अन्ना की मांग 11 साल बाद महाराष्ट्र में पूरी:CM-डिप्टी CM लोकायुक्त के दायरें में आएंगे, शिंदे सरकार ने अन्ना पैनल की सभी मांगें मानीं

महाराष्ट्र सरकार राज्य में लोकपाल एक्ट लागू करेगी, जो राज्य के मुख्यमंत्री को लोकायुक्त के अधिकार क्षेत्र में रखेगा। शिंदे सरकार ने 11 साल बाद सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की मांग पूरी की है। विधानसभा सत्र से पहले नागपुर में आयोजित एक कैबिनेट बैठक के दौरान महाराष्ट्र में लोकपाल के समान लोकायुक्त स्थापित करने की अन्ना हजारे समिति की सिफारिश को मंजूरी दी गई।

महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने मीडिया को बताया- हम पूरी पारदर्शिता के साथ सरकार चलाएंगे। हम महाराष्ट्र को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएंगे, इसलिए हमने राज्य में लोकायुक्त कानून लाने का फैसला किया है।

लंबे समय से हो रही थी लोकपाल एक्ट लागू करने की मांग
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा- लोकायुक्त बिल इसी सत्र में लाया जाएगा। अन्ना हजारे लगातार मांग कर रहे थे कि केंद्र में जिस तरह से लोकपाल बिल बनाया गया था, उसी तरह महाराष्ट्र में भी लोकपाल बिल लागू किया जाना चाहिए।

उन्होंने बताया- हमने अपने कार्यकाल के दौरान सिफारिशों के लिए अन्ना हजारे के नेतृत्व में एक समिति गठित की थी, जो सिफारिश दी है उसको स्वीकारा है और ये कानून तैयार किया है। हालांकि, महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार के दौरान इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब हम सत्ता में लौटे, तो हमने इस प्रक्रिया को तेज किया।

लोकायुक्त पांच सदस्य की टीम
डिप्टी सीएम ने कहा- लोकायुक्त 5 सदस्यीय टीम होगी, जिसमें हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस भी शामिल होंगे। उन्होंने कहा- हम भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए लोकपाल का एक नया अधिनियम बना रहे हैं, और यह हमारी सरकार की ओर से पिछले पांच महीनों में उठाया गया सबसे बड़ा कदम है।

बॉर्डर विवाद पर फडणवीस का जवाब
बॉर्डर विवाद पर बोलते हुए फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा का मुद्दा हाल ही में नहीं उठा है। सांगली जिले में जाट के ग्रामीणों ने 2013 में कर्नाटक में शामिल होने का प्रस्ताव पारित किया था। इसके अलावा, कई सीमावर्ती जिले जो गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे अन्य सीमावर्ती राज्यों में शामिल होने की मांग कर रहे हैं, कुछ राजनीतिक दलों की ओर से उकसाए जा रहे हैं। हमने इसके बारे में सभी जानकारी इकट्ठा की है और इसे जल्द ही घोषित करेंगे।

2011 में अन्ना भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अनशन पर थे
5 अप्रैल, 2011 को सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने ‘भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन’ शुरू किया था। उनकी मांग थी कि सरकार लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए एक कमेटी बनाए। सरकार ने उनकी मांग मानते हुए अनशन के पांचवें दिन, यानी 9 अप्रैल को इसके लिए अधिसूचना जारी की, जिसके बाद अन्ना ने एक छोटी बच्ची के हाथों नींबू पानी पीकर अपना अनशन तोड़ा।

अनशन खत्म करने के बाद उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि 15 अगस्त तक लोकपाल विधेयक पास नहीं किया जाता है, तो अगले दिन से वो एक बार फिर आंदोलन शुरू करेंगे। 15 अगस्त तक विधेयक पास नहीं हुआ और 16 अगस्त को अन्ना दोबारा अनशन पर बैठे। इसके बाद देशभर में अन्ना के समर्थन में आंदोलन शुरू हो गए। आखिरकार सरकार को आनन-फानन में इस बिल को लोकसभा में लाना पड़ा। लोकसभा में बिल पास होने के बाद अन्ना का आंदोलन खत्म हुआ।

अन्ना के आंदोलन को किरण बेदी, कुमार विश्वास, अनुपम खेर, जनरल वीके सिंह, योगेंद्र यादव जैसी हस्तियों ने समर्थन दिया। अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह, शाजिया इल्मी जैसे कई लोग इस आंदोलन के बाद हीरो बन गए। अन्ना अपने आंदोलन को राजनीतिक लोगों से दूर रखते थे। अन्ना के साथ इस आंदोलन में शामिल कई लोग इसी आंदोलन से नेता बन गए। इन लोगों ने मिलकर आम आदमी पार्टी बनाई। केजरीवाल इसके संयोजक बने।

2014 को लागू हुआ विधेयक
लोकपाल विधेयक को 13 दिसंबर, 2013 को राज्यसभा में पेश किया गया। चार दिन बाद 17 दिसंबर, 2013 को यह विधेयक राज्यसभा से पास हो गया। अगले दिन 18 दिसंबर, 2013 को ये विधेयक लोकसभा से भी पारित हो गया।1 जनवरी, 2014 को राष्ट्रपति ने इसे अपनी सम्मति दे दी और 16 जनवरी, 2014 को यह लागू हो गया।

लोकायुक्त क्या है?
लोकायुक्त एक सर्वोच्च कानूनी फंक्शनरी है, जिसका उद्देश्य राज्य सरकार और उसके प्रशासन के खिलाफ लोगों की शिकायतों को देखना है। एक बार विधेयक पारित हो जाने के बाद, राज्यपाल बंबई हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता के साथ उचित परामर्श के बाद लोकायुक्त की नियुक्ति करेंगे। महाराष्ट्र लोकायुक्त और उप-लोकायुक्त एक्ट, 1971 के जरिए लोकायुक्त की स्थापना करने वाला महाराष्ट्र देश का पहला राज्य था।