उत्तराखंड के रुड़की में भारतीय टीम के विकेटकीपर बल्लेबाज रिषभ पंत का घर है। यहां वे पिता राजिंदर पंत की गेंद पर जमकर अभ्यास करते थे। पिता ने खुलासा किया ता कि वे अपने बेटे रिषभ पंत के सीने पर तकिया बांध कर उसे कॉर्क की गेंद से अभ्यास कराते थे, ताकि पंत के मन से तेज गेंदबाजों के खिलाफ डर खत्म हो जाए। ऐसा ही कुछ देखने को मिला ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ, जब उन्होंने चार तेज गेंदबाजों का जमकर सामना किया और खूब रन बनाए।
रिषभ पंत ने इससे पहले भी कई बार तूफानी खेल दिखाया है, लेकिन ब्रिसबेन में खेली गई 138 गेंदों में 89 रन की की मैच जिताऊ पारी ने उनके जैसे तमाम युवाओं को सीख दे दी है। दुर्भाग्य की बात है कि रिषभ पंत के पिता ब्रिसबेन की पारी देखने के लिए इस दुनिया में मौजूद नहीं थे, लेकिन रिषभ पंत ने निश्चित तौर पर इस पारी को खेलने के बाद यह जरूर सोचा होगा कि यह उन्हीं दिनों का नतीजा है, जब वे छत पर अभ्यास करते थे।
लगातार अभ्यास से बचन के लिए रिषभ पंत दो टिफिन बॉक्स लेकर जाते थे, जिससे कि खाने में ज्यादा समय जाए। रिषभ पंत के पिता राजिंदर ने 2019 में कहा था, “मैं रुड़की में अपने घर पर सीमेंट से बनी छत पर उसे कॉर्क गेंद से अभ्यास कराता था, जहां गेंद तेजी से आती थी। उस समय शहर में कोई टर्फ पिच नहीं थी। मैं उसके सीने पर तकियां बांधता था ताकि तेज गेंद खेलते हुए उन्हें चोट न लगे, लेकिन उन्हें चोट लगी, फ्रैक्चर भी हुआ। यह इसलिए भी करता था, ताकि उनके दिल से डर निकल जाए। यह एक्सट्रा कोचिंग थी।”
अपने बेटे की प्रतिभा को देखते हुए राजिंदर और उनकी पत्नी सरोज ने रिषभ पंत को दिल्ली में द्रोणाचार्य अवॉर्ड से सम्मानित तारक सिन्हा के यहां कोचिंग के लिए भेजने का निर्णय लिया था। रुड़की से दिल्ली का सफर आसान नहीं था, क्योंकि उनकी मां सुबह तीन बजे उठकर दिल्ली की बस लेती थीं, ताकि उनका बेटा तारक सिन्हा के क्लब में शनिवार और रविवार को अभ्यास कर सके। वह और उनका बेटा पास ही में बने गुरुद्वारे में रुकते थे, ताकि वह रविवार को अभ्यास कर सके। इसके बाद रिषभ दिल्ली मे किराए पर रहने लगे।
रिषभ पंत ने जब बड़े होकर दिल्ली में रहना शुरू किया तो सिन्हा ने दोहरी जिम्मेदारी निभाई और माता-पिता की भूमिका भी निभाई। ऑस्ट्रेलिया में मंगलवार को मिली जीत के बाद रिषभ पंत ने व्हॉट्सएप पर सिन्हा को फोन किया। निश्चित तौर पर कोच खुश थे और उन्होंने रिषभ को बधाई भी दी।
सिन्हा ने आइएएनएस से कहा, “मैं इस बात से खुश हूं कि रिषभ ने जिम्मेदारी और सूझबूझ भरी पारी खेली। उनके ऑफ साइड के शॉट्स भी सुधरे हैं और यह आज देखने को मिला। उन्होंने धीरे-धीरे शुरुआत की, फिर तेज खेला, खासकर तब जब ऑस्ट्रेलिया ने दूसरी नई गेंद ली थी। उनका अब टैम्परामेंट भी अच्छा है। मुझे ऐसा लगता है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम उनसे डरती है। यह लंबे समय से उनके दिमाग में था कि मुझे नाबाद रहते हुए टीम को जीत दिलानी है। कुछ लोग मैच खत्म न करने को लेकर उनकी आलोचना कर रहे थे। वह फिनिशर बनना चाहते हैं और आज उन्होंने बता दिया कि वह इस रास्ते पर हैं। मैंने उनसे यह भी कहा कि वह नब्बे की लाइन में आकर आउट हो जाते हैं और शतक नहीं पूरा कर पाते हैं।”