बच्चों का शर्मीलापन दूर करेगी मोरिटा थेरेपी:बच्चे को दूसरों के कमेंट्स के प्रति कम सेंसिटिव बनाएं

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मेरा बच्चा शर्मीला है

क्या आप का बच्चा भी संकोची/शर्मीला है? क्या आप का बच्चा ग्रुप में बातचीत करने में घबराता है? क्या आप का बच्चा भी अधिकतर अकेले रहना पसंद करता है? क्या आपको ये पसंद नहीं?

शर्मीले लोगों को इंट्रोवर्ट या शाय कह सकते हैं। (Introvert / Shy)

यदि ऐसा है तो यह आर्टिकल आपके लिए है। बच्चे के अत्यधिक शर्मीलेपन को कम कर के, आप उसका ओवरआल परफॉरमेंस बहुत सुधार सकते हैं।

शर्मीला होना क्या होता है

‘शर्मीलापन’ दूसरों के साथ जुड़ने, बात करने से होने वाली अनिच्छा, हिचक, संकोच या डर है।

ईस्टर्न कल्चर में शर्मीला होना बुरा नहीं माना जाता, और शास्त्रों में तो इसे स्त्री का आभूषण तक कहा गया है!

शर्मीला होना, या किसी कार्य में शर्म महसूस करना, अलग-अलग चीजें हैं। जहां शर्म मनुष्य की आत्मिक उन्नति के लिए आवशयक है और उसे किसी भी तरह की पाशविक व्यवहार से रोकने के लिए आवश्यक भी है वहीं शर्मीलापन केवल सामाजिक रूप से बहुत ना जुड़ पाने को कहते हैं।

मॉडर्न वर्ल्ड में एक समस्या

A) अत्यधिक शर्मीलापन आधुनिक युग की सबसे कम मान्यता प्राप्त मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है।

B) शर्मीला होना चिंता की बात नहीं है। शर्मीलापन एक ऐसा गुण है जो इंसान होने का एक हिस्सा है।

C) साधारण तौर पर शर्मीला होना तब समस्या बन जाती है जब यह ‘सोशल फोबिया’ और ‘सोशल एनजाइटी डिसऑर्डर’ का रूप धारण कर लेती है।

D) जैसे कि कोई बच्चा फोन पर बात करने में इतना डरता हो कि उसके मुंह से शब्द ही न निकल पाए या कोई बच्चा पास की किराना शॉप से जाकर सामान लाने में भी असहज हो।

E) शारीरिक लक्षणों में अत्यधिक शरमाना, पसीना आना या कांपना शामिल हो सकता है।

F) इस स्थिति में यह बच्चे के करियर और उन्नति में बाधक बन सकती है।

कुछ लोग शर्मीले क्यों होते हैं

1) पालन-पोषण: बहुत कुछ पालन-पोषण पर निर्भर करता है। अधिकांश शर्मीलापन जीवन के अनुभवों से प्राप्त होता है। यह उस शक्तिशाली इमोशनल बॉन्ड से सम्बंधित है जो माता-पिता जीवन के शुरुआती वर्षों में अपने बच्चों के साथ बनाते हैं।

2) कल्चरल कारण: जापान और भारत जैसे ईस्टर्न कल्चर वाले देशों में यदि कोई बच्चा कोशिश करता है और किसी प्रोजेक्ट में सफल होता है, तो इसका श्रेय उसके माता-पिता, दादा-दादी, शिक्षक, प्रशिक्षक, यहाँ तक कि भगवान को भी जाता है। समस्या तब होती है, जब असफल होने पर पूरा समाज उस असफलता की जिम्मेदारी नहीं लेता! तब बच्चों के आत्मविश्वास में कमी हो जाती है, और कई प्रश्न अनुत्तरित रह जाते हैं।

अत्यधिक शर्मीलेपन की समस्या को हल करें

शर्मीला होना चिंता की बात नहीं है।

ईस्टर्न और वेस्टर्न फिलॉसोफी में एक अंतर यह है कि जहां वेस्टर्न फिलॉसोफी हमें बाहर की और सोचना सिखाती है और जीवन की हर समस्या का हल अपने बाहर ढूंढने के लिए प्रेरित करती है, वहीं ईस्टर्न फिलॉसोफी जीवन की समस्याओं के समाधान हमारे स्वयं के भीतर ढूंढने के लिए प्रेरित करती है।

इसलिए पूर्व के बच्चों का अधिक शर्मीला या इंट्रोवर्ट होना स्वाभाविक है। समस्या तब है जब यह डर के कारण हो, या इससे रोजमर्रा का जीवन प्रभावित होता हो।

शर्मीलापन दूर करने की मोरिटा थेरेपी

A) जापानी मनोचिकित्सक शोमा मोरिटा के नाम पर, चिकित्सा का यह तरीका इस धारणा पर आधारित है कि सभी भावनाएं जीवन का हिस्सा हैं।

B) मोरिटा तकनीक जेन बौद्ध ध्यान (Zen Buddhism) के समान है, जहां एक व्यक्ति श्वास पर ध्यान केंद्रित करता है।

C) जब विचार उठते हैं तो उन्हें स्वीकार किया जाता है, फिर सांस पर ध्यान दिया जाता है।

D) मोरिटा थेरेपी में, फोकस सामाजिक संपर्क पर होता है – सबसे पहले डर को स्वीकार किया जाता है, फिर सामाजीकरण में भाग लिया जाता है।

E) मोरिटा थेरेपी के अनुसार, कोई बच्चा परिवार के सदस्यों से भरे एक कमरे में जिनसे वह घनिष्ठ रूप से परिचित हैं, शर्म महसूस नहीं करता है। ऐसा इसलिए नहीं कि वह उन्हें जानता हैं बल्कि इसलिए कि वे उसे जानते हैं।

F) कोई बच्चा परिवार के सदस्यों से भरे एक कमरे में इसलिए शर्म महसूस नहीं करता क्योंकि वे सभी उसके सामान्य व्यवहार को हज़ारों बार देख चुके हैं और वह पहले से ही इस पर उनकी प्रतिक्रिया जानता है।

G) हालांकि, अजनबियों से भरे कमरे में बच्चा वहां हिचकता, शर्माता है।

H) अब यदि हम इसे मोरिटा थेरेपी के अंतर्गत देखे तो पाएंगे शर्मीलेपन का मूल कारण है कि बच्चे का फोकस कहां है।

I) यदि बच्चे का फोकस अपने-आप पर है, वह अत्यधिक आत्म-जागरूक होगा और बार बार, हमेशा यह सोचेगा मेरे ऐसा करने पर लोग कैसे प्रतिक्रिया देंगे या फिर वैसे करने पर क्या प्रतिक्रिया देंगे।

J) इसके बजाय यदि बच्चे का फोकस अपनी और ना होकर बाहर की अच्छी चीजों, व्यक्तियों, अन्य बच्चों के साथ बातचीत, खेलकूद पर हो तो शर्मीलेपन की समस्या अपने आप समाप्त हो जाएगी।

K) अर्थात बच्चों को दूसरे व्यक्तियों/बच्चों के साथ आनंद लेना सिखाएं। ऐसे खेलो में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें जिसमें अधिक लोगों की आवश्यकता होती है जैसे कैरम, इत्यादि।

आपको बच्चे को दूसरे लोगों की उसके लिए की गई प्रतिक्रियाओं के लिए कम सेंसेटिव बनाना है।

मतलब यदि किसी ने थोड़ा बहुत कुछ कह भी दिया या मज़ाक भी बना दिया तो उससे बच्चे को ज्यादा फर्क न पड़े। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा।