हरियाणा के हिसार जिले के सिंदोल गांव का सोमवीर सिक्किम हादसे में शहीद हो गया। सोमवीर की मौत पर पूरे गांव में रात को चूल्हा नहीं जला। गांव को उसके शहीद होने की सूचना शाम को मिली थी। हालांकि परिवार के सदस्यों को सोमवीर के शहीद होने की सूचना उसके यूनिट साथियों द्वारा सोशल मीडिया स्टेट्टस अपडेट करने से लगी।
आर्मी की ओर से भी जवानों को सूचना देने के लिए भेजा गया। सोमवीर 26 जून 2015 को सेना में भर्ती हुआ था। शहीद सोमवार पिछले सप्ताह ही ड्यूटी पर गया था। उसका 1 साल का बेटा और 3 साल की बेटी है।
भाई को भी प्रेरणा देकर आर्मी में करवाया भर्ती
सोमवीर का भाई सुरेंद्र भी 2018 में आर्मी में भर्ती हुआ। सुरेंद्र पुणे में तैनात है और आर्मी में हॉकी भी खेलता है। छोटे भाई को भी आर्मी में भर्ती करने की प्रेरणा सोमवीर ने ही दी। इतना ही नहीं उसे ब्लड रिलेशन कोटे से आर्मी में भर्ती करवाया।
सोमवीर का भाई सुरेंद्र भी 2018 में आर्मी में भर्ती हुआ। सुरेंद्र पुणे में तैनात है और आर्मी में हॉकी भी खेलता है। छोटे भाई को भी आर्मी में भर्ती करने की प्रेरणा सोमवीर ने ही दी। इतना ही नहीं उसे ब्लड रिलेशन कोटे से आर्मी में भर्ती करवाया।
पिता करते थे मजदूरी
सोमवीर के पिता रामकिशन ठुकिया गांव में मेहनत मजदूरी करते थे। आर्मी में भर्ती होने के बाद ही परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक हुई। शहीद की माता का नाम शारदा देवी है। शहीद की पत्नी निशा देवी पहले उसके साथ सिक्किम में ही थी, पिछली बार जब वह गांव में आए तो वह घर पर ही रुक गई। सोमवीर खो-खो में स्टेट लेवल पर मेडल जीत चुका है। उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा हासिल की थी।
सोमवीर के पिता रामकिशन ठुकिया गांव में मेहनत मजदूरी करते थे। आर्मी में भर्ती होने के बाद ही परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक हुई। शहीद की माता का नाम शारदा देवी है। शहीद की पत्नी निशा देवी पहले उसके साथ सिक्किम में ही थी, पिछली बार जब वह गांव में आए तो वह घर पर ही रुक गई। सोमवीर खो-खो में स्टेट लेवल पर मेडल जीत चुका है। उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा हासिल की थी।
55 दिन गांव में रहे तो युवाओं को करवाई प्रैक्टिस
गांव के सरपंच प्रतिनिधि सुरजीत ने बताया कि सोमवार पिछली बार 55 दिन की छुट्टी पर गांव में आया था। तब उन्होंने हर दिन गांव के युवाओं को आर्मी में भर्ती के लिए ट्रेनिंग दी। वह सुबह 5 बजे ही उनके साथ दौड़ लगाते और गांव के मैदान में ही प्रैक्टिस करवाते। 10 साल में गांव के करीब 30 युवा आर्मी में भर्ती हुए।
गांव के सरपंच प्रतिनिधि सुरजीत ने बताया कि सोमवार पिछली बार 55 दिन की छुट्टी पर गांव में आया था। तब उन्होंने हर दिन गांव के युवाओं को आर्मी में भर्ती के लिए ट्रेनिंग दी। वह सुबह 5 बजे ही उनके साथ दौड़ लगाते और गांव के मैदान में ही प्रैक्टिस करवाते। 10 साल में गांव के करीब 30 युवा आर्मी में भर्ती हुए।