भाजपा को झटका:दिल्ली निगम में आप की सरकार, 15 साल बाद भाजपा की हार

दिल्ली नगर निगम एक तरह से दिल्ली की सरकार। जब विधानसभा नहीं थी तब तो दिल्ली में महापौर का ही राज हुआ करता था। यहां 15 साल से भाजपा का राज था। दिल्ली की मौजूदा सरकार यानी केजरीवाल सरकार को विकास के लिए कई मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ती थी। सरकार का काम हो तो LG से और नगर निगम सीमा में विकास की बात हो तो भाजपा के नेतृत्व वाले निगम से। अब बहुत हद तक अड़चनें हट जाएंगी।

निगम जो दिल्ली के लिए सरकार से भी ज़्यादा काम करता है, वह आप पार्टी के हाथ में चला गया है। निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि कम से कम दिल्ली में तो केजरीवाल एक ब्रांड बन गए हैं। हालाँकि भाजपा अब कह रही है कि सत्येंद्र जैन के इलाक़े में तो आप की हार हुई है। मनीष सिसोदिया के क्षेत्र में तो आप पार्टी बुरी तरह हारी है, लेकिन नतीजों को देखें तो कुल मिलाकर आप की जीत हुई है। ये बात और है कि इसे भाजपा सीधे तौर पर स्वीकार करने को तैयार नहीं है।

दरअसल, दिल्ली में केजरीवाल के मुक़ाबले भाजपा के पास कोई चेहरा नहीं है। विडंबना यह है कि देश के कई राज्यों में भाजपा के पास कोई स्थानीय मज़बूत चेहरा नहीं है। हर जगह भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर जीतना चाहती है। ऐसे में जहां एकदम लोकल मुद्दे छाए रहते हैं या स्थानीय मुद्दों पर ही चुनाव केंद्रित हो जाता है, वहाँ भाजपा हार जाती है। अकेले मोदी जी आख़िर कहाँ- कहाँ ताक़त लगाएँ भला?

भाजपा को ज़रूरत है स्थानीय स्तर पर मज़बूत और पॉपुलर चेहरे डेवलप करने की। सही मायनों में तभी डबल इंजन की सरकार अपनी छाप छोड़ पाएगी। फ़िलहाल डबल इंजन की सरकार तो सिर्फ़ कहने की है, काम तो सिंगल इंजन ही कर रहा है। मतलब मोदी। और कोई नहीं। कोई भी नहीं।

ख़ैर गुजरात और हिमाचल के परिणाम गुरुवार को आने वाले हैं। 27 साल से जिस गुजरात की सत्ता पर भाजपा क़ाबिज़ है वह इस बार उसके साथ क्या करेगा, आठ दिसंबर की दोपहर तक पता चल जाएगा। हिमाचल में कांग्रेस और भाजपा दोनों की स्थिति डांवाडोल लग रही है। एक- दो सीटों के अंतर से दोनों में से किसी एक की सरकार बनने की संभावना जताई जा रही है।

बहरहाल, आप पार्टी को गुजरात में तीन सीटें मिल पाए या चार, लेकिन दिल्ली नगर निगम में स्पष्ट बहुमत लाकर उसने दिखा दिया है कि केजरीवाल सरकार के काम दिल्ली वासियों को पसंद आ रहे हैं, साथ ही दिल्ली वासी केजरीवाल और उनकी सरकार पर भाजपा की बजाय ज़्यादा भरोसा करते हैं।

हालाँकि भाजपा का कहना है कि केजरीवाल सरकार के कई लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और अमुक इलाक़ों में इसीलिए जनता ने उसे सबक़ सिखाया है, लेकिन दिल्ली निगम चुनाव के नतीजे साफ़-साफ़ भाजपा के इन तमाम आरोपों को ठुकरा रहे हैं और केजरीवाल के कामों पर विश्वास जताते भी दिखाई दे रहे हैं।