मुरादाबाद सब्जीमंडी में किफायती फ्लैट्स का स्टॉल:MDA को लंबे इंतजार के बाद भी नहीं मिले खरीदार; अफसर बोले-असली खरीदार तक पहुंचने का ये हमारा तरीका

सब्जी मंडी में यूं तो सब्जी ही बिकती है। लेकिन मुरादाबाद की सब्जी मंडी में इन दिनों फ्लैट्स भी बिक रहे हैं। मंदी के दौर में मुरादाबाद विकास प्राधिकरण काे फ्लैट्स के खरीदार ढूंढे नहीं मिल रहे। ऐसे में एमडीए ने फ्लैट बेचने के लिए मंडी समिति में स्टॉल लगाया है। जहां किफायती दरों पर फ्लैट ऑफर किए गए हैं।

हालांकि मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के अफसरों का तर्क है कि इससे वो वास्तविक खरीदारों तक पहुंच सकेंगे। फिलहाल तो एमडीए का सब्जी मंडी में लगा ये स्टॉल शहर में चर्चा का विषय है। सब्जी मंडी में सब्जी के साथ फ्लैट्स वाले इस स्टॉल पर लोग चटकारे लेकर चर्चा कर रहे हैं। बता दें कि मुरादाबाद विकास प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं में बने उसके फ्लैट्स में खरीदार रुचि नहीं दिखा रहे हैं। निर्माण की घटिया क्वालिटी इसकी बड़ी वजह मानी जा रही है।

नया मुरादाबाद में खंडहर हो गए तमाम फ्लैट्स
नया मुरादाबाद योजना के अलग-अलग सेक्टरों में एमडीए ने फ्लैट बनाए। अलग-अलग कैटेगिरी में बने इन फ्लैट्स में खरीदारों ने रुचि नहीं दिखाई। जिसकी वजह से ये खंडहर हाे चले हैं। मझोला थाने के बैकसाइड में बने 2 BHK फ्लैट्स 10 साल बाद भी वीरान पड़े हैं। यही हाल इसके पास बने EWS फ्लैट्स का है। घटिया ऑर्किटेक्चर और निर्माण की निम्म क्वालिटी के कारण लोग इन फ्लैट्स को खरीदना नहीं चाहते। नया मुरादाबाद के बाकी सेक्टर में बने फ्लैट्स का भी यही हाल है। इसके अलावा मंडी समिति के पीछे बने EWS हों या फिर लाइनपार, कटघर और दूसरे क्षेत्रों में बनाए गए फ्लैट्स, एमडीए को इनके खरीदार ढूंढे नहीं मिल रहे।

एकता विहार के 525 फ्लैट्स बिना बसे तोड़े

मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के अफसरों ने जवाबदेही नहीं होने की वजह से जनता के पैसे को पूरी बेदर्दी से बर्बाद किया है। रामपुर रोड पर एकता विहार दक्षिणी योजना में करीब 22 साल पहले खुद के बनाए 525 फ्लैट्स को एमडीए अब खुद ही तोड़ रहा है। इसकी वजह ये है कि घटिया डिजाइन की वजह से इन फ्लैट्स को एक भी खरीदार नहीं मिला। एमडीए आश्रय योजना के इन बेहद सस्ते फ्लैट्स को भी नहीं बेच सका। घटिया ऑर्किटेक्चर इसकी एक बड़ी वजह था। फ्लैट्स इस तरह डिजाइन किए गए कि उनमें 2-2 फ्लैट्स पर एक ही कॉमन वॉशरूम था। नतीजा ये रहा कि करोड़ों रुपये से बने ये फ्लैट्स आबाद होने से पहले खुद एमडीए को अपने हाथों से तोड़ने पड़ रहे हैं।

MDA के खुद के आवास हो रहे खंडहर
प्राधिकरण अफसरों द्वारा की गई रकम की बर्बादी यहीं तक नहीं सिमटी है। नया मुरादाबाद में 15 साल पहले एमडीए की ऑफिसर्स कालोनी करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाकर बनाई गई। एमडीए के वीसी से लेकर दूसरे अफसरों की आलीशान कोठियां भी यहां सरकारी खजाने से बनीं। कर्मचारियों के लिए भी आवास बना दिए गए। लेकिन 15 साल बाद भी इन आवासों में रहने कोई नहीं पहुंचा है। हालात ये हैं कि ये कोठियां और कर्मचारी फ्लैट्स भी आबाद होने से पहले ही जर्जर हो चले हैं।

ट्रांसपोर्ट नगर कॉम्प्लेक्स का भी यही हाल है। उसे सड़क से इतना नीचे बना दिया गया कि बरसात में यहां दुकानों में पानी भरता है। जिसकी वजह से 22 साल पुराने एमडीए के इस कॉम्प्लेक्स को कोई खरीदार ही नहीं मिला है।