मेरठ में शुक्रवार दोपहर आबादी वाले इलाके में अचानक आए सांभर को देखकर हड़कंप मच गया। कैंट की तरफ से घूमता हुआ एक सांभर कमिश्नर कार्यालय के सामने जल निगम कर्मचारी के घर में घुस गया। वन जीव को घर में देखकर परिवार घबरा गया। सूचना पर पहुंची वन विभाग की टीम साढ़े तीन घंटे सांभर को पकड़ने में टीम के भी पसीने छूट गए। लेकिन सांभर नहीं फंसा। अंत में थक कर चूर होने के बाद सांभर जाल में फंसा। टीम ने उसे देर रात कैंट के जंगलों में छोड़ दिया।
- पढ़िए ऑपरेशन सांभर का सिलसिलेवार पूरा घटनाक्रम
अचानक घर में घुसा सांभर
दोपहर 3.30बजे जल निगम कर्मचारी के घर में सांभर घुसा। घर में अजीब जीव देखकर परिवार डर गया। थाना पुलिस और वन विभाग को जीव के आने की सूचना दी गई। जहां सांभर आया पूरा सिविल लाइन का इलाका है। 20 कदम की दूरी पर वन विभाग का दफ्तर है। सूचना पर पहुंची वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचती है। उससे पहले ही मौके पर जुटी भीड़ और कर्मचारी का परिवार सांभर पर पानी डालकर, ताली बजाकर तो कभी अजीब आवाजें निकालकर उसे घर से बाहर निकालने की कोशिश करते हैं। मगर घबराकर सांभर इधर, उधर भागता है।
जाल लगाया, घास डाली चकमे में नहीं आया
वन विभाग की टीम सांभर को पकड़ने के लिए जाल लगाती है। घर के आंगन में जाल बांधा जाता है। टीम जाल में सांभर के फंसने का इंतजार करती है। लेकिन सांभर नहीं आता। इसके बाद दूसरा जाल लगाया जाता है। इस तरह कर्मचारी के घर को चारों तरफ से जाल से कवर किया जाता है। सांभर आए और फंस जाए।
जब सांभर जाल तक नहीं आता तो टीम उसे लुभाने के लिए हरी नरम घास डालती है। जाल में कई जगह घास रखी जाती है। ताकि भूख के लालच में सांभर जाल तक आ जाए। एक घंटे इंतजार के बाद भी सांभर जाल में नहीं आता। टीम दूसरा जाल लेकर घात लगाकर बैठती है जैसे ही सांभर आगे आए उसे दबोच ले।
कैद से आजाद होने को छटपटाता रहा
लगभग 3 घंटे बाद सांभर जाल की तरफ आता है और उसके सींग जाल में फंस जाते हैं। सींग फंसने के बाद सांभर भागने का प्रयास करता है लेकिन भाग नहीं पाता। रेस्क्यू टीम फौरन सांभर को दूसरा जाल डालकर पकड़ लेती है। जाल में फंसा सांभर छटपटाकर भागने का प्रयास करता है। लेकिन भाग नहीं पाता। टीम सांभर के पैरों को रस्सी से बांधती है। उसको रेस्क्यू कर लेती है।
कैंट में छोड़ा गया
इसके बाद वन्य जीव विशेषज्ञ चिकित्सक सांभर को लगी चोटों पर मरहम लगाकर इलाज करते हैं। जाल में फंसा सांभर छटपटाता रहता है। इलाज के बाद वन्यकर्मी सांभर को उठाकर छोटा हाथी में लोड करते हैं। इस बीच भी सांभर कैद से आजाद होने को छटपटाता है। लेकिन बाहर नहीं आ पाता। रास्ते में भी सांभर बार-बार छोटे हाथी से भागने का प्रयास करता है, मगर सारे प्रयास विफल होते हैं। वन विभाग की टीम जीव को कैंट वन्य क्षेत्र में छोड़ आती है। जहां वो नेचुरल लाइफ जी सके।
डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि सांभर जैसी प्रजाति को रेस्क्यू करने के लिए बहुत अहतियात बरतनी पड़ती है। क्योंकि कार्डियक मायोपैथी टर्म है। जिसमें उसे हार्ट अटैक होने का चांस रहता है, इसलिए बहुत धैर्य के साथ इस रेस्क्यू ऑपरेशन को किया गया है।