बच्चे ने तितली पकड़ कर छोड़ दी, आज मुझ को भी खुदा अच्छा लगा…
– नजीर कैसर
करिअर फंडा में स्वागत!
डिजिटल दुनिया का मायाजाल
अब हम पूरी तरह से एक डिजिटल दुनिया में रहते हैं। स्मार्टफोन, आईपैड, टैबलेट, कंप्यूटर – ऐसा लगता है जैसे हर कोई प्लग-इन और कनेक्टेड है। भारतीय शहरों में, 1996 और 2012 के बीच पैदा हुई पीढ़ी, जिसे iGen कहा जाता है, इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। अनेकों फायदे तो हैं ही, लेकिन एक गहरा नुकसान भी है।
अत्यधिक स्क्रीन टाइम का दिमाग पर घातक असर
दो या तीन दो घंटे से अधिक स्क्रीन समय का मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव होने लगता है जैसे (1) ग्रे मैटर में कमी और उसका व्हाइट मैटर में परिवर्तन, (2) लगातार डोपमीन हॉर्मोन रिसाव से होने वाले नेगेटिव प्रभाव – ये अब अधिकतर विशेषज्ञ स्वीकार करते हैं। इससे खुशी में कमी, चिंता और अवसाद में वृद्धि और युवाओं में आत्मघाती विचारों और प्रयासों में वृद्धि देखी गई है।
स्क्रीन टाइम के उपयोग से डोपमीन का स्राव उसी तरह होता है जैसे कोकीन जैसी दवाएं मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं। ब्रेन में इन चेंज से पढ़ाई में ध्यान न लगना, याद रखने में कठिनाई, सोचने, पढ़ने और गहरे स्तर पर लिखने की क्षमता में परिवर्तन हो सकता है।
लेकिन इसका सॉल्यूशन है। हताश होने के बजाय, पेरेंट्स इन बातों पर ध्यान दें।
बच्चों में स्क्रीन टाइम कम करने के 5 पावरफुल तरीके
1) स्क्रीन टाइम के लिए सीमा निर्धारित करें
आपका गोल स्क्रीन समय को खत्म करना नहीं बल्कि स्क्रीन के उपयोग को मॉडरेट और नियंत्रित करना होना चाहिए।
A. स्क्रीन टाइम कुछ नकारात्मक परिणामों से जरूर जुड़ा है, लेकिन ये यह मादक द्रव्यों के सेवन या अव्यवस्थित खाने जितना बुरा नहीं है। इस सब को देखते हुए, गोल स्क्रीन टाइम पूरी तरह बैन करना नहीं होना चाहिए, बल्कि स्क्रीन के उपयोग को नियंत्रित करना होना चाहिए।
B. इसके लिए मॉडरेट एप्रोच ही काम आएगी।
C. पोर्टेबल स्क्रीन अधिक इंटरफियर करती हैं, शायद इसलिए क्योंकि हम पोर्टेबल स्क्रीन को सामाजिक वातावरण में ले जा पाते हैं (जैसे बेडरूम)।
2) चर्चा करना
अपने बच्चों के साथ अत्यधिक स्क्रीन टाइम पर होने वाले रिसर्च पर चर्चा करें।
A. उन्हें बताएं कि यह कैसे निर्धारित किया जाए कि वे अधिक समय स्क्रीन पर बिता रहे हैं।
B. अपनी अपेक्षाओं को स्पष्ट रूप बताते हुए, बातचीत के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाएं।
C. इंटरनेट सुरक्षा और साइबर- खतरों के बारे में स्पष्ट चर्चा करें। जब भी संभव हो, उनके के साथ स्क्रीन से संबंधित गतिविधियों पर बातचीत करें।
D. उनसे देखी गई फिल्मों और खेले गए गेम्स के बारे में प्रश्न पूछें।
3) अधिक फिजिकल एक्टिविटी में पार्टिसिपेट करना
बच्चे जितनी फिजिकल एक्टिविटी करेंगे उतनी ही स्क्रीन टाइम की ललक कम होती जाएगी।
A. उन्हें मोटिवेट करें गेम्स, स्पोर्ट्स, आउटडोर, ट्रैकिंग, डांस, सिंगिंग और दोस्तों के साथ बाहर जाने के लिए
B. जब आस-पास बाहर जाएं, तब मोबाइल या तो न ले जाएं, या ज्यादातर ऑफलाइन मोड पर रखें
C. उन्हें फिजिकल बुक्स लेकर दें, हर बार इलेक्ट्रॉनिक नहीं
4) तकनीक का प्रयोग करें
उदाहरण के लिए Apple के ‘स्क्रीन टाइम’ या Google के ‘फैमिली लिंक’ ऐप का उपयोग स्क्रीन समय को सीमित करने में मदद करने का एक तरीका हो सकता है।
A. ‘स्क्रीन टाइम’ से आपको ऐसी रिपोर्ट्स तुरंत मिल जाती है, जिसमें दिखाया होता है कि आपने आईफोन, या आईपैड पर कितना समय बिताया है।
B. इसी प्रकार ‘फैमिली लिंक’, डिवाइसेस के लिए एक ‘पेरेंटल कंट्रोल सर्विस’ है। आप ऐसे अन्य ऐप भी खोज सकते हैं।
5) घर में स्क्रीन फ्री ‘टाइम’ और ‘जोन’ बनाएं
परिवार के सभी लोग मिलकर यह निश्चित कर सकते हैं कि ‘डिनर टेबल’ / ‘खाने के स्थान’ या स्टडी रूम में मोबाइल का उपयोग बिल्कुल नहीं करेंगे।
A. आप अपने परिवार पर फिट होते हुआ ऐसा कुछ स्क्रीन फ्री ‘टाइम’ और ‘जोन’ बना सकते हैं।
B. एक परिवार के रूप में कुछ दिनों या घंटों के लिए डिजिटल ब्रेक लें।
C. पहली बार यह मुश्किल हो सकता है लेकिन जब आप एक परिवार के रूप में व्यक्तिगत, सामाजिक संबंध समय बढ़ाने के लिए इस समय के उपयोग के फायदे अनुभव करेंगे, तो यह आसान होता जाएगा।
डिजिटल दुनिया के फायदों का पूरा इस्तेमाल करते हुए, इनके नेगेटिव इम्पैक्ट को कम करना खुद की हेल्थ हेतु बहुत जरूरी है।