राजस्थान की 43 प्रोटेक्टेड साइट में भी नहीं मानगढ़:PM मोदी ने नहीं की घोषणा, चाहे तो राज्य सरकार भी संवार सकती है

मानगढ़ धाम का पीएम का दौरा पूरा होने के साथ ही इसपर राजनीति तेज हो गई। माना जा रहा था कि पीएम मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करेंगे। मगर ऐसा हुआ नहीं। हालांकि पीएम ने इसे भव्य बनाने के लिए चार राज्यों की सरकारों को मिलकर रोडमैप तैयार करने के लिए कहा मगर घोषणा नहीं की। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस हमलावर हो गई और इस कार्यक्रम को भीड़ इकठ्‌ठा करने के लिए राजनीतिक कार्यक्रम बता दिया। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित कई नेताओं ने इसे जनता के साथ धोखा और पाप तक कह डाला।

वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने भी पलटवार किया। राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कांग्रेस को सलाह दे डाली कि इतने वर्षों में उन्होंने कुछ क्यों नहीं किया। मानगढ़ को लेकर इस पूरे बवाल को हमने समझने की कोशिश की तो सामने आया कि सरकारें चाहे किसी भी पार्टी की रही हों मानगढ़ सिर्फ और सिर्फ राजनीति के लिए ही इस्तेमाल होता आया।

मानगढ़ धाम पर नेताओं के दौरे होते रहे हैं। चुनाव के आसपास बीजेपी और कांग्रेस के नेता यहां आकर आदिवासी समुदाय से वोट मांगते रहे हैं। मगर कोई भी पार्टी मानगढ़ को ना ही एएसआई से इसे प्रोटेक्ट करवा पाई। ना ही स्टेट आर्किओलॉजी डिपार्टमेंट से इसे संवारा या इसका संरक्षण किया गया।

पहले समझते हैं इसकी एतिहासिक महत्वता

मानगढ़ के एतिहासिक महत्व की बात की जाए तो मंगलवार को पीएम मोदी के कार्यक्रम से ही पता चल जाता है कि इसका एतिहासिक महत्व कितना है। 1913 में अंग्रेजों ने 1500 से ज्यादा आदिवासियों को गोलियों से भून दिया था। इतिहासकारों और जानकारों का कहना है कि ये सबसे बड़ा नरसंहार था।

इसी के ठीक 6 साल बाद 1919 में अमृतसर में जलियांवाला बाग में भी कुछ इसी तरह का नरसंहार हुआ। सैकड़ों लोग मारे गए। हालांकि मरने वालों की संख्या अब भी स्पष्ट नहीं है। मगर इस नरसंहार ने भारतीय इतिहास के पन्नों में बड़ी जगह ली। दुनियाभर के इतिहास, किस्से, कहानियों में इस नरसंहार का जिक्र मिलता है। इस नरसंहार के साथ मानगढ़ में हुए हत्याकांड को भुला दिया गया।

क्यों जलियावाला बाग से ज्यादा महत्व रखता है मानगढ़

इसे लेकर आर्किओलॉजिस्ट जीवन सिंह खड़कवाल बताते हैं कि मानगढ़ को 100 प्रतिशत हैरिटेज में जगह मिलनी चाहिए। जिनकी मौत हुई उन्होंने देश के लिए ही बलिदान दिया था। दोनों जगह अंग्रेजों ने वैसा ही किया। यह जलियांवाला बाग से ज्यादा महत्व रखता है। वहां लोग बैठकर अपनी मंत्रणाएं कर रहे थे। भारत की आजादी से जुड़ा इतना बड़ा बलिदान दिया गया है तो इसका हैरिटेज महत्व होना चाहिए।

