हरियाणा के हिसार जिले की आदमपुर विधानसभा सीट पर कल यानी 3 नवंबर को मतदान होना है। आम तौर पर उपचुनाव में सत्ता में बैठे दल को बैनिफिट माना जाता है। मगर, हरियाणा में ऐसा नहीं है। भाजपा बरोदा और ऐलनाबाद उपचुनाव हार चुकी है। ऐसी ही 3 बड़ी वजहें हैं, जिसने आदमपुर उपचुनाव को हॉट सीट का मुकाबला बना दिया है।
पहली… यहां पूर्व CM चौधरी भजनलाल के परिवार की साख दांव पर है। उनकी तीसरी पीढ़ी के भव्य बिश्नोई भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
दूसरी … भाजपा के 3 साल के शासनकाल में यह तीसरा उपचुनाव है। बरोदा और ऐलनाबाद की हार के बाद भाजपा की साख यहां दांव पर लगी हुई है।
तीसरी … आदमपुर की जनता का मिजाज। इस सीट पर पिछले 19 साल में सत्ता विरोधी दल का ही उम्मीदवार जीता।
इस सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा के भव्य बिश्नोई और कांग्रेस के जय प्रकाश के बीच माना जा रहा है लेकिन आम आदमी पार्टी के सतेंद्र सिंह भी चौंका सकते हैं। वहीं कांग्रेस छोड़ इनेलो में गए किसान नेता कुरडाराम नंबरदार भी दमखम दिखा रहे हैं।
अब सीट पर हार-जीत के कयास देखिए
आदमपुर सीट पूर्व CM भजन लाल परिवार का गढ़ है। उनका परिवार रिकॉर्ड 54 साल से इस सीट पर जीतता आ रहा है। संभवत: देश में यह पहला ऐसा परिवार होगा। जिसका असर भी मतदाताओं में नजर आता है। हालांकि भव्य के पिता कुलदीप बिश्नोई से नाराजगी भी है कि वह लोगों से मिलते नहीं हैं। सीधा संवाद नहीं करते।
कांग्रेस ने यहां पूरा जोर लगा रखा है। आदमपुर से जीत के बाद 2024 में कांग्रेस इसी रास्ते सत्ता में आने की जोर-आजमाइश कर रही है। कुलदीप बिश्नोई से मतदाता की नाराजगी का फायदा उम्मीदवार जयप्रकाश को हो सकता है लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी ही उनकी सबसे बड़ी चुनौती है।
आम आदमी पार्टी के सतेंद्र सिंह के पास सिर्फ चौंकाने का एक बेनिफिट नजर आता है। हाल ही में पंजाब चुनाव में भी आप ने सबको चौंका दिया था। AAP को यहां कोई चमत्कार होने की ही उम्मीद है।
इनेलो के पास खोने को कुछ ज्यादा नजर नहीं आता। यही वजह है कि कांग्रेस से आए कुरडाराम नंबरदार को महज 2 घंटे में शामिल कर उम्मीदवार बना दिया। वह जीत के नजदीक पहुंचते हैं या सिर्फ कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने तक सीमित रहते हैं, इसको लेकर मतदाताओं के बीच भी चर्चा जरूर है।
कुल मिलाकर आदमपुर के मतदाता को अपने पूर्व विधायक यानी कुलदीप बिश्नोई का उनके बीच न रहना खल रहा है लेकिन सतापक्ष में हिस्सेदारी का 26 साल का वनवास खत्म करने की उम्मीद भी दिखाई दे रही है।
चुनाव में विकास की जगह यह दिलचस्प मुद्दे
आदमपुर उप चुनाव पूर्व विधायक से जनता से संवाद, 200 करोड़ की ED रेड, परिवारवाद, विलायती, कलायती, बागड़ी, क्षेत्र की सत्ता में भागीदारी जैसे दिलचस्प मुद्दे उठ रहे हैं। विकास की बात पीछे छूटती नजर आ रही है। नेताओं ने इसे जातिगत चुनाव का भी रूप देने की पूरी कोशिश की है। जाट और नॉन जाट का मुद्दा खड़ा किया जा रहा है। चुनाव में वंशवाद की राजनीति को खत्म करने के लिए जनता से वोट मांगा जा रहा है।
भजनलाल की तीसरी पीढ़ी चुनाव मैदान में
आदमपुर में भजनलाल की तीसरी पीढ़ी में भव्य बिश्नोई इस उप चुनाव के मैदान में है। आदमपुर की जनता आज तक भजन लाल परिवार के साथ ही रही है। भव्य के पास राजनीति का कोई लंबा-चौड़ा अनुभव नहीं है लेकिन दादा भजनलाल की विरासत के सहारे वह चुनावी जीत की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
कांग्रेस के जयप्रकाश
3 बार के लोकसभा सांसद और विधायक जयप्रकाश राजनीति के मंझे खिलाड़ी है। जयप्रकाश अपनी ठेठ देसी और स्पष्टवादी चुनावी भाषा से मतदाता को रिझा रहे हैं। कांग्रेस ने इस उप चुनाव में जेपी को उतार भाजपा को चिंता में डाल दिया है। जयप्रकाश इस सीट पर वर्ष 2009 में भी कुलदीप बिश्नोई को कांटे की टक्कर दे चुके हैं
आप उम्मीदवार सतेंद्र सिंह
आदमपुर उप चुनाव में आप ने सतेंद्र सिंह को चुनावी मैदान में उतारा। सतेंद्र सिंह इससे पहले भाजपा में थे। 2014 में कांग्रेस की टिकट पर कुलदीप बिश्नोई के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। 2019 में टिकट की इच्छा से भाजपा में गए। कुलदीप के इस्तीफा देने के बाद वह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए।
इनेलो का कुरडा नंबरदार
इनेलो उम्मीदवार कुरडा नंबरदार इस उप चुनाव में कांग्रेस की टिकट न मिलने पर इनेलो में शामिल हो गए। इनेलो के पास इस उप चुनाव में कोई बड़ा चेहरा नहीं था, इसलिए किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले कुरडा नंबरदार को इनेलो ने टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार दिया। कुरडा नंबरदार इससे पहले 1996 में हरियाणा विकास पार्टी की टिकट पर चौधरी भजनलाल के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं।
इस वजह से आदमपुर में उपचुनाव हो रहा
- हरियाणा के पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुलदीप बिश्नोई के बीच राजनीतिक महत्त्वकांक्षा को लेकर छत्तीस का आंकड़ा है। हरियाणा कांग्रेस की तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने 9 अप्रैल 2022 को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। उनका भूपेंद्र हुड्डा से तालमेल नहीं बैठा। हालांकि एक नाटकीय घटनाक्रम के बाद 27 अप्रैल को उनका इस्तीफा स्वीकार किया गया।
- इसके बाद कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की दौड़ में थे। हुड्डा भी अपने बेटे और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा को प्रदेशाध्यक्ष बनाना चाहते थे। परंतु एकाएक हुड्डा ने दलित नेता उदयभान का नाम हाईकमान के सामने रख दिया और कामयाब रहे।
- राहुल गांधी के दरबार में कुलदीप बिश्नोई की सुनवाई नहीं हुई। नाराज कुलदीप ने राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन की बजाय भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा को वोट दिया।
- अजय माकन चुनाव हार गए। इसके बाद पार्टी ने कुलदीप को कांग्रेस वर्किंग कमेटी मैंबर के पद से हटा दिया। 3 अगस्त को कुलदीप ने विधायक पद से इस्तीफा देकर 4 अगस्त को भाजपा जॉइन कर ली।