कांग्रेस MLA भंवरलाल शर्मा के निधन के बाद सरदारशहर (चूरू) विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। माना जा रहा है कि इस सरकार के कार्यकाल में हुए पिछले उपचुनावों की तरह यहां भी सहानुभूति लहर ही देखने को मिलेगी।
वर्तमान कांग्रेस सरकार में 7 में से 6 चुनाव हारने को लेकर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने यह कहकर चर्चा छेड़ दी है कि कांग्रेस उपचुनाव जीतती है, जबकि मुख्य चुनाव बीजेपी जीतती है। उन्होंने विधानसभा उपचुनाव को 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने किा कि- एक उपचुनाव कभी भी सेमीफाइनल नहीं होता है।
सतीश पूनिया के इस बयान को पिछले उपचुनावों से जोड़कर देखा जाए तो उपचुनाव और मुख्य चुनावों के बीच रोचक संबंध देखने को मिलता है।
जिससे पता चलता है कि कांग्रेस आमतौर पर बीजेपी के मुकाबले उपचुनाव में ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करती है। मगर इसका मतलब ये नहीं कि कांग्रेस मुख्य चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं करती।
कांग्रेस से अनिल शर्मा का नाम तय
सरदारशहर उपचुनाव में कांग्रेस सिम्पैथी फैक्टर को देखते हुए पूर्व विधायक भंवरलाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा को टिकट दे सकती है।
वहीं, दूसरी ओर बीजेपी से पूर्व विधायक अशोक पींचा, जिला प्रमुख हरलाल सहारण, शिवचंद सोहू और सत्यनारायण साहू दावेदारी कर रहे हैं।
सरदारशहर में जाट वर्सेज ब्राह्मण फैक्टर काम करता है। कांग्रेस ब्राह्मण को टिकट दे रही है। ऐसे में भाजपा जाट चेहरे पर दांव लगा सकती है। इसके चलते शिवचंद और हरलाल सहारण की दावेदारी मजबूत है।
9 उपचुनाव कांग्रेस जीती
साल 2013 से 2018 के बीच 6 उपचुनाव हुए। इनमें से 4 कांग्रेस ने जीते। उसके बाद साल 2018 में कांग्रेस ने 100 सीटें जीतीं और सत्ता में वापसी की। वहीं, 2013 से अब तक 13 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। इनमें से सिर्फ 3 सीटों पर बीजेपी चुनाव जीत सकी। जबकि कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत दर्ज की।
लोकसभा उपचुनाव में भी कांग्रेस को जीत
विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा में भी उपचुनाव से कांग्रेस का यह रोचक संयोग देखने को मिलता है। 2014 लोकसभा चुनाव में राजस्थान की सभी 25 सीटें बीजेपी ने जीती।
मगर 2018 में अजमेर और अलवर दो सीटों पर उपचुनाव हुए और दोनों सीटें कांग्रेस ने जीत ली। मगर इसके ठीक एक साल बाद हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी गठबंधन ने पूरी 25 सीटें जीती।