युवाओं में सुपरफिट होने की चाहत:लुक्स के लिए लड़कियों से ज्यादा लड़के परेशान, बढ़ रहा बॉडी डिस्मॉर्फिया

शरीर की सुंदरता और सुडौलता की ओर लोगों का ध्यान बढ़ा है, लेकिन यह आकर्षण खुद मर्ज बन गया है। आजकल अपने लुक और बॉडी शेप की वजह से लड़कियों से ज्यादा लड़के परेशान हैं। ब्रिटेन में हुई स्टडी के मुताबिक, 54% पुरुष और 49% महिलाएं बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर (BDD) से ग्रसित हैं।

यह एक ऐसी मानसिक बीमारी है, जिसमें सुपरफिट और खूबसूरत होने की चाहत हद से ज्यादा हो जाती है। यह चाहत लड़कों में ज्यादा बढ़ी है। जिम जाने वाला हर 10वां पुरुष मसल डिस्मॉर्फिया यानी अच्छी मांसपेशियों की चाहत से पीड़ित है।

लोगों पर खूबसूरती के पैमाने पर फिट होने का दबाव
यूके के काउंसिल ऑफ फिजियोथेरेपी की प्रवक्ता एरेन हादजियोनाऊ कहती हैं- डिस्मॉर्फिया किस पर कितना हावी होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि ‌वह उसे किस तरह समझता है। पुरुष इस बारे में कम बात करते हैं। कई बार तो लोगों को यह पता ही नहीं होता कि वे डिस्मॉर्फिया से पीड़ित हैं।

मैन गेट ईटिंग डिसऑर्डर्स के निदेशक सैम थॉमस कहते हैं, ऊंचा लंबा कद, गठीला बदन, औसत वजन और उभरी हुई मांसपेशियां, पुरुषों की खूबसूरती के पैमाने बना दिए गए हैं। ऐसे ही औसत वजन और छरहरी काया जैसे महिलाओं की खूबसूरती के भी समाज के अपने पैमाने हैं। दोनों ही इस पैमाने पर फिट होने के दबाव से गुजर रहे हैं।

डिस्मॉर्फिया महामारी की तरह फैल रहा
BDD महामारी की तरह फैलती जा रही है। लोग अपनी बॉडी इमेज के प्रति जरूरत से ज्यादा सचेत हो रहे हैं। प्लास्टिक सर्जरी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से यह परेशानी और बढ़ रही है। सैम थॉमस कहते हैं, डिस्मॉर्फिया से पीड़ित लोगों में ईटिंग डिसऑर्डर हो जाता है। वे या तो बहुत ज्यादा खाने लगते हैं या जरूरत से बहुत कम।

ऐसे में वे बुलींग का शिकार हो जाएं तो स्थिति और भयानक हो जाती है। वे डिप्रेशन में चले जाते हैं। मसल डिस्मॉर्फिया पीड़ित पुरुष हीन भावना से ग्रसित होने लगता है। उभरी हुई मांसपेशियों की चाहत में स्टेरॉयड का इस्तेमाल करने लगता है। ये स्टेरॉयड हमारे शरीर के हॉर्मोन सक्रिय कर देते हैं, जिससे मांसपेशियां फूलने लगती हैं।

हम खुद को कैसे देखते हैं, यह ज्यादा जरूरी
एरेन कहती हैं, पीड़ित को समझना होगा, समाज हमें कैसे देखता है, उससे ज्यादा महत्व रखता है कि हम खुद को कैसे देखते हैं। ईश्वर ने हर किसी को अलग-अलग बनाया है। हमें खुद को ये समझाना होगा कि फिटनेस स्वस्थ रहने के लिए है, ना कि दूसरों को अच्छा लगने के लिए।

स्टेरॉयड छोड़ने के बाद भी सालों असर रहता है

  • थोड़े समय के लिए भी स्टेरॉयड का इस्तेमाल दिल को कमजोर कर देता है।
  • एनाबोलिक स्टेरॉयड से कोरोनरी धमनी में ब्लॉकेज होने की आशंका होती है।
  • यह किडनी फेल होने, लिवर की क्षति, टेस्टिकल्स के सिकुड़ने के लिए जिम्मेदार है।
  • इसके साइड इफेक्ट्स इस्तेमाल बंद करने के बाद भी कई वर्षों तक रह सकते हैं।