मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच एक बार फिर शुरू हुई जंग ने कांग्रेस में चिंता की लकीरें पैदा कर दी हैं। गहलोत ने जिस लहजे में पायलट पर निशाना साधा, पायलट ने उसका पलटकर जवाब दिया। फिर जयराम रमेश को सफाई देनी पड़ी। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि फिलहाल सभी को भारत जोड़ो यात्रा को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए।
जयराम रमेश ने कहा कि ‘अशोक गहलोत वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं। उन्होंने अपने युवा साथी सचिन पायलट से जो मतभेद जताए हैं, उनका समाधान उसी तरीके से निकाल लिया जाएगा जिससे पार्टी मजबूत हो। मौजूदा समय में हर कांग्रेसी की यह जिम्मेदारी है कि वह उत्तरी भारत में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को सफल बनाएं।’
पार्टी आलाकमान भले ही राजस्थान के मसले का समाधान निकालने की बात कर रहा हो। मगर राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के 15 दिन किसी चुनौती से कम नहीं होने वाले हैं। राहुल गांधी की पूरी यात्रा के रूट में राजस्थान एकमात्र वो राज्य है, जहां कांग्रेस सरकार है। इसके बावजूद यात्रा के राजस्थान पहुंचने से पहले ही कई चुनौतियां यात्रा के सामने आ खड़ी हुई हैं।
तेजी से हुई सियासी बयानबाजी और खींचतान ने कांग्रेस को चिंता में डाल दिया है और जाहिर है कि इसका असर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर भी दिख सकता है। समझते हैं किस तरह सिलसिलेवार तरीके से कांग्रेस के लिए 5 बड़ी चुनौतियां राजस्थान में सामने आ रही हैं।
गहलोत-पायलट आपसी खींचतान
अशोक गहलोत के गुरुवार को सामने आए इंटरव्यू के बाद इतना तो तय हो गया है कि राजस्थान में पायलट वर्सेज गहलोत की जंग अभी खत्म नहीं हुई है। दोनों नेताओं के बयान के बाद समर्थक विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं के बयान आने भी शुरू हो गए हैं। अगर समय पर मसला सुलझाया नहीं गया तो भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ग्राउंड पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस हाईकमान के लिए यात्रा को निर्विवादित रखना मुश्किल होगा।
गढ़ पायलट का, मैनेजमेंट गहलोत का
यात्रा राजस्थान में जिन इलाकों से गुजर रही है वहां भी हालात विवाद में ही हैं। यह क्षेत्र पायलट के दबदबे वाला माना जाता है। यही वजह थी कि कुछ समय पहले तक यात्रा का रूट तय करते समय ही विवाद हुआ था। मगर आखिरकार अब यात्रा इसी रूट से निकल रही है। ऐसे में यह क्षेत्र तो पायलट का है। मगर राजस्थान में यात्रा का पूरा मैनेजमेंट अशोक गहलोत और उनका खेमा कर रहा है। ऐसे में दोनों नेताओं की खींचतान यहां भी असर दिखा सकती है।
विजय बैंसला भी दे चुके हैं धमकी
यात्रा से पहले गुर्जर नेता और किरोड़ीसिंह बैंसला के पुत्र विजय बैंसला भी चुनौति दे चुके हैं। गुर्जर आरक्षण को लेकर अपनी मांगों पर विजय बैंसला कह चुके हैं कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होती है तो वे यात्रा को राजस्थान में घुसने नहीं देंगे। हालांकि इसके बाद उन्होंने गुर्जर विधायक को मुख्यमंत्री बनाने की बात भी कही है। इन्हीं बातों के चलते यात्रा के दौरान विजय बैंसला भी एक चुनौती बन सकते हैं।
गहलोत-पायलट के लिए चुनौतियों से कम नहीं
भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के लिए भी चुनौती से कम नहीं है। दोनों नेताओं की इसके लिए अपनी-अपनी चुनौतियां है।
पायलट का प्रभाव दिखने से रोकना
अशोक गहलोत के लिए यात्रा इसलिए चुनौतीपूर्ण है क्योंकि गहलोत लगातार पायलट के पास विधायकों और लोगों का समर्थन नहीं होने की बात कहते आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जिस रूट से यात्रा गुजर रही है वह पायलट का क्षेत्र है। अक्टूबर में जब दिल्ली से लौटकर पायलट सीधे कोटा और झालावाड़ गए थे तब उनके समर्थन में जुटी भीड़ से इसका अंदाजा लग गया था कि वहां पायलट की पकड़ अच्छी है। ऐसे में गहलोत ये नहीं चाहेंगे कि यात्रा के दौरान राहुल को सिर्फ पायलट के समर्थक और उनका माहौल दिखाई दे। ऐसा होता है तो गहलोत का स्टैंड कमजोर पड़ सकता है।
पायलट पर भी दबाव, कैसे रुकेगा विवाद
सचिन पायलट के लिए यात्रा में दो चुनौतियां हैं। अपना इलाका होने से पायलट को इसे भव्य दिखाना है। वे लगातार कह रहे हैं कि अबतक जितना रिस्पॉन्स यात्रा को मिला है उससे ज्यादा राजस्थान में मिलेगा। ऐसे में इस यात्रा को भव्य दिखाने का दबाव पायलट पर है। वहीं दूसरी ओर आपसी खींचतान के चलते यात्रा में किसी किस्म का विवाद ना हो उसका ध्यान रखने और अपने समर्थकों को किसी भी बवाल करने से रोकना भी चुनौती होगी। साथ ही यात्रा को बगैर विवाद राजस्थान से निकालने की चुनौती होगी।
बीजेपी को मिला नया सियासी मुद्दा
यात्रा से ठीक पहले उपजे इस विवाद के बाद बीजेपी को भी राजस्थान में नया मुद्दा मिल गया है। यही वजह है कि गहलोत के इंटरव्यू के ठीक बाद केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ सहित तमाम नेताओं ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। सरकार के 4 साल पर घेरने की तैयारी पहले ही बीजेपी कर चुकी है। ऐसे में सियासी विवाद को अब बीजेपी और ज्यादा भुनाने की तैयारी में है।
क्या राजस्थान से गुजरेगी भारत जोड़ो यात्रा?
इतनी चुनौतियों के बाद भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान से गुजरेगी भी या नहीं? अब ये सवाल खड़ा हो गया है। कुछ लोगों का कहना है कि भारी विवाद के चलते क्या हाईकमान यात्रा को राजस्थान से दूर करने पर विचार कर सकता है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि अगर हाईकमान रूट बदलता है तो यह उनकी कमजोरी दिखाएगा। ऐसे में यह कांग्रेस हाईकमान के लिए अब स्वाभिमान का विषय भी बन चुका है।
यात्रा का माहौल तय करेगा राजस्थान कांग्रेस का भविष्य
राजस्थान से गुजरने के दौरान भारत जोड़ो यात्रा के सामने तमाम चुनौतियां हैं। अब यह यात्रा किस तरह राजस्थान से गुजरेगी, उसका माहौल ही राजस्थान में कांग्रेस का सियासी भविष्य तय करेगा। यह भी कह सकते हैं कि यात्रा गुजरने के बाद जो फैसला होगा, वो ऐतिहासिक हो सकता है।