तकनीकी क्षेत्र में होने वाले प्रयोगों से युवाओं के लिए निरंतर रोजगार के नये अवसर सृजित हो रहे हैं। इन दिनों मेटावर्स में युवाओं की गहरी रुचि देखी जा रही है। कई भारतीय स्टार्टअप भी मेटावर्स तकनीक का उपयोग कर अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। गेमिंग, ई-कामर्स कंपनियों के अलावा डिजिटल मीडिया, एजुकेशन, फैशन इंडस्ट्री आदि में मेटावर्स के कुशल डेवलपर्स एवं डिजाइनर्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। जानें इस क्षेत्र में कैसे बढ़ें आगे…
बैंक आफ अमेरिका ने मेटावर्स को भविष्य की उन 14 तकनीकों में शामिल किया है, जो हमारी जिंदगी में क्रांतिकारी बदलाव लाने का दमखम रखती हैं। आज जिस तरह से रिटेल, लाजिस्टिक्स एवं ग्राहक सेवा प्रदाता उद्योगों में मेटावर्स का उपयोग किया जा रहा है, उससे निकट भविष्य में अन्य उद्योगों द्वारा भी इसे अपनाए जाने की संभावना प्रबल हो गई है। हाल ही में रिलायंस कंपनी ने अपने हितधारकों के साथ जुड़ने के लिए मेटावर्स का इस्तेमाल किया। कारपोरेट इंडिया के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। जीमेट्री के साथ साझेदारी में आरआइएल मेटावर्स का निर्माण किया गया है। इसमें शेयरधारक वास्तविक समय में अवतार के रूप में भाग ले सकते हैं। यहां तक कि कंपनी के संचालन पर भी करीब से नजर डाल सकते हैं।
मेटावर्स और उससे होने वाले बदलाव: दरअसल, मेटावर्स एक प्रकार की आभासी दुनिया है। यहां कुछ भी वास्तविक नहीं। इस तकनीक से हम वर्चुअल आइडेंटिटी के जरिये डिजिटल दुनिया में प्रवेश करते हैं अर्थात् हमारा शरीर वहां नहीं होता। हमारी जगह हमारा एक रूप (अवतार) वहां मौजूद होता है। यह एक अलग ही संसार होता है, जहां हमारी पहचान भी अलग होती है। मेटावर्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आग्युमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, मशीन लर्निंग और ब्लाकचेन टेक्नोलाजी जैसी कई तकनीकों को मिलाकर काम करता है। इसके लिए वर्चुअल हेडसेट, एमआर हेडसेट, स्मार्ट ग्लासेज एवं हेलमेट की जरूरत होती है, जिसके माध्यम से हम वर्चुअल दुनिया में प्रवेश करते हैं। इसे कुछ इस तरह से समझा जा सकता है, मेटावर्स में हम और हमारे दोस्तों, सहकर्मियों और वैसे लोगों के भी वर्चुअल 3डी अवतार होंगे, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। हम उन सबसे बात कर सकेंगे। उनके साथ खेल सकेंगे। इससे कार्यस्थल पर भी आमूल चूल बदलाव दिखेगा। लोगों की उत्पादकता बढ़ेगी। दूर बैठे कर्मचारी भी रियल टाइम में आफिस के कांफ्रेंस में शामिल हो सकेंगे। मेटावर्स में घर बैठे दुनिया के किसी भी कोने की सैर की जा सकेगी। सुदूर इलाके में रहने वाला स्टूडेंट अपने 3डी अवतार के जरिये देश-विदेश के किसी स्कूल या कालेज से क्लास कर सकेगा। दुकान में गए बिना वहां की वस्तुओं को देखा जा सकेगा।
