसे कहा, वैसे सर्वे हुआ। मदरसों के दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं। किस चीज का सर्वे करना चाहते हैं। सर्वे हो भी गया और खत्म भी हो गया। कोई परेशानी नहीं हुई।

सवाल : क्या मदरसा एजुकेशन, संचालन और सर्वे को लेकर कोई फैसला हुआ?
जवाब :
 अब कोई फैसला नहीं होगा। हम किसी गवर्नमेंट से यह नहीं समझते हैं कि वह हमें मजहबी एतबार से जीने का हक नहीं देती। ऐसा नहीं है। अगर मरने वाला व्यक्ति भी धर्म सीखना चाहता है। वह आ जाए। हम उसे सिर पर बैठाएंगे और सीने से लगाएंगे। पढ़ने की कोई जिंदगी नहीं है। हमारी पढ़ाई नौकरी के लिए नहीं है।

सवाल : क्या मदरसों की संबद्धता से संबंधित कोई फैसला हुआ है?
जवाब : 
सम्मेलन में ये निर्णय लिया गया है कि जो मदरसे हाईस्कूल और इंटरमीडिएट तक स्कूली शिक्षा की व्यवस्था करना चाहते हैं। वह किसी भी राज्य या फिर केंद्रीय एजुकेशन बोर्ड से जुड़ने के बजाए ओपन बोर्ड से संबद्धता कर सकते हैं। सरकारी सहायता लेने से दारुल उलूम पहले ही इनकार कर चुका है। ऐसे में आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विद्यार्थियों को दारुल उलूम और संबद्ध मदरसों में पढ़ाया जाएगा।
बुनियादी तबदीली और मॉडर्न एजुकेशन से न हो प्रभावित

रशीदिया मस्जिद में सम्मेलन में अध्यक्षीय भाषण में दारुल उलूम के मोहतमिम (वीसी) मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा,’ यदि कोई संस्था अपने मकसद के तहत काम नहीं करती है तो वह एक ढांचा बनकर रह जाती है। इसलिए अपने मकसद को पाने के लिए हर समय ईमानदारी से प्रयासरत रहें। कुछ लोग मदरसों के पाठ्यक्रम में बुनियादी तब्दीली और आधुनिक शिक्षा की बात करते हैं। ऐसे लोगों से प्रभावित होने की कोई जरूरत नहीं है। बल्कि तालीम की अपनी पुरानी व्यवस्था को ही कायम रखें। मदरसों में कक्षा पांच तक आधुनिक शिक्षा लागू है। उसे गंभीरता से लेना चाहिए। सरकार से प्राइमरी शिक्षा की मान्यता भी लेनी चाहिए।’

मदनी बोले- हमारे बच्चे दंगा नहीं करते
मुस्लिम समुदाय के बड़े और जमीयत उलेमा के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मदरसों के सर्वे पर पहला बयान दिया है। उन्होंने कहा, “सरकार ने यूपी में मदरसों का सर्वे कराया है, जो उनका अधिकार है। लेकिन, मदरसा चलाने के लिए हमें किसी भी दान और सहयोग की जरूरत नहीं है। अपने बच्चों को हम गुलाम नहीं बनाना चाहते। इसीलिए हम किसी भी सरकारी मदद नहीं चाहिए। यदि हम सरकारी मदद लेंगे तो हमारे ऊपर सरकार के नियम थोपे जाएंगे।”