विदेशी कंपनियों के नाम पर एंटी कैंसर की नकली दवाएं बनाने वाले सात लोगों को दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को जेल भेज दिया। करीब 8 करोड़ रुपए कीमत की नकली दवाएं मिली हैं। सोनीपत में फैक्ट्री चल रही थी, जबकि दिल्ली और यूपी में माल पैकिंग व सप्लाई के ठिकाने थे। आरोपियों ने काली कमाई से गुरुग्राम में 8 फ्लैट बनाए और पश्चिम बंगाल व नेपाल में जमीने खरीद ली थीं।
चीन से MBBS कर चुके एक बांग्लादेशी डॉक्टर ने अपने बैचमेट रहे भारतीय डॉक्टर को एंटी कैंसर की दवाएं बनाने का API (एक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रीडिएंट) यानि फार्मूला बताया और फिर भारत में ये काम शुरू हो गया। 10 गोलियों का जो पैकेट मार्केट में 2 लाख रुपए का मिलता था, वो ये गैंग डेढ़ लाख रुपए में उपलब्ध कराता था। सोनीपत में पोलियो दवा बनाने वाली फैक्ट्री में 7 इंटरनेशनल कंपनियों के 21 ब्रांड की नकली मेडिसिन बन रही थीं।
ये आरोपी हुए हैं गिरफ्तार
- डॉ. पवित्र नारायण प्रधान निवासी चौहान रेजिडेंसी, सेक्टर-45 नोएडा
- शुभम मन्ना निवासी चौहान रेजिडेंसी, सेक्टर-45 नोएडा
- पंकज सिंह बोहरा निवासी गांव नौखुना, पिथौरागढ़ (उत्तराखंड)
- अंकित शर्मा उर्फ भज्जी निवासी नेब सराय, नई दिल्ली
- हरबीर निवासी बादशाही रोड, गुन्नौर सोनीपत (हरियाणा)
- एकांश वर्मा निवासी नंगला रोड, चंडीगढ़
- प्रभात कुमार निवासी एमरॉल्ड-2, सेक्टर-3 वसुंधरा गाजियाबाद
इस रैकेट तक कैसे पहुंची दिल्ली पुलिस?
दिल्ली पुलिस के ASI गुलाब को जानकारी मिली कि नकली दवाओं की आपूर्ति करने वाला कोई गैंग साउथ दिल्ली में संचालित है। दो महीने तक दिल्ली पुलिस ने इस सूचना पर काम किया और कुछ दिन पहले दिल्ली में प्रगति मैदान के पास पंकज बोहरा नामक व्यक्ति को पकड़ा। स्कूटी पर एक बैग मिला। उससे कुछ दवाएं मिली। पूछताछ में उसने कबूल किया कि ये कैंसर की नकली दवाएं हैं। जबकि असली दवाएं भारत में बेचने के लिए एकमात्र एस्ट्रा जेनेका कंपनी अधिकृत है।
पंकज बोहरा की निशानदेही पर दिल्ली पुलिस ने 11 नवंबर को गाजियाबाद के ट्रोनिका सिटी में एक मकान पर छापा मारा, जहां नकली दवाओं का भंडारण मिला। यहां पता चला कि कुछ दवाएं नोएडा सेक्टर-45 के मकान में रखी हैं।
पुलिस वहां पहुंची तो मास्टरमाइंड पवित्र प्रधान और शुभम मन्ना पकड़ लिया। इनसे पूछताछ में सोनीपत की फैक्ट्री का एड्रेस मिल गया। सोनीपत की फैक्ट्री पर कार्रवाई होते ही पुलिस को चंडीगढ़ से रॉ मैटेरियल सप्लाई करने वाले आरोपी के बारे में जानकारी हुई। इस तरह ये पूरा रैकेट बस्ट हुआ।
डॉक्टर पवित्र प्रधान : साल-2012 में चीन से MBBS किया। इसके बाद GTB हॉस्पिटल दिल्ली, सुपर स्पेशिलिटी कैंसर संस्थान दिल्ली, दीपचंद बंधु अस्पताल दिल्ली में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के रूप में काम किया। चीन में पढ़ाई के दौरान पवित्र प्रधान का बैचमेट डॉ. रसेल था, जो मूलत: बांग्लादेश का रहने वाला है। डॉ. रसेल ने ही डॉ. पवित्र प्रधान को बताया था कि भारत और चीन के मार्केट में एंटी कैंसर दवाओं की डिमांड बहुत है, जिनकी कीमतें काफी महंगी हैं। इनकी नकली दवाओं को बनाकर और बेचकर मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है। डॉ. रसेल ने ही पवित्र प्रधान को इन दवाओं को बनाने का फार्मूला बताया।
