गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास लगातार चर्चाओं में हैं। पहले इन्हें पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के नजदीकी लोगों में गिना जाता था, लेकिन जुलाई-2020 में मानेसर की बगावत और 25 सितंबर को बड़ी संख्या में विधायकों के इस्तीफों के बाद दोनों के बीच दूरियां बढ़ गई थीं।
सीएम बदलने की बातों के बीच खाचरियावास ने पायलट के लिए कहा था कि लोकतंत्र में नंबर गेम ही सब कुछ होता है। जिसके पास विधायक ज्यादा होते हैं, वही मुख्यमंत्री बनता है।
लेकिन हाल ही पायलट द्वारा खाचरियावास के घर जाकर मुलाकात करने के बाद खाचरियावास के हावभाव व तेवर दोनों बदले हैं।
पायलट के प्रति जहां उनके तेवर नरम हुए हैं, वहीं अब वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जवाबदेही की मांग करते दिख रहे हैं। वह एक के बाद एक ऐसे बयान दे रहे हैं, जिससे प्रदेश और कांग्रेस की सियासत में नए सिरे से चर्चा छिड़ गई है।
खाचरियावास पिछले दिनों आईएएस अफसरों की एसीआर भरने के अधिकार की मांग उठाई थी। हाल ही कैबिनेट बैठक में ओबीसी आरक्षण से जुड़े प्रस्ताव के पारित नहीं होने को भी खाचरियावास से जोड़ा गया। कहा गया कि खाचरियावास के विरोध के कारण ही यह प्रस्ताव पास नहीं हो पाया।
हाल ही आपने सवाल उठाया कि मंत्रियों काे अफसरों की ACR भरने का पावर क्यों नहीं है? क्या सीएम से कोई अनबन हो गई? आपकी सुनवाई हुई?
खाचरियावास: डीओपी के ऑर्डर में लिखा है अगर एक आईएएस के पास दो चार्ज होंगे तो उसके जो मंत्री हैं, वो एसीआर नहीं लिखेंगे। ये क्या बात हुई? जो भारत के संविधान में अधिकार मंत्रियों को मिले हैं, अगर ये अधिकार मंत्री खुद प्राप्त नहीं कर सकता तो मैं दूसरों को क्या हक दिलाऊंगा? ये मेरा सीएम अशोक गहलोत से विरोध नहीं है।
कई बार ऐसा होता है कि आप उनके पक्ष में ही बोलते रहो तब तक तो अच्छे हैं, लेकिन जैसे ही आपने कुछ व्यवस्था की बात की तो ये विरोध थोड़ी हो गया। मैं तो सरकार का प्रवक्ता हूं।
मुख्यमंत्री हमारे नेता हैं। मैं उनके लिए इतनी बात करता हूं तो उनकी भी जिम्मेदारी बनती है। वो भी आगे बढ़कर कहते कि एसीआर के इश्यू पर प्रतापसिंह हमारा वो आदमी है, जो हमारा पक्ष रखता है।
अधिकारी का खराब काम तो मंत्री के माथे और अच्छा काम खुद के माथे। किसी ACS के पास दो चार्ज हैं, तो दो मंत्री हैं। दोनों उसकी एसीआर लिख देंगे तो क्या दिक्कत है?
आपके इन बयानों के बाद मंत्री राजेंद्र गुढ़ा और विधायक दिव्या मदेरणा भी मुखर हो गए? क्या कहेंगे?
खाचरियावास: ये सब हमारे परिवार के लोग हैं। मेरे इनसे बहुत अच्छे रिश्ते हैं। राजेंद्र गुढ़ा मेरे साथी मंत्री हैं। मेरी यह जिम्मेदारी बनती है कि मैं उनके बयान को काटूं नहीं।
उन्होंने अपनी कोई बात कही है तो पार्टी-नेतृत्व उनसे बात करेंगे, सीएम, पीसीसी चीफ और कांग्रेस अध्यक्ष बात करेंगे। हम एक-दूसरे का सम्मान करते हैं और एक-दूसरे के सम्मान से ही रिश्ते मजबूत बनते हैं।
कैबिनेट बैठक में ओबीसी आरक्षण में पूर्व सैनिकों की विसंगति को दूर करने का प्रस्ताव पास नहीं हुआ। MLA हरीश चौधरी ने इसे उठाया। क्या आपने विरोध किया था?
