थाइलैंड में राजतंत्र और सरकार के खिलाफ आंदोलन उग्र होने पर राजधानी बैंकॉक में 30 दिनों के लिए प्रतिबंध का एलान कर दिया गया है। प्रधानमंत्री युत चान-ओचा (Prayuth Chan-ocha) ने शुक्रवार को कहा कि दस हजार प्रदर्शनों के बाद भी वो इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि आपातकालीन उपायों के तहत सरकार विरोधी प्रदर्शनों पर प्रतिबंध 30 दिनों तक जारी रहेगा।
एक कैबिनेट बैठक के बाद, पीएम प्रयुत ने संवाददाताओं से कहा कि कानून का इस्तेमाल राजनीतिक सभाओं पर प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘सरकार को आपातकालीन हुक्मनामे का उपयोग करना चाहिए। हमें अब आगे बढ़ना है क्योंकि स्थिति हिंसक हो गई है। इसका उपयोग 30 दिनों के लिए बढ़ाया जा रहा है।’
बता दें कि पिछले तीन दिनों से देश में सरकार के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं। इस दौरान आंदोलन में शामिल कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया। इस दक्षिण-पूर्व एशियाई देश में बीते दिनों में प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओचा के इस्तीफे के साथ ही संविधान और राजतंत्र में सुधारों की मांगों को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
बैंकॉक में प्रधानमंत्री के दफ्तर के बाहर बुधवार को बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जमा हुए थे। यहां से इनको हटाने के लिए दंगा रोधी पुलिस लगाई गई। जबकि एक जगह पर प्रदर्शनकारियों ने शाही काफिले को घेर लिया था। इसके बाद सरकार ने इन प्रदर्शनों को बंद करने के लिए सख्त कदम उठाए। सरकार के प्रवक्ता ने गुरवार को कहा, ‘देश इस समय खतरनाक क्षेत्र बन गया है। प्रधानमंत्री ने पुलिस को उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है, जो शाही काफिले के रास्ते में रोड़ा बनते हैं या राजतंत्र का अपमान करते हैं।’ पुलिस ने बताया कि 22 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सुरक्षा के लिहाज से बैंकॉक में जगह-जगह जांच चौकियां स्थापित की जाएंगी। जबकि पकड़े गए कई नेताओं ने फेसबुक के जरिए बताया कि उन्हें जबरन हेलीकॉप्टर के माध्यम से बैंकाक से बाहर भेज दिया गया। वकील मुहैया कराने से इनकार कर दिया गया है। एक 24 साल के प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘मैं अपने भविष्य के लिए संघर्ष करना चाहता हूं। मेरा देश लोकतांत्रिक होना चाहिए।’ इधर, मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक बयान में कहा, ‘इस तरह के कदम असंतोष को कुचलने वाले जाहिर होते हैं। वे सभी लोग सहमे हैं, जो इन प्रदर्शनकारियों के साथ सहानुभूति रखते हैं।’
इस कारण हो रहे प्रदर्शन
प्रदर्शनकारी संविधान और राजतंत्र में सुधार की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था उचित तरीके से काम नहीं कर रही है। सेना प्रमुख रहे प्रयुत वर्ष 2014 में तख्तापलट कर सत्ता पर काबिज हुए। 2016 में उनके शासन काल में नया संविधान तैयार किया गया। इसमें ऐसे कई नियम हैं, जिन्हें मानवाधिकार के खिलाफ बताया गया है। सरकार और राजतंत्र की आलोचना करने वालों को सख्त सजा देने का प्रावधान भी है।