ट्विटर के बाद अब मेटा (जिसे पहले फेसबुक के नाम से जाना जाता था) कई कर्मचारियों की छंटनी करने की योजना बना रहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में ये दावा किया गया है। निकाले जाने वाले लोगों की सही संख्या अभी स्पष्ट नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस हफ्ते के अंत तक छंटनी शुरू हो जाएगी। 2004 में अपनी स्थापना के बाद से कंपनी की यह अब तक की सबसे बड़ी छंटनी हो सकती है।
मेटा में 87,314 कर्मचारी
सितंबर 2022 के अंत तक, मेटा में 87,314 कर्मचारी थे। मेटा वर्तमान में वॉटेसऐप, इंस्टाग्राम और फेसबुक सहित दुनिया के कुछ सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का मालिक है। हालांकि, कंपनी मेटावर्स पर अपना खर्च बढ़ा रही है। मेटावर्स एक आभासी दुनिया है जहां यूजर अपने स्वयं के अवतार बना सकते हैं। लॉ एडॉप्टेशन रेट और महंगे R&D के कारण कंपनी को लगातार घाटा हुआ है। छंटनी से वित्तीय संकट कुछ कम होने की उम्मीद है।
मेटावर्स में इन्वेस्टमेंट से नुकसान
पिछले महीने के अंत में, मेटा ने दिसंबर क्वार्टर के रेवेन्यू आउट लुक की घोषणा की थी। कंपनी ने कहा था की कि अगले साल मेटावर्स में इन्वेस्टमेंट के कारण उसे काफी नुकसान होगा। इस जानकारी के सामने आने के बाद से कंपनी के शेयरों की कीमत में भारी गिरावट आई है। मेटा का शेयर इस साल 70% से ज्यादा टूट चुका है।
हालांकि, मेटा के CEO मार्क जुकरबर्ग ने निवेशकों से ब्रांड में विश्वास करने के लिए कहा। उन्होंने दावा किया जो कंपनी के साथ बना रहेगा उन्हें उसका फायदा जरूर मिलेगा।
मेटावर्स क्या है और फेसबुक ने इसी नाम को क्यों चुना?
वर्चुअल रियलिटी के नेक्स्ट लेवल को मेटावर्स कहा जाता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो मेटावर्स एक तरह की आभासी दुनिया है। इस तकनीक से आप वर्चुअल आइडेंटिटी के जरिए डिजिटल वर्ल्ड में एंटर कर सकेंगे। यानी एक पैरेलल वर्ल्ड जहां आपकी अलग पहचान होगी।
उस पैरेलल वर्ल्ड में आप घूमने, सामान खरीदने से लेकर, इस दुनिया में ही अपने दोस्तों-रिश्तेदारों से मिल सकेंगे। भविष्य में इस टेक्नोलॉजी के एडवांस वर्जन से चीजों को छूने और स्मेल करने का अहसास कर पाएंगे। मेटावर्स शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल साइंस फिक्शन लेखक नील स्टीफेन्सन ने 1992 में अपने नोबेल ‘स्नो क्रैश’ में किया था।
ट्विटर ने करीब आधे कर्मचारियों को निकाला
एलन मस्क ने ट्विटर को खरीदने के साथ ही दुनिया भर में कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है। ट्विटर के कुल 7,500 स्टाफ में से करीब आधे को निकाल दिया गया है। भारत में ट्विटर के 200 से ज्यादा कर्मचारियों थे, जिनमें में से ज्यादातर को निकाल दिया है। इंजीनियरिंग, सेल्स, मार्केटिंग और कम्युनिकेशन टीमों में छंटनी की गई है।
कर्मचारियों को तीन तरह के ईमेल
ट्विटर के कर्मचारियों को तीन तरह के ईमेल भेजे हैं। एक ईमेल उन लोगों के लिए है जिन्हें निकाला नहीं गया है, एक उन लोगों के लिए है जिन्हें निकाल दिया गया है जबकि एक मेल उन लोगों के लिए है जिनकी नौकरी अभी भी अधर में है।
कंपनी को रोजाना 32 करोड़ का नुकसान
छंटनी पर मस्क ने कहा था, ‘जब कंपनी को रोजाना 40 लाख डॉलर (32.77 करोड़ रुपए) का नुकसान हो रहा है, तो हमारे पास कर्मचारियों को हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। जिन्हें भी निकाला गया है, उन्हें 3 महीने का सेवरेंस दिया गया है, जो कि कानूनी तौर पर दिए जाने वाले अमाउंट से 50% ज्यादा है।