प्रोफेशनल और पर्सनल रिश्तों के लिए कुछ सवाल
ऊपर दिए गए स्टेटमेंट से बेस्ट सेलिंग ऑथर और ‘डेल कार्नेगी इंस्टीट्यूट’ के संस्थापक डेल कार्नेगी यह कहना चाहते हैं कि बाकी जानवरों से अलग मनुष्यों में अपनी बात के सुने जाने की विशेष प्रवृत्ति होती है।
क्या सही होने पर भी आप लोगो को अपनी बात नहीं मनवा पाते? क्या आपकी किसी को छोटी सी बात पर राजी करने की कोशिश भी ‘एक बड़ी बहस’ में बदल जाती है? क्या लोग आपके द्वारा कही गई बातों को गंभीरता से नहीं लेते? यदि आप इस तरह की किसी समस्या का सामना कर रहे हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए है।
हर प्रोफेशनल को ये सीखना ही चाहिए, और तुरंत प्रैक्टिस में लेना चाहिए!
डेल कार्नेगी की फेमस बुक से पांच बड़े लेसन
आइए जानते हैं लेखक द्वारा पब्लिक स्पीकिंग विषय पर लिखी गई बेस्ट सेलिंग बुक ‘हाउ टु विन फ्रेंड्स एंड इन्फ्लुएंस पीपल’ जिसका हिंदी अनुवाद ‘लोक व्यवहार प्रभावशाली व्यक्तित्व की कला’ नाम से उपलब्ध है, से हमारे लिए 5 सीखने योग्य बातें।
1) किसी के आत्मसम्मान को ठेस ना पहुंचाएं
A) डेल कहते हैं कि याद रखें हर जीवित व्यक्ति चाहे वह किसी उम्र या सामाजिक तबके या स्किल वर्ग का हो, उसका अपना ‘आत्मसम्मान’ होता है।
B) यदि आपने किसी का सार्वजनिक अपमान किया, तो हो सकता है इस पर आपको तुरंत प्रतिक्रिया ना मिले लेकिन इसका आपकी ‘इमेज’ पर निश्चित नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
C) ऐसा होता है उन लोगों पर जिनके आत्मसम्मान को आपने अपने ‘शब्दों ‘या ‘बॉडी लैंग्वेज’ से ठेस पहुंचाई, और उन पर भी जिन्होंने आपको ऐसा करते देखा।
D) जब आप किसी की बुराई करते हैं तो आप उनको नीचा दिखा रहे होते हैं, और आप उस व्यक्ति के आत्मविश्वास को भी नुकसान पहुंचाते हैं। वो आपके प्रति बदले की भावना रखेगा।
लेकिन अगर आप ये सावधानी रखेंगे, तो सामने वाला आपकी बात सुनना पसंद करेंगे।
2) सामने वाले व्यक्ति को अपने बारे में अच्छा महसूस करवाएं
A) और ऐसा ईमानदारी से करें, ‘थोड़ी मक्खनबाजी’ केवल ‘हस्बैंड-वाइफ’ के लिए आपस में अलाउड है! अन्यथा किसी की बढ़ा-चढ़ा कर तारीफ करना यही साबित करता है कि आप उस व्यक्ति को सीरियसली नहीं लेते।
B) लेकिन व्यक्ति की किसी क्वालिटी या कार्य को आप वास्तव में अच्छा समझते हैं तो खुले दिल से तारीफ करें। ये आदत बहुत कम लोगों में होती है, और खुल कर तारीफ करते ही नहीं। पता नहीं क्यों, शायद इसलिए कि संकोच करते हैं या डरते हैं !
C) यदि कुछ कमियां भी हैं तो सीधे ‘आलोचना’ करने के बजाय ‘सहानुभूति’ दिखाएं। कोई भी व्यक्ति जानबूझकर अपने अंदर कोई कमी क्यों रखना चाहेगा?
D) किसी के व्यवहार में ‘जटिलता’ किसी ना किसी ‘पूर्व अनुभव’ के कारण होती है। जब लोग अपने बारे में अच्छा महसूस करते हैं तब वो बेहतर जवाब देते हैं। इसलिए छोटे-छोटे सुधार की तारीफ और कोशिश करें कि हर सुधार को ठीक से पहचाना जाए।
3) चेहरे पर सहज मुस्कान रखें
A) केवल चार चीजें – हंसता-मुस्कुराता चेहरा और तीन शब्द ‘थैंक्यू’, ‘सॉरी और ‘वेलकम’ आपका पूरा व्यक्तित्व बदल कर रख सकते हैं।
B) लेकिन ऐसा सहजता से करें मतलब यदि आप किसी के दुख में शरीक होने गए हो तो वहां मुस्कुराते रहने की आवश्यकता नहीं है, ना ही पूरे समय मुंह लटकाने की। जरूरत है सहज आचरण की। नकली मुस्कान से बचें।
C) आपको कोई अंदाजा नहीं है कि किसी का दिन कैसा जा रहा है, या किस सोशल प्रेशर में वो है पर किसी अजनबी या जानने वाले की एक मुस्कान उनका मूड बदल सकती है और उनको भी मुस्कुराने के लिए मोटिवेट कर सकती है।
D) मुस्कुराहट आप तक पहुंचना आसान बनाती है। फेक मुस्कान के साथ ना घूमें। इससे आप लोगों को दूर कर देंगे।
4) व्यक्तियों में स्वाभाविक रुचि लेना शुरू करें
A) व्यक्तियों के बारे में स्वाभाविक रुचि लेना उनके अनुभवों को उनकी पसंद-नापसंद के बारे में सुनना, उनके नाम याद रखना, उन्हें उन नामों से पुकारना, किसी व्यक्ति को अपने ‘इम्पॉर्टेन्ट’ होने का एहसास देता है।
B) ये दिखाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप सामने वाले से सवाल उसी टॉपिक पर पूछें जिसके बारे में वो बात कर रहा है।
C) मार्केटिंग और सेल्स के टीम्स को मोटिवेट करने के लिए ये सबसे कारगर तरीका है।
5) किसी भी कीमत पर ‘आर्ग्युमेंट्स या बहस’ से बचें
A) ‘आर्ग्युमेंट्स’ में कोई नही जीतता, अक्सर लोग अंत में अपनी ही बात से ज्यादा सहमत होते हैं।
B) अपने पक्ष के लिए हर व्यक्ति के पास अपने लॉजिक होते हैं, जिन्हें ‘वह’ सही मानता है।
C) तो आर्ग्युमेंट के बजाय दोस्ताना तरीके से बातचीत करें।
D) मुश्किल से मुश्किल मुद्दे की बातचीत को हलकी-फुलकी अनौपचारिक भाषा में हंसते-खेलते करना एक बहुत बड़ी स्किल है।
E) इससे आपके आसपास के लोग आपसे ‘अन्कंफर्टेबल’ महसूस नहीं करते।
ये बुक बहुत पॉपुलर है और आपको जरूर दो बार पढ़नी चाहिए। आज के विश्लेषण में मजा आया?