बेहतर व्यक्तित्व निर्माण के लिए बच्चों में क्षमा मांगने की प्रवृत्ति बेहद जरूरी

बेहतर व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया धीमी और दूरगामी प्रभाव वाली होती है। बचपन से ही अगर इसकी नींव रखी जाए तो बहुत ही अच्छे परिणाम मिलते हैं। इसके लिए एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करने के साथ ही क्षमा का विशेष महत्व है। क्षमा मांगना व्यक्तित्व का एक अच्छा गुण है। इसी तरह किसी को क्षमा कर देना भी अच्छे व्यक्तित्व की पहचान है। जिसके पास क्षमा का गुण है, वे हमेशा प्रसन्नचित रहते हैं और उसके शत्रु भी नहीं होते हैं।

विज्ञानियों ने हाल में ही एक अध्ययन किया है, जिसमें बताया गया है कि जब बच्चों को लोगों के दृष्टिकोण को समझना सिखाया जाता है तो उनके लिए यह सीखना आसान हो सकता है कि अन्य लोगों को कैसे क्षमा करें। अध्ययन में यह भी पाया गया कि अगर बच्चों को ईमानदारी से माफी मांगना सिखाया जाए तो उन्हें दूसरों से क्षमा प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

अध्ययन के प्रमुख लेखक और उत्तरी कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के सहयोगी प्रोफेसर केली लिन मुलवे कहते हैं कि बच्चों और वयस्कों में बेहतर संबंध स्थापित करने और भविष्य के टकराव को सीमित करने के लिए क्षमा महत्वपूर्ण है। इस अध्ययन में मुलवे और उनके सहयोगियों ने 5 से 14 वर्ष के 185 बच्चों को शामिल किया।

शोधकर्ताओं ने प्रत्येक बच्चे से लंबी बातचीत की और उनके पृष्ठभूमि की जानकारी एकत्र की। शोध टीम ने बच्चों के “मन के सिद्धांत” कौशल यानी थ्योरी आफ़ माइंड का आकलन किया। मन का सिद्धांत यह समझने की आपकी क्षमता है कि किसी और के विश्वास, इरादे और इच्छाएं आपके स्वयं से कितने अलग हैं। शोधकर्ताओं ने बच्चों को अलग-अलग समूह में विभाजित किया। अध्ययन के तीन मुख्य निष्कर्ष निकाले गए। सबसे पहले, अगर बच्चों ने माफी मांगी है, तो वे किसी को माफ करने की अधिक संभावना रखते हैं। दूसरा, बच्चे “समूह में” लोगों को क्षमा करने की अधिक संभावना रखते हैं। तीसरा, एक बच्चे की थ्योरी आफ़ माइंड स्किल्स जितनी अधिक उन्नत होती हैं, उतनी ही अधिक संभावना है कि वे दूसरों को क्षमा कर दें। मुलवे ने कहा कि हमने पाया कि बच्चों में दूसरों को क्षमा करने की परिष्कृत क्षमता होती है। बच्चे दूसरों के साथ संबंध बहाल करने में सक्षम हैं, और आमतौर पर ऐसा करने में रुचि रखते हैं। शोधकर्ताओं ने दो चीजों की पहचान की कि माता-पिता और शिक्षक क्षमा का महत्व बच्चों को समझाना चाहते हैं। इससे बच्चों को यह समझने में मदद मिलती है कि सार्थक तरीके से माफी मांगना कितना महत्वपूर्ण है।

मुलवे ने बताया कि हमारे अध्ययन के सबसे बड़े निहितार्थों में से एक यह है कि शिक्षकों और माता-पिता को बच्चों के थ्योरी आफ़ माइंड स्किल्स को विकसित करने में सक्रिय रूप से मदद करने की आवश्यकता है। इससे बच्चों को यह समझने में मदद मिलती है कि क्षमा मांगने और क्षमा करने से बेहतर माहौल का निर्माण होता है और वे लोगों को बेहतर अनुभव कराने में समर्थ बन पाते हैं। यदि बच्चे गलती कर दें, लेकिन उसके लिए माफी नहीं मांगे और कोई माफी मांगने पर भी सामने वाले को माफ न करे तो ऐसे लोगों के व्यक्तित्व में अहंकार संबंधी विकार पैदा हो जाता है।