बीते हफ्ते सेंसेक्स पहली बार 63,000 से ऊपर बंद हुआ। ये ऐसे समय हुआ जब अमेरिका और यूरोप जैसी बड़ी व विकसित अर्थव्यवस्थाएं सुस्त पड़ गई हैं। इसके चलते दुनियाभर के ज्यादातर शेयर बाजार बिकवाली के दबाव में हैं। लेकिन अधिकांश भारतीय निवेशक अच्छे-खासे मुनाफे पर बैठे हैं, खास तौर पर वो लोग जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान शेयर खरीदा था। ऐसे लोग असमंजस में हैं।
एनआरपी कैपिटल्स के संस्थापक सीए ऋषभ पारख कहते हैं कि उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति और बिगड़ने पर कहीं बाजार में तेज करेक्शन (अत्यधिक बढ़त के बाद गिरावट) न शुरू हो जाए। असल में आम भारतीय निवेशक गिरते हुए बाजार से ज्यादा चढ़ते हुए बाजार को लेकर आशंकित रहते हैं और यहीं गलती कर बैठते हैं। ऐसे दौर में मुनाफावसूली आम ट्रेंड है, लेकिन ये सोच बदलने की जरूरत है।
बाजार चढ़ रहा है इसका मतलब ये नहीं कि निकट भविष्य में ये जरूर गिरेगा
बाजार चढ़ रहा है। इसका ये मतलब नहीं है कि निकट भविष्य में ये जरूर गिरेगा। गिरावट आने पर भी जल्द तेजी नहीं आएगी, ये भी नहीं कहा जा सकता। मतलब बाजार को टाइम करना संभव नहीं है। ऐसे में सिर्फ रिकॉर्ड तेजी की वजह से शेयर बेचना अच्छी रणनीति नहीं हो सकती। शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों को इन 3 बातों का ध्यान रखना चाहिए
बाजार की चाल का सटीक अंदाजा नामुमकिन, प्रयास बेकार
बाजार में तेजी आने पर मुनाफा वसूली आम तौर पर बाजार गिरने पर खरीदारी की सोच के साथ की जाती है। लेकिन वास्तव में कम दाम पर शेयर खरीदना और ऊंची कीमतों पर बेचना व्यवहारिक तौर पर सबसे अच्छी रणनीति नहीं होती। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि आप सटीक अंदाजा नहीं लगा सकते कि बाजार कब चढ़ेगा और किस लेवल से गिरना शुरू होगा।
रियल एस्टेट के निवेशकों की तरह सोचें, ये जल्दी में नहीं रहते
शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों को रियल एस्टेट के निवेशकों की तरह सोचना चाहिए। प्लॉट, मकान या कमर्शियल प्रॉपर्टी के निवेशक कीमतों में रोजाना बदलाव की चिंता नहीं करते। वास्तव में रियल एस्टेट से कमाई करने वाले लोग लंबे समय तक निवेशित रहते हैं। शेयर बाजार की फितरत भी ज्यादा अलग नहीं है। याद रखिए कि 1979 में सेंसेक्स 100 पर था।
तेजी-गिरावट पर नहीं, क्वालिटी पर फोकस करें
बाजार किसी भी मोड़ पर हो, आपको क्वालिटी शेयरों की पहचान करने की जरूरत होती है। फिर निवेश बनाए रखें और पोर्टफोलियो की समीक्षा करते रहें। ठीक वैसे ही, जैसे प्रॉपर्टी के मामले में करते हैं। आप गलत लोकेशन या कमजोर इन्फ्रास्ट्रक्चर वाली प्रॉपर्टी में पैसा नहीं लगाते।