शुभम मन्ना : बंगलुरू से बीटेक किया है। कई बहु राष्ट्रीय कंपनियों में जॉब की और अधिक पैसा कमाने की लालच में रिश्ते के भाई डॉ. पवित्र प्रधान से जुड़ गया। शुभम बैच नंबर, दवा पर तारीख और पैकेजिंग का काम संभालता था। काली कमाई से प्रॉपर्टी में निवेश करने वालों में शुभम भी है।
पंकज सिंह बोहरा : ITI डिप्लोमा धारक हैं। इसका काम बाहरी कंपनियों से कॉन्टैक्ट करके उन्हें दवा की आपूर्ति करना था। नकली दवा पर ये 50 फीसदी का डिस्काउंट तक देते थे, इसलिए एंटी कैंसर की दवाएं बेचने वाले तमाम लोग अधिक मुनाफे के चक्कर में इनसे ये दवाएं खरीद लेते थे।
अंकित शर्मा उर्फ भज्जी : दवाओं के बंडल पैकिंग करने का काम अंकित का था। देशभर में दवाओं की डिलीवरी के लिए वो ‘वी फास्ट’ कुरियर कंपनी का इस्तेमाल करता था। जबकि चीन समेत अन्य देशों को दवाएं फ्लाइट के जरिये जाती थीं।
रामकुमार उर्फ हरबीर : साल-2018 में रामकुमार दिल्ली में दवाई बनाने की कुछ मशीनें खरीदने के लिए आया। इस दौरान इसकी मुलाकात डॉ. पवित्र प्रधान से हुई। पवित्र ने बताया कि वो एम्स में डॉक्टर है और उसे अपने निजी अस्पताल के लिए कुछ नकली दवाओं की आवश्यकता है। रामकुमार का हरियाणा के सोनीपत स्थित गन्नौर में RDM बायोटेक नाम से दवा कारखाना है, जहां ये नकली दवाएं तैयार होती थीं।
एकांश वर्मा : चंडीगढ़ में अपनी खुद की फार्मा कंपनी है, जिसका नाम मेडियार्क फार्मा है। एकांश ने रामकुमार उर्फ हरबीर को एक लाख खाली कैप्सूल सप्लाई किए। प्रत्येक कैप्सूल पर बांग्लादेश की कंपनी को इनक्रिप्ट किया गया था। एकांश ऑनलाइन साइट पर कैंसर मरीजों को ढूंढता था और उनसे संपर्क करके उन्हें 50 फीसदी छूट पर ये नकली दवाएं बेचता था।
प्रभात कुमार : ये आदित्य फार्मा कंपनी का मालिक है। इसका ऑफिस दिल्ली के चांदनी चौक स्थित भागीरथ प्लेस में है। प्रभात MBA पास आउट है। इससे पहले एक MNC में काम कर चुका है। इसके बाद ये ऑन्कोलॉजी के थोक व्यवसाय में आया और फिर नेफ्रोलॉजी से संबंधित दवाओं की आपूर्ति शुरू कर दी। चीन से MBBS करने वाला डॉक्टर अनिल कुमार उसकी दुकान पर अक्सर कैंसर की दवाएं लेने आता था। इस दौरान अनिल ने कम कीमत वाली नकली दवाएं उपलब्ध कराने की पेशकश की और प्रभात उन्हें खरीदने के लिए राजी हो गया। अनिल ने प्रभात को पवित्र प्रधान से मिलवाया था।
5 देशों की कंपनियों की बना रहे थे दवा
दिल्ली के स्पेशल कमिश्नर (क्राइम) रविंद्र सिंह यादव ने बताया कि ये एक अंतरराष्ट्रीय गैंग है, जिसके तार चीन, बांग्लादेश और अन्य देशों तक जुड़े हुए हैं। ये गैंग इंडिया, यूएस, यूनाइटेड किंगडम, बांग्लादेश और श्रीलंका की कंपनियों के नाम पर एंटी कैंसर की पूर्णत: नकली दवाएं बनाता था।
हरियाणा के सोनीपत में फैक्ट्री संचालित थी। जबकि इन दवाओं की पैकेजिंग गाजियाबाद व नोएडा में होती थी। सारा माल सील कर दिया गया है। गाजियाबाद में कार्रवाई के दौरान यहां के ड्रग इंस्पेक्टर आशुतोष मिश्रा व उनकी टीम को साथ लिया गया।