ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क ने न्यू वेरिफिकेशन सिस्टम की लॉन्च डेट का खुलासा किया है। मस्क ने कहा, ट्विटर अगले हफ्ते शुक्रवार को (2 दिसंबर) को इसे लॉन्च करेगा। नए सिस्टम में सरकार, कंपनियों और आम लोगों को अलग-अलग रंग के बैज मिलेंगे। कंपनियों को गोल्ड चेक, सरकार को ग्रे चेक और आम नागरिकों को ब्लू टिक मिलेगा।
इसके अलावा सभी वेरिफाइड अकाउंट्स को चेक एक्टिवेट होने से पहले मैन्युअली चेक किया जाएगा। मस्क ने कहा कि यह पेनफुल है, लेकिन जरूरी है। इस सर्विस को लॉन्च करने में हो रही देरी के लिए मस्क ने माफी भी मांगी। वहीं एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि अगले हफ्ते इस वेरिफिकेशन सिस्टम की पूरी जानकारी दी जाएगी। इससे पहले मस्क ने कहा था कि वेरिफिकेशन सिस्टम को 29 नवंबर को लॉन्च किया जाएगा, लेकिन बाद में इसे टाल दिया गया था।
ब्लू सब्सक्रिप्शन में जोड़ा ब्लू चेक मार्क
ब्लू चेक मार्क पहले राजनेताओं, प्रसिद्ध हस्तियों, पत्रकारों और अन्य सार्वजनिक हस्तियों के वेरिफाइड अकाउंट के लिए रिजर्व था। मस्क के ट्विटर टेकओवर के बाद इसे ब्लू सब्सक्रिप्शन सर्विस में जोड़ा गया है। कोई भी व्यक्ति पेमेंट कर इस ब्लू चेक मार्क को ले सकता है। हाल ही में इस सर्विस को कुछ देशों में 8 डॉलर प्रति महीने (करीब 660 रुपए) की कॉस्ट पर लॉन्च किया गया था, लेकिन फेक अकाउंट के बढ़ने के चलते इसे होल्ड कर दिया गया।
ब्लू सर्विस से बढ़ने लगे थे फेक अकाउंट्स
पेड वेरिफिकेशन फीचर के रोल आउट होते ही ट्विटर पर कई मशहूर हस्तियों के कई फर्जी अकाउंट सामने आ गए। कई कंपनियों के भी फेक अकाउंट बनाए गए जिसका असर उस कंपनी के शेयर पर भी पड़ा। कुछ ने गेमिंग कैरेक्टर ‘सुपर मारियो’ और बास्केटबॉल खिलाड़ी लेब्रोन जेम्स के भी फर्जी अकाउंट बनाए थे। अब इस सर्विस को रिलॉन्च किया जा रहा है।
भारत में ब्लू सब्सक्रिप्शन के लिए चुकाने होंगे 719 रु
भारत में कुछ ट्विटर यूजर्स को 10 नवंबर की रात ब्लू सब्सक्रिप्शन के लिए एपल ऐप स्टोर पर पॉप-अप मिला। इसमें ट्विटर ब्लू सब्सक्रिप्शन की मासिक कीमत 719 रुपए बताई गई। हालांकि, कीमत अभी भी आधिकारिक तौर पर सामने नहीं आई है।
सब्सक्रिप्शन मोड पर ले जाने की 3 वजहें
1. कंपनी को रोजाना 32 करोड़ का नुकसान हो रहा है। वो नए मॉडल से रेवेन्यू बढ़ाना चाहते हैं।
2. मस्क ने ट्विटर को 44 बिलियन डॉलर में खरीदा है। वो जल्द इसकी भरपाई करना चाहते हैं।
3. ट्विटर पर भारी कर्ज है। वो इसे खत्म करने के लिए ऐडवर्टाइजर्स पर निर्भर नहीं रहना चाहते।