पड़ोस के पार्क में देखा कि कुछ लड़कियां हैंडबाल खेल रही हैं। पहली बार खेला और अच्छा लगा। उसके बाद फिर उनके साथ ही खेलना शुरू कर दिया। महज छह महीने के खेल में ही साईं हॉस्टल लखनऊ के लिए चुन लगी गई। उसके बाद महज 6 साल के अंदर देश के लिए खेलने लगी। इस बीच में एक ऐसा समय आया जब चोट की वजह से लगा कि करियर ही खत्म हो जाएगा। लेकिन उससे भी लड़ाई लड़ी। यह कहानी है भारतीय महिला हैंडबाल खेलने वाली तेजस्विनी सिंह की। प्रयागराज की रहने वाले तेजस्विनी सिंह भारतीय टीम के साथ कोरिया गई है।
सवाल – हैंडबॉल में कैसे आना हुआ। यूपी में ये खेल बहुत लोकप्रिय नहीं रहा है?
जवाब – प्रयागराज में घर के पास में ही कुछ लड़कियां यह गेम खेल रही थी। शाम को प्रतिदिन वहां टहलने जाना होता था। उसके बाद उनके साथ ही खेलना शुरू किया और छह महीने अंदर साईं सेटर के लिए चुन ली गई।
सवाल – साईं में सिलेक्शन के लिए कितना प्रयास और मेहनत करनी पड़ी थी?
जवाब – मेहनत तो काफी रही। नतीजा सिलेक्शन हो गया। साईं हॉस्टल में साल 2010 में आना हुआ। पापा ट्रॉयल दिलाने के लिए ले गए थे। पहली बार में सिलेक्शन हो गई थी।
सवाल – अभी तक आपने बड़े स्तर पर हैंडबाल में देश का प्रतिनिधित्व कहां-कहां किया है?
जवाब – साल 2017 में उजबेकिस्तान, 2019 लखनऊ में होने वाले चैम्पियनशिप खेली। अभी कोरिया में एशियन चैम्पियनशिप में खेला है।
सवाल – साल 2018 में आपको अृमतसर में एक मुकाबले के दौरान चोट लगी थी, उसके बारे में बताएं ?
जवाब – हां, यह सही बात है। अमृतसर में वर्ष 2018 में हुए एक मुकाबले के दौरान चोटिल हो गई। लगा कि अब करिअर खत्म हो जाएगा। देश के लिए बड़े मंच पर खेलने का सपना अधूरा ही रह जाएगा। कंधे की चोट से जैसे-तैसे उबर तो जाऊंगी लेकिन क्या देश के लिए खेल पाऊंगी यह सवाल परेशान करता था।
सवाल – इस स्थिति से खुद को कैसे उभार पाईं?
जवाब – इस कठिन परिस्थिति में कोच आसिफ और माता-पिता ने मनोबल बढ़ाया। फिर मैं डटी रही। अब 24 नवंबर से चार दिसंबर तक कोरिया में होने वाली 19वीं एशियन महिला हैंडबाल चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में रही।
PAC में पिता करते हैं नौकरी
तेजस्विनी के पिता PAC में हेड कॉस्टेबल है। 2010 में प्रयागराज में ही घर के सामने बने पार्क में PAC में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात पिता राजेश सिंह और मां रेखा के साथ हैंडबाल खेलने जाती थी। यहां पर कोच ने साईं लखनऊ के लिए फार्म भरवा दिया। फिर साईं लखनऊ हॉस्टल में शिफ्ट हो गई। हॉस्टल में 2010 से 2017 तक रही।
इस दौरान नेशनल लेवल पर दर्जनों पदक जीते। वर्ष 2018 में खेल कोटे से SSB में नौकरी मिली। मगर खेल से दूरी नहीं बनाई। उपलब्धियों को देखते हुए सरकार ने लखनऊ में वर्ष 2019 में रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड से सम्मानित किया।