कितनी तरह का होता है अर्थराइटिस, कैसे करें इसकी पहचान और क्या है उपचार, जानें सभी जरूरी बातें

हमारे घरों की महिलाएं पूरी फैमिली का ध्यान रखती हैं, लेकिन इस बीच वो खुद का ध्यान रखने में लापरवाही कर जाती हैं। अब जबकि सर्दियों का मौसम चल रहा है तो इस दौरान महिलाओं में घुटनों का दर्द उभर कर सबसे ऊपर आता है और समस्या यह है कि महिलाएं इसका इलाज घरेलू नुस्खों से करती रहती हैं। इसी वजह से उनका दर्द इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि सर्जरी कराना ही अंतिम उपाय रह जाता है। तो आइए आज बात करते हैं अर्थराइटिस और इसकी नई तकनीकों के बारे में ताकि महिलाओं को अपंगता भरी जिंदगी न बितानी पड़े।

अर्थराइटिस को कैसे पहचानें?

साधारण शब्दों में समझें तो हमारे घुटने मुख्य रूप से दो हड्‍डियों के जोड़ से बने होते हैं और इन दोनों हड्डियों के बीच सुगमता लाने के लिए कार्टिलेज होता है जिससे घुटने आसानी से मुड़ पाते हैं। कई बार उम्र से पहले या उम्र बीतने के साथ कार्टिलेज घिसने लगता है और दर्द होता है। दर्द से परेशान मरीज कई बार तो बिस्तर तक से नहीं उठ पाते।

ओस्टियो अर्थराइटिस

इसमें आमतौर पर कार्टिलेज क्षतिग्रस्त होने लगता है। आमतौर पर 55 साल की उम्र के बाद होता है। युवा अवस्था में भी लोग इस बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं।

रूमेटाइड अर्थराइटिस

यह ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें इम्यून सिस्टम शरीर के खिलाफ काम करने लगता है। ब्लड टेस्ट निगेटिव होने के बावजूद रूमेटॉइड अर्थराइटिस का आमतौर पर 35-55 साल की उम्र में होने का चांस ज्यादा होता है।

सोरायसिस अर्थराइटिस

इसमें सोरायसिस की वजह से घुटनों के जोड़ों को अर्थराइटिस होने का रिस्क रहता है।

क्या है उपचार

डॉक्टर अर्थराइटिस की स्टेज जानने के लिए नॉर्मल ब्लड टेस्ट, एक्स रे, यूरिक एसिड जैसे टेस्ट का सहारा लेते हैं। अगर सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो इलाज में काफी समय लगता है और रोगी जल्द ही बेहतर होने लगते हैं। लोग खासतौर से महिलाएं गंभीर स्टेज में ही डॉक्टर से सलाह लेती हैं जिससे उनकी समस्या का इलाज केवल टोटल नी रिप्लेसमेंट (टीकेआर) ही बचता है। टी के आर की नई तकनीकों में कंप्यूटर की मदद से घुटने का अलाइनमेंट किया जाता है।