खाचरियावास: हरीश चौधरी मेरे मित्र हैं, हम दोनों में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। हम दोनों कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं। मैं ओबीसी आरक्षण का विरोधी नहीं हूं।
जाट समुदाय से हमारे पारिवारिक रिश्ते हैं। जब वाजपेयी जी ने सीकर में ओबीसी में जाटों को शामिल किया था, तब भी विरोध नहीं किया था।
जब तो भैरोंसिंह जी भी जिंदा थे। जाट समाज के लोग भी मेरे खास हैं। मैं क्यों विरोध करूंगा? हमारे लिए तो सब बराबर हैं। मेरी ये सोच नहीं है, जिसने भी यह माहौल बनाया, गलत बनाया।
सीएम ने आरक्षण में विसंगतियों को लेकर अलग-अलग लोगों से डिस्कस किया। ओबीसी की विसंगति दूर हो जाए तो बहुत अच्छा है। सब लोगों में डिस्कस ये हुआ कि सब पक्षों को सुनकर काम करें, जिससे नई भर्तियां नहीं अटके। कई बार ऐसे फैसले होते हैं।
फिर कैबिनेट ओबीसी मामले में आपका नाम विरोधी के रूप में क्यों बाहर आया?
खाचरियावास: कैबिनेट में कोई प्रस्ताव आता है तो उस पर विचार होता है। फिर उस पर अंतिम फैसला सीएम का होता है। अशोक गहलोत तीसरी बार मुख्यमंत्री हैं।
तीसरी बार काेई नेता अगर सीएम बनता है तो वो इतना बड़ा खिलाड़ी बन जाता है कि वह सुनेगा सब मंत्रियों की, लेकिन करेगा वही जो सही होगा।
जो स्टेट, देश और संविधान के हित में होगा। उनकी अथॉरिटी को कौन चैलेंज करेगा। आज तक इतनी कैबिनेट मीटिंग हुई किसी ने भी गहलोत की अथॉरिटी को चैंलेज नहीं किया है।
पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने हाल ही रात को आपके घर आकर मुलाकात की। इस मुलाकात के कोई खास मायने?
खाचरियावास: सचिन पायलट के और मेरे बहुत अच्छे संबंध रहे हैं। आज भी उनसे अच्छे संबंध हैं। हमने गप्पे ठोंके और राजनीतिक बातें भी खूब कीं। हम दोनों ने साथ-साथ लंबा संघर्ष किया। वह जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे तब मैं जिलाध्यक्ष था।
कांग्रेस हाईकमान ने राजस्थान में CM बदलने की कोशिश की तो एक लाइन का प्रस्ताव पारित करने के बजाय कई विधायकों ने इस्तीफे दे दिए। क्या आपने भी इस्तीफा दिया?
खाचरियावास: उस दिन जब इस्तीफे दिए गए तो 92 लोगों ने इस्तीफे दिए। वो प्रकरण पीछे इसलिए छूट गया कि उसके बाद सीएम दिल्ली गए, सोनिया गांधी से मुलाकात की। बाहर आकर बयान दिया और खुद ने पूरे प्रकरण पर माफी मांगी।
उसके बाद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इस्तीफे का प्रकरण पीछे छूट गया। उसके बाद सचिन पायलट भी मेरे घर आ गए।
अब एक ही मकसद है कि अब अशोक गहलोत हो या सचिन पायलट सबको मिलकर साथ चलना चाहिए और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में साथ चलना चाहिए। सबको मिलकर राहुल गांधी के नेतृत्व में सरकार बनाने की तैयारी करनी चाहिए।