प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह 10 बजे सुप्रीम कोर्ट में आयोजित संविधान दिवस समारोह में शामिल हुए। इस दौरान ई-कोर्ट परियोजना के तहत विभिन्न नई पहलों और वेबसाइट का उद्घाटन किया। समारोह में CJI डी वाई चंद्रचूड़, कानून मंत्री किरेन रिजिजू और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज भी मौजूद हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि 1949 में यह आज का ही दिन था, जब स्वतंत्र भारत ने अपने लिए एक नई भविष्य की नीव डाली थी, इस बार का संविधान दिवस इसलिए भी विशेष है, क्योंकि भारत ने अपने आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं। उन्होंने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है और संविधान में लिखे शब्द एक प्रतिज्ञा हैं।
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पूर्व CJI एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता में भारतीय सामाजिक समिति का गठन किया है। यह समिति क्षेत्रीय भाषाओं में कानूनी सामग्री का अनुवाद करेगी और सभी भारतीय भाषाओं के लिए एक सामान्य शब्दावली बनाएगी।
उन्होंने बताया कि विधायी विभाग (लेजिस्लेटिव डिपार्टमेंट) ने 65,000 कानून के शब्दों वाली एक शब्दावली तैयार की है। हमारी योजना इसे डिजिटाइज़ करने की है जिसे जनता आसानी से इस्तेमाल कर सके। क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित कानूनी शब्दावलियों को एकत्र, डिजिटाइज करने और जनता के लिए उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा।
इन योजनाओं की शुरुआत
2015 से इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। कार्यक्रम के दौरान, प्रधान मंत्री ई-कोर्ट परियोजना के तहत विभिन्न नई पहलों का शुभारंभ किया। यह परियोजना अदालतों की आईसीटी सक्षमता के माध्यम से वादियों, वकीलों और न्यायपालिका को सेवाएं प्रदान करने का एक प्रयास है। इन पहलों में वर्चुअल जस्टिस क्लॉक, JustIS मोबाइल ऐप 2.0, डिजिटल कोर्ट और S3WaaS वेबसाइट शामिल हैं।
वर्चुअल जस्टिस क्लॉक
वर्चुअल जस्टिस क्लॉक कोर्ट लेवल पर जस्टिस डिलीवरी सिस्टम के जरूरी आंकड़ों को दिखाने की एक पहल है, जिसमें कोर्ट लेवल पर दिन/सप्ताह/महीने के आधार पर स्थापित मामलों, निपटाए गए मामलों और लंबित मामलों का डिटेल्स दी गई हैं। यह कोर्ट की ओर से निपटाए गए मुकदमों की स्थिति को जनता के साथ शेयर कर कोर्ट के कामकाज को जवाबदेह और पारदर्शी बनाने का प्रयास है।
JustIS मोबाइल ऐप 2.0
JustIS मोबाइल ऐप 2.0 न्यायिक अधिकारियों के लिए इफेक्टिव कोर्ट और केस मैनेजमेंट के लिए उपलब्ध एक उपकरण है, जो न केवल उनकी अदालत, बल्कि उनके अधीन काम करने वाले व्यक्तिगत जजों के लंबित मामलों और निपटान की निगरानी करता है। यह ऐप हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए भी उपलब्ध कराया गया है, जो अब अपने अधिकार क्षेत्र के तहत सभी राज्यों और जिलों के पेंडेंसी और निपटान की निगरानी कर सकते हैं।
26 नवंबर, 1949 को बना संविधान
26 जनवरी, 1950 को अंग्रेजों के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 की जगह भारत का संविधान लागू हुआ था। भारत का संविधान वैसे तो 26 नवंबर, 1949 को ही बनकर तैयार हो गया था और इसे संविधान सभा की मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन इसे 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था।
26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ था संविधान?
ऐसा करने की एक खास वजह थी, दरअसल, 26 जनवरी, 1930 को कांग्रेस ने देश की पूर्ण आजादी का नारा दिया था। इसी की याद में संविधान को लागू करने के लिए 26 जनवरी, 1950 तक इंतजार किया गया।
दरअसल, 1929 में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पहली बार पूर्ण स्वराज की शपथ ली गई थी। उस अधिवेशन में अंग्रेज सरकार से मांग की गई थी कि भारत को 26 जनवरी, 1930 तक संप्रभु दर्जा दे दिया जाए। फिर 26 जनवरी, 1930 को पहली बार पूर्ण स्वराज या स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था।
इसके बाद 15 अगस्त, 1947 तक यानी अगले 17 सालों तक 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता रहा। इस दिन के महत्व की वजह से 1950 में 26 जनवरी को देश का संविधान लागू किया गया और इसे गणतंत्र दिवस घोषित किया गया।
भारत के संविधान से जुड़ी अहम जानकारी
- भारत का संविधान भारत को कानूनी रूप से चलाने की ‘नियम पुस्तिका’ है।
- यह विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसे लिखने का काम 6 दिसंबर, 1946 से शुरू हुआ।
- इसे बनाने वाली कंस्टीटूएंट असेम्ब्ली थी, जिसमें प्रोविंशियल असेम्ब्लियों और प्रिंसली स्टेट्स से आए 299 सदस्य थे (पार्टीशन से पहले 389)।
- दुनिया भर के संविधानों से अध्ययन कर न्यायविद बीएन राउ ने डॉ आंबेडकर और ड्राफ्टिंग समिति को अनेकों इनपुट प्रदान किए, जिन्होंने बड़ी खूबसूरती से उन्हें जोड़ कर एक श्रेष्ठ ढांचा तैयार किया।
- अथक श्रम से यह 26 नवंबर 1949 (लॉ डे या कानून दिवस) को तैयार हुआ।
- गांधी जी, नेहरू और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से 1930 में 26 जनवरी को मनाए गए स्वतंत्रता दिवस की याद में ठीक दो महीने बाद 26 जनवरी 1950 (गणतंत्र दिवस) से इसे लागू किया गया।
- आज भारत के संविधान में कुल 25 (शुरू में 22) भाग, 448 (शुरू में 395) आर्टिकल्स हैं। यह दुनिया के सबसे आधुनिक विचारधारों जैसे सामाजिक, आर्थिक और लैंगिक समानता, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र को शामिल करता है।