नोटबंदी के छह साल पूरे हो गए हैं। 2016 की रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात 12 बजे से 1000 रुपए और 500 रुपए के नोट को डिमोनेटाइज यानी प्रचलन से बाहर करने का ऐलान किया था। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद 500 रुपए के नए नोट और 1,000 रुपए की जगह 2,000 रुपए का नोट जारी किया गया था।
ऐसे में आज भी कई लोगों के मन में सवाल है कि क्या नोटबंदी से सरकार का जो लक्ष्य था क्या वो हासिल हुआ? नोटबंदी के बाद से क्या-क्या नए बदलाव देखने को मिले ये भी जानते हैं।
नोटबंदी का लक्ष्य हासिल हुआ?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, लगभग पूरा पैसा (99% से ज्यादा) जो अमान्य हो गया था, बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गया। 15.41 लाख करोड़ रुपए के जो नोट अमान्य हो गए, उनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपए के नोट वापस आ गए। सरकार को उम्मीद थी कि केवल डिमोनेटाइजेशन से बैंकिंग प्रणाली के बाहर कम से कम 3-4 लाख करोड़ रुपए का काला धन है जो खत्म हो जाएगा। लेकिन ये सरकार की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा।
नोटबंदी के बाद कितना काला धन बरामद हुआ?
इसका आकलन करना मुश्किल है कि नोटबंदी के बाद कितना कालाधन बरामद हुआ है। लेकिन फरवरी 2019 में, तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने संसद को बताया था कि डिमोनेटाइजेशन सहित विभिन्न काला धन विरोधी उपायों से 1.3 लाख करोड़ रुपए के काले धन की रिकवरी हुई है। वहीं RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अपनी पुस्तक आई डू व्हाट आई डू में खुलासा किया था कि उन्होंने कभी भी नोटबंदी का समर्थन नहीं किया।
500 और 2000 के 6,849 करोड़ नोट छापे
RBI ने 2016 से लेकर अब तक 500 और 2000 के कुल 6,849 करोड़ करेंसी नोट छापे है। उनमें से 1,680 करोड़ से ज्यादा करंसी नोट सर्कुलेशन से गायब हैं। इन गायब नोटों की वैल्यू 9.21 लाख करोड़ रुपए है। इन गायब नोटों में वो नोट शामिल नहीं हैं जिन्हें खराब हो जाने के बाद RBI ने नष्ट कर दिया।
साल दर साल कम हुआ 2000 के नोट का चलन
देश में साल 2017-18 के दौरान 2000 के नोट सबसे ज्यादा चलन में रहे। तब बाजार में 2000 के 33,630 लाख नोट थे, जिनकी संख्या साल दर साल कम होती गई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI का कहना है कि 2000 को नोट लोग पसंद नहीं करते इसलिए 2019 में ही इसे छापना बंद कर दिया था, लेकिन कई एक्सपर्ट यह मानते हैं कि काला धन जमा करने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल 500 और 2000 के नोटों का होता है। शायद इसी वजह से 2019 से 2000 के नोटों की छपाई ही बंद है।
नोटबंदी के बाद से देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन तेजी से बढ़ा है। इसके बावजूद 342 जिलों में किए गए सर्वे के मुताबिक 76% लोग किराना, रेस्टोरेंट का बिल और फूड डिलीवरी का भुगतान कैश में करते हैं। इसके अलावा नोटबंदी के बाद से अब तक पब्लिक के पास कैश होल्डिंग डेढ़ गुना से ज्यादा हो गई है।
रोजमर्रा की जरूरतों के लिए कैश पेमेंट
रोजमर्रा की जरूरतों के लिए ज्यादातर परिवार कैश पेमेंट करते हैं। यात्रा के दौरान भी करीब एक चौथाई परिवारों ने कैश का इस्तेमाल किया। वहीं बीते एक साल गैजेट शॉपिंग में कैश का इस्तेमाल सबसे कम परिवारों ने किया। लेकिन, गहने जैसी एसेट की खरीदारी में कैश ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है।
पहले से 75% ज्यादा कैश होल्डिंग
8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा के बाद पब्लिक के पास कैश होल्डिंग घटी थी, लेकिन जून 2017 से इसमें लगातार बढ़ोतरी हुई।
पब्लिक कैश होल्डिंग
- 4 नवंबर 2016 को 17.6 लाख करोड़ रुपए की कैश होल्डिंग थी।
- 6 जून 2017 को कैश होल्डिंग 8.98 लाख करोड़ रुपए थी।
- 21 अक्टूबर 2022 को कैश होल्डिंग बढ़कर 30.9 लाख करोड़ हो गई।