भारत यात्रा के राजस्थान से गुजरने के बाद क्या होगा?:गहलोत-पायलट के साथ से ही कांग्रेस को सरकार रिपीट होने की उम्मीद, दोनों में सुलह कराएगी

राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा अपने अंतिम फेज में है। 21 दिसंबर को यात्रा राजस्थान से निकलकर हरियाणा पहुंच जाएगी। तमाम शंकाओं के बीच राजस्थान में यात्रा ने सफलतापूर्वक अपना सफर राजस्थान में तय कर लिया है। यात्रा के दौरान राजस्थान कांग्रेस में वो सियासी एकता देखने को मिली जो पिछले चुनावों के दौरान दिखी थी। मगर अब राजस्थान की जनता और कांग्रेस के हर छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं के जहन में एक ही सवाल है कि अब यात्रा के बाद क्या?

कांग्रेस को करीब से देखने वाले राजनीतिक जानकार बताते हैं कि सितंबर में हुए सियासी ड्रामे के बाद से ही यह माना जा रहा था कि गुजरात-हिमाचल चुनाव और भारत जोड़ो यात्रा तक राजस्थान में किसी किस्म का बदलाव या मोटे तौर पर कोई उठापटक देखने को नहीं मिलेगी। हुआ भी वैसा ही। मगर जानकारों का कहना है कि अब वो समय आ गया है, जब कांग्रेस को इस अधरझूल की स्थिति से निकलकर निर्णय करना होगा।

यात्रा में दिखी एकजुटता क्या उसके बाद भी दिखेगी?
यात्रा के बाद सबसे बड़ा सवाल जो राजस्थान कांग्रेस के सामने खड़ा होगा, वह एकजुटता का है। यात्रा में गहलोत और पायलट के बीच एकजुटता नजर आई। यात्रा में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट साथ चलते नजर आए। हिमाचल प्रदेश में सीएम के शपथ ग्रहण में दोनों एक ही चार्टर से रवाना हुए। इससे पहले केसी वेणुगोपाल ने दोनों का साथ खड़ा कर एकता का मैसेज देने की कोशिश की। मगर क्या यात्रा के बाद भी यह एकता नजर आएगी, यह बड़ा सवाल अभी भी बना हुआ है।

राहुल गांधी गहलोत-पायलट को बता चुके हैं पार्टी के लिए जरूरी

हालांकि गहलोत के पायलट को गद्दार वाले बयान के बाद राहुल गांधी ने 28 नवंबर को इंदौर में मीडिया से बातचीत में कहा था कि गहलोत और पायलट दोनों नेता कांग्रेस के लिए बेहद जरूरी हैं। दोनों नेता कांग्रेस के लिए असेट हैं। राहुल गांधी के इस बयान के बाद यह साफ हो गया था कि कांग्रेस दोनों को साथ लेकर आगे बढ़ेगी।

दो राज्यों में स्थितियां शांत कर हाईकमान ने दिया मैसेज
पिछले कुछ समय में कांग्रेस का हाईकमान ज्यादा बेहतर और सक्रिय नजर आया है। पहले राजस्थान में यात्रा के आने से ठीक पहले उबले बवाल को केसी वेणुगोपाल ने आकर शांत किया। इसके बाद हिमाचल प्रदेश में भी सीएम की कुर्सी के लिए जब प्रतिभा सिंह और सुखविंद सिंह सुक्खू के समर्थकों के बीच द्वंद चल रहा था तब भी हाईकमान ने बड़ा निर्णय करते हुए इस लड़ाई को खत्म करवाया।

नए प्रभारी के सामने सबसे बड़ी चुनौती
राजस्थान में प्रभारी अजय माकन के इस्तीफे के बाद सुखजिंदर सिंह रंधावा को नया प्रभारी बनाया गया है। ऐसे में अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौति होगी कि वे किस तरह राजस्थान विवाद का निपटारा करें। राजस्थान में यात्रा में भले ही गहलोत-पायलट साथ चले हों, मगर कोटा में शांति धारीवाल के अशोक गहलोत के समर्थन में शक्ति प्रदर्शन और दौसा में सचिन पायलट को सीएम बनाने की मांग उठी है। जो बताती हैं कि अंदरूनी तौर पर चीजें बदली नहीं हैं।

राजस्थान कांग्रेस के नए प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट को लेकर रविवार को अलवर में मीडिया से बातचीत में कहा कि दोनों नेताओं का डीएनए कांग्रेसी है और दोनों में से कोई भी पार्टी नहीं छोड़ने वाला है। दोनों में से कोई भी यह नहीं करेगा कि एक कांग्रेस पार्टी में है दूसरा नहीं है।