बता दें कि पिछले साल ही जलियांवाला बाग काॅम्पलैक्स का एएसआई यानी ऑर्किओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने रेस्टोरेशन किया था। इस दौरान पूरे कॉम्पलेक्स को री-स्टोर किया गया। यहां लाइट एंड साउंड शो भी शुरू किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल यहां चार नई गैलेरीज का उद्घाटन भी किया था। एएसआई लगातार जलियांवाला बाग के रेस्टोरेशन पर काम कर रही है। इसी वजह से बड़ी संख्या में यहां पर्यटक, रिसचर और स्टूडेंट पहुंचते हैं।

किस तरह से एएसआई करती है प्रोटेक्ट

आर्किओलॉजिस्ट खड़कवाल बताते हैं कि कोई भी पुरातात्विक स्थल हो या हैरिटेज साइट हो। एएसआई एकमात्र ऐसी एजेंसी है जो इसको प्रिजर्व करती है। इसके लिए सम्बंधित सर्किल का ऑफिसर आर्किलॉजिस्ट प्रपोजल देता है। इसमें जगह को क्यों प्रोटेक्ट करना है, कितना एरिया प्रोटेक्ट करना है। इसकी रिपोर्ट तैयार कर दिल्ली एएएसआई दफ्तर भेजी जाती है। इसके बाद एएएसआई डीजी एक कमेटी बनाकर जगह पर भेजता है कि इसे प्रोटेक्ट करना चाहिए या नहीं। रिपोर्ट में पूरा प्लान और मैप तैयार किया जाता है। कोई भी सामान्य व्यक्ति किसी भी हैरिटेज साइट को कंसर्व करने की मांग कर सकता है।

स्टेट आर्किओलॉजी विभाग ने नहीं किया कुछ

मानगढ़ को लेकर अलग-अलग सरकाराें में पैसा स्वीकृत और खर्च तो हुआ। मगर इसे कंसर्व और प्रोटेक्ट करने के लिए खास कदम नहीं उठाए गए। आर्किओलॉजिस्टस का मानना है कि स्टेट आर्कियोलॉजी के लिए यह करना आसान है। मगर इसे प्रोटेक्ट नहीं किया गया। राजस्थान की स्टेट आर्किऑलॉजी के अधीन प्रोटेक्टेड 43 साइट्स में मानगढ़ धाम का नाम नहीं है।

अगर एएसआई नहीं कर रही तो आर्कियोलॉजी टेकअप करे

आर्किओलॉजिस्ट जीवन सिंह खड़कवाल बताते हैं कि ये जो मानगढ़ जलियांवाला बाग से किसी तरह महत्वता कम नहीं है। इसे शहीद स्मारक के रूप में निश्चित रूप से घोषित किया जाना चाहिए। स्टेट ऑर्किलिॉजी या एएसआई। अगर एएसआई नहीं कर रही है तो स्टेट आर्किओलॉजी डिपार्टमेंट को टेकअप करना चाहिए।

ना मंत्री को पता ना प्रिंसिपल सैक्रेटरी दे पाई जवाब

इस मामले को लेकर स्टेट आर्कियोलाॅजी विभाग कोई जवाब नहीं दे पाया। विभाग की राज्यमंत्री जाहिदा खान से पूछा गया तो उन्होंने मंत्री बीडी कल्ला पर डाल दिया। बोलीं वैसे कल्ला जी ज्यादा बेहतर बता सकते हैं। मगर इसपर अगर अबतक ध्यान नहीं गया तो हम अब ध्यान देंगे। वहीं प्रिंसिपल सेक्रेटरी भी इस मसले पर बिना जवाब दिए सिर्फ एक्ट की दुहाई देती नजर आईं। कई बार पूछने के बाद भी प्रिंसिपल सेक्रेटरी गायत्री ए राठौड़ ने यह नहीं बताया कि स्टेट आर्कियोलॉजी विभाग इसपर क्या कर रहा है। हालांकि उन्होंने पीएम के भाषण का जिक्र करते हुए चार राज्यों की ओर से रोडमैप बनाने की बात कही।