छात्रा से यौन उत्पीड़न के 16 वर्ष पुराने मामले में शिक्षक को दिए गए अनिवार्य सेवानिवृत्ति के दंड को दिल्ली हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि स्कूल जाने वाले बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामलों में पीड़ितों की मानसिक स्थिति पर प्राथमिकता से ध्यान दिए जाने की जरूरत है, क्योंकि नाबालिग की मानसिक स्थिति बहुत कोमल होती है।
सोचने-समझने की क्षमता हो सकती है प्रभावित
ऐसी घटनाओं के उन पर दीर्घकालिक खौफनाक प्रभाव हो सकते हैं। जिससे कई वर्षों तक उनकी सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। 2006 में आरके पुरम क्षेत्र के एक निजी स्कूल की नौवीं कक्षा की छात्रा ने अपने भौतिकी विज्ञान के शिक्षक पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
2012 में दायर हुई थी याचिका
दिल्ली स्कूल ट्रिब्यूनल के आदेश पर शिक्षक को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई थी। शिक्षक ने इस आदेश के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट की एकल पीठ के समक्ष राहत की मांग करते हुए 2012 में याचिका दायर की थी। एकल पीठ ने मई 2022 में दिल्ली स्कूल ट्रिब्यूनल के आदेश को बरकरार रखा था। इसके बाद शिक्षक ने राहत के लिए दो सदस्यीय पीठ के समक्ष याचिका दायर की थी।
उस पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि इस मामले के तथ्यों से पता चलता है कि छात्रा का यौन उत्पीड़न हुआ था। पीठ ने दिल्ली स्कूल ट्रिब्यूनल के आदेश को लेकर एकल पीठ के निर्णय को बरकरार रखा है।
शिक्षिका की मानसिक स्थिति की जांच रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी
उधर, रानी झांसी रोड पर माडल बस्ती स्थित दिल्ली नगर निगम के स्कूल की पहली मंजिल से छात्रा को फेंकने के मामले में आरोपित शिक्षिका की न्यायिक हिरासत तीस हजारी कोर्ट ने तीन जनवरी 2023 तक बढ़ा दी है। शिक्षिका की मनोस्थिति की जांच रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है।
16 दिसंबर को माडल बस्ती स्थित निगम के प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका गीता देशवाल ने पांचवीं कक्षा की छात्रा को पहली मंजिल से नीचे फेंक दिया था। मंगलवार को उसकी न्यायिक हिरासत की अवधि खत्म हो रही थी, इसलिए उसे मुख्य महानगर दंडाधिकारी सिद्धार्थ मलिक की कोर्ट में पेश किया।
कोर्ट ने शिक्षिका की न्यायिक हिरासत अवधि तीन जनवरी 2023 तक बढ़ा दी। कोर्ट के समक्ष शिक्षिका की मानसिक स्थिति की जांच रिपोर्ट, सील बंद लिफाफे में दाखिल की गई।