वाराणसी, उज्जैन और पुष्कर में देव दिवाली:काशी 10 लाख दीयों से रोशन हुई, क्षिप्रा में दीप दान; जगमग हुए पुष्कर के 52 घाट

कार्तिक पूर्णिमा पर देशभर में देव दिवाली मनाई गई। काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर और उज्जैन में महाकाल लोक के विस्तार के बाद यहां पहली बार देव दिवाली की अद्भुत छटा देखने मिली। काशी के 88 घाट पर सोमवार शाम 10 लाख दीप जलाए गए। वहीं क्षिप्रा तट दीप दान से रोशन हो उठा। इसके अलावा राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध पुष्कर के 52 घाट रोशनी से जगमगा रहे थे।

पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। इस खुशी में देवी-देवता काशी के गंगा घाट पर उतरे और अनेकों दीये जलाए। इसीलिए इसे देव दिवाली कहा जाता है। इसी परम्परा के तहत दुनियाभर के श्रद्धालु पावन नदियों में स्नान कर दीपदान करते हैं और देवताओं से आशीर्वाद लेते हैं।

कार्तिक महीने के आखिरी दिन दीपदान जरूर करना चाहिए। अग्निपुराण में कहा गया है कि दीपदान से बढ़कर न कोई व्रत है, न था और न होगा। विद्वानों का कहना है कि पद्मपुराण में भगवान शिव ने भी अपने पुत्र कार्तिकेय को दीपदान का महत्व बताया है।