कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के चुनाव पर अनुमोदन की औपचारिकता पूरी करने के लिए पार्टी का महाधिवेशन संसद के बजट सत्र के अवकाश के दौरान बुलाए जाने के पुख्ता संकेत हैं। पार्टी का यह सत्र इसलिए अहम है कि कांग्रेस कार्यसमिति के चुनाव भी इसी में होने हैं। बैठक की तारीखें और रूपरेखा तय करने से लेकर संसद के शीत सत्र की रणनीति पर चर्चा के लिए चार दिसंबर को पार्टी की संचालन समिति की बैठक बुलाई गई है। मल्लिकार्जुन खरगे के कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने के बाद संचालन समिति की यह पहली बैठक होगी।
कांग्रेस कार्यसमिति संचालन समिति में तब्दील
खरगे के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस कार्यसमिति संचालन समिति के रूप में तब्दील हो गई है और इसमें पार्टी के सभी पदाधिकारी भी शामिल हैं। संसद सत्र शुरू होने से पहले गुजरात चुनाव होने हैं। तत्काल बाद सात से 29 दिसंबर तक शीतकालीन सत्र चलेगा और फिर जनवरी के अंत में बजट सत्र भी तय है। बजट सत्र का पहला चरण 15 फरवरी तक चलेगा और फिर करीब एक महीने का सत्रावकाश होगा। कांग्रेस के अनुसार ऐसे में महाधिवेशन बुलाने की गुंजाइश बजट सत्रावकाश के दौरान ही है। कर्नाटक विधानसभा के चुनाव मार्च-अप्रैल में होने हैं जो कांग्रेस के लिए बेहद अहम हैं। खरगे के अध्यक्ष पद के चुनाव पर अनुमोदन तो औपचारिकता रहेगी मगर महाधिवेशन इस लिहाज से दिलचस्प होगा कि कांग्रेस कार्यसमिति के 12 सदस्यों का चुनाव इसमें होता है या फिर इनके मनोनयन का अधिकार भी कांग्रेस अध्यक्ष को देने का फैसला लिया जाता है। पार्टी में कार्यसमिति का चुनाव कराए जाने की मांग उठती रही है।
पार्टी के 12 सदस्यों को मनोनीत कर सकता है अध्यक्ष
अध्यक्ष के अलावा कांग्रेस कार्यसमिति के 24 में से आधे सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष के पास है और आधे के लिए चुनाव कराने की व्यवस्था है। हालांकि 1997 के बाद से कांग्रेस कार्यसमिति के चुनाव नहीं हुए हैं। महाधिवेशन में प्रस्ताव पारित कर कांग्रेस अध्यक्ष को ही इन 12 सदस्यों का चयन करने का अधिकार दिया जाता रहा है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल के दौरान कार्यसमिति के सदस्यों का चुनाव मनोनयन के जरिये ही हुआ। इस महाधिवेशन में एआइसीसी के साथ प्रदेश कांग्रेस के नौ हजार से अधिक डेलीगेट हिस्सा लेते हैं जो कार्यसमिति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल का हिस्सा भी होते हैं।