बढ़ रहीं संभावनाएं: दुनिया की शीर्ष ग्लोबल रिसर्च एवं कंसल्टिंग फर्म ‘वेरिफाइड मार्केट रिसर्च’ का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक मेटावर्स का वैश्विक बाजार करीब 9.5 अरब डालर से अधिक का हो जाएगा। इसका सबसे ज्यादा असर गेमिंग की दुनिया में देखने को मिलेगा, जहां अब वर्चुअल आग्युमेंटेड रियलिटी जैसी टेक्नोलाजी का सही मायने में उपयोग हो रहा है। इसके अलावा, ई-कामर्स प्लेटफार्म्स पर भी मेटावर्स का प्रयोग बढ़ेगा। इससे आनलाइन खरीदारी का तरीका बदल जाएगा। वेबसाइट पर ही कपड़ों के ट्रायल लिए जा सकेंगे। नई चीजें खरीदने से पहले वर्चुअली उन्हें परखा जा सकेगा। साथ ही मेटावर्स पर प्रशिक्षण व साक्षात्कार का चलन बढ़ेगा, जिससे कारपोरेट सेक्टर में भी इसका अनेक तरह से उपयोग होगा। ऐसे में टेक एवं गेमिंग कंपनियों के अलावा, कारपोरेट्स को बड़ी संख्या में गेम डिजाइनर्स, एआर प्लेटफार्म के लिए साफ्टवेयर इंजीनियर्स, एनएफटी स्ट्रेटेजिस्ट, प्रोडक्ट मैनेजर्स की आवश्यकता होगी। इस समय फेसबुक (मेटा), माइक्रोसाफ्ट, बाइटडांस, रोब्लाक्स, यूनिटी, एपिक गेम्स, टेनसेंट, जेडक्यूगेम जैसी कंपनियां मेटावर्स टेक्नोलाजी का बड़े पैमाने पर प्रयोग कर रही हैं।
बुनियादी कुशलता: जेटकिंग इंफोट्रेन के सीईओ हर्ष भरवानी के अनुसार, मेटावर्स में करियर बनाने के लिए प्रोग्रामिंग, साफ्टवेयर डेवलपमेंट एवं टेक्नोलाजी से संबंधित कौशल जरूरी हैं। खासकर मेटावर्स डेवलपर बनने के लिए जावा, स्विफ्ट, पाइथन जैसे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जानकारी होना बेहद आवश्यक है। इनके अलावा, लाजिक मैनेजमेंट, लूप्स की जानकारी भी होनी चाहिए। एक मेटावर्स डेवलपर को गेमिंग, नेट डेवलपमेंट, मोबाइल एप डेवलपमेंट के तहत विभिन्न प्रकार के एप्स विकसित करने होते हैं, इसलिए उनके पास साफ्टवेयर डेवलपमेंट स्किल्स होनी चाहिए। चूंकि मेटावर्स का इस्तेमाल हर प्रकार की डिवाइस में होता है, इसलिए डेवलपर को ध्यान रखना होगा कि उनके द्वारा निर्मित एप हर प्लेटफार्म पर संचालित किया सके। उनके पास रचनाशीलता एवं कल्पनाशीलता भी होनी चाहिए। इन सबके अलावा, डेवलपर के पास एनिमेशन एवं ग्राफिक्स का ज्ञान होने से ग्राहकों की जरूरतों एवं बाजार की मांग के अनुसार एप विकसित करना आसान होगा। टेक्नोलाजी के क्षेत्र में वैसे ही सीखने की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। जितना सीखेंगे, उतना फायदा होगा।
करियर के प्रमुख विकल्प
-एनएफटी डिजाइनर
-एआर एवं वीआर डिजाइनर
-3डी माडलर
-वर्चुअल फैशन डिजाइनर
-मेटावर्स मार्केटिंग स्पेशलिस्ट
-साफ्टवेयर इंजीनियर्स (एआर प्लेटफार्म)
-गेम डिजाइनर्स
-ब्लाकचेन मैनेजर
-अवतार क्लोदिंग डिजाइनर्स
-मेटावर्स इवेंट डायरेक्टर्स
-मेटावर्स हार्डवेयर क्रिएटर
-वेब 3 डेवलपर
-साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट
-क्रिप्टो आर्टिस्ट
डेवलपर बनने की बढ़ रही रुचि
‘वेब 3’ टेक्नोलाजी एवं मेटावर्स का भविष्य बेहद सुनहरा है। भारतीय युवा मेटावर्स, एनएफटी, ब्लाकचेन आधारित गेम डेवलपमेंट में गहरी रुचि भी दिखा रहे हैं। एक सर्वे के अनुसार, करीब 41 प्रतिशत युवा बतौर डेवलपर इस क्षेत्र में भविष्य बनाने के इच्छुक हैं। वहीं, प्राइस वाटर हाउस कूपर्स के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, आने वाले दस वर्षों में दुनिया भर में लगभग 2.3 करोड़ नौकरियों में मेटावर्स का प्रयोग होने की उम्मीद है यानी इस क्षेत्र में अपने पांव जमाने के लिए नई-नई तकनीकों से अपडेट रहना होगा। मेटावर्स के क्षेत्र में जो भी नवोन्मेष हो रहे होंगे, तकनीक में जो भी बदलाव आ रहे होंगे, उनकी जानकारी रखनी होगी। इनके अलावा, अपनी साफ्ट स्किल्स पर भी विशेष ध्यान देना होगा। इससे नेटवर्क और अपनी पहचान बनाने में सहायता मिलेगी।