गुजरात चुनाव में घमासान चल रहा है। घमासान घोषणाओं का। घमासान मुद्दों का। विषयों का। … और इन सबके ज़रिए वोटरों को ललचाने का। मुद्दों पर मुद्दे फेंके जा रहे हैं। उछाले जा रहे हैं। आप पार्टी के अरविंद केजरीवाल ने कहा अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए नोटों पर लक्ष्मी जी का फ़ोटो लगाया जाए। जबकि देश का गरीब चाहता है फ़ोटो तो बाद की बात है। पहले नोट तो दिखें!
आप पार्टी का यह हिंदू कार्ड था। ऐसे में भाजपा क्यों चुप बैठती? उसकी गुजरात सरकार ने राज्य में कॉमन सिविल कोड, यानी समान नागरिक क़ानून लागू करने के लिए एक कमेटी बनाने की घोषणा कर दी। हाल में उत्तराखंड चुनाव से पहले भी भाजपा ने वहाँ समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा की थी। हालाँकि, अभी तक हुआ कुछ नहीं।
अब सवाल यह उठता है कि कोई राज्य अपने यहाँ समान नागरिक संहिता लागू कर भी सकता है या नहीं? संविधान का अनुच्छेद 44 कहता है कि सलाह-मशविरा करके कोई भी राज्य इसे लागू कर सकता है, लेकिन यहीं अनुच्छेद 12 कहता है कि राज्य का मतलब यहाँ राज्य और केंद्र दोनों हैं। मतलब अकेला राज्य चाहे तो यह लागू नहीं कर सकता।
फिर सवाल उठता है कि गोवा में तो समान नागरिक संहिता लागू है। फिर अन्य राज्यों में क्यों नहीं? जवाब यह है कि गोवा में उसके गठन से पहले से ही यह क़ानून लागू है। जिसे पुर्तगाल समान क़ानून 1867 कहा गया है। चूँकि यह वहाँ पहले से ही लागू था इसलिए 1961 में गोवा राज्य के गठन के साथ ही इसे लागू रहने दिया गया।
अब सवाल उठता है कि समान नागरिक क़ानून है क्या? दरअसल, मुख्य रूप से शादी, विवाह- विच्छेद, उत्तराधिकार या संपत्ति का अधिकार और गोद लेने का अधिकार चूँकि मुख्य धर्मों में अलग- अलग है, इसलिए इसे एक करना ही समान नागरिक क़ानून लागू करने का मतलब हुआ। अकेले किसी राज्य के बस की बात यह इसलिए नहीं है क्योंकि समान क़ानून लाया जाता है तो अलग-अलग धर्मों के जो मैरिज एक्ट हैं या अन्य क़ानून हैं, उन्हें बदलना होगा। यह काम संसद ही कर सकती है।
देश का विधि आयोग कह चुका है कि फ़िलहाल समान नागरिक क़ानून की कोई माँग नहीं है। सुप्रीम कोर्ट और कुछ हाईकोर्ट कह चुके हैं कि लागू कीजिए। किसने रोका है? असल सवाल यह है कि ऐसे मुद्दे चुनाव के वक्त ही क्यों उठाए जाते हैं? चाहे वह समान क़ानून का मुद्दा हो या नोटों पर फ़ोटो का!
भाजपा हो या आप पार्टी, दोनों ही हर प्रकार से मतदाताओं को अपनी तरफ़ करने में लगी हुई हैं। नोटों के बाद केजरीवाल ने एक और नया पासा फेंका है। उन्होंने गुजरात के लोगों से पूछा है कि अगर आप पार्टी की सरकार बनती है तो आप ही बताइए हम मुख्यमंत्री किसे बनाएं? भाजपा अब कुछ और नया मुद्दा लाने वाली है। दरअसल, भाजपा गुजरात में आप पार्टी को इसलिए ज़्यादा महत्व दे रही है, ताकि कांग्रेस जिसकी कुछ सीटें वहाँ पक्की होती हैं, वह हाशिए पर चली जाए। इस सब के बीच कांग्रेस चुप ही बैठी है। भाजपा अपने खेल में कामयाब होती दिखाई दे रही है।