हरियाणा के रोहतक में मंगलवार रात को दिल्ली से कुरुक्षेत्र जाने वाली ट्रेन को यात्रियों ने रोक दिया। यात्रियों की मांग थी कि ट्रेन को लोकल स्टेशनों पर भी रोका जाए। ट्रेन एक घंटे तक स्टेशन पर खड़ी रही। माहौल बिगड़ता देख रेलवे पुलिस को भी बुलाना पड़ा। पुलिस ने यात्रियों को समझाने का प्रयास किया ताकि ट्रैक खोल दे और ट्रेन चले।
यात्रियों ने कहा कि दिल्ली से कुरुक्षेत्र जाने वाली पैसेंजर ट्रेन को एक्सप्रेस कर दिया। जिसके कारण लोकल रूट पर वह नहीं रुकती। इसको दोबारा से पैसेंजर किया जाए। वहीं रद की गई ट्रेनों का संचालन भी किया जाए और यात्रियों की सुविधा को देखते हुए रेलवे द्वारा कदम उठाए जाने चाहिए।
5 गुना अधिक लगता है किराया
यात्रियों ने कहा कि ट्रेन उपलब्ध नहीं होने के कारण करीब पांच गुना अधिक किराया देना पड़ता है। जहां ट्रेन में यात्रा का पास एक तरफ का 9 रुपए किराया पड़ता है। वहीं अगर प्राइवेट वाहनों या बसों में सफर किया जाता है तो उन्हें 50 रुपए अदा करने पड़ते हैं। इसलिए लोकल स्टेशन के यात्रियों को अधिक परेशानी होती है।
ट्रेनों का सुचारु संचालन नहीं
पहले कोरोना के कारण ट्रेनों का सुचारु संचालन नहीं हो पाया। जब ट्रेनों की स्थिति पटरी पर लौटी तो अब ठंड के कारण कई ट्रेन रद की गई है। इसके कारण ट्रेनों में प्रतिदिन यात्रा करने वाले यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं समय पर ट्रेन नहीं मिलने से यात्री देरी से घर पहुंचते हैं।
पैसेंजर को किया एक्सप्रेस
यात्रियों ने बताया कि दिल्ली से चलकर कुरुक्षेत्र जाने वाली ट्रेन पहले पैसेंजर थी। लेकिन अब कोरोना के बाद इसे एक्सप्रेस कर दिया है। जिसके कारण यह ट्रेन लोकल स्टेशन पर नहीं रुकती। वहीं शाम को करीब 6 बजे रोहतक स्टेशन से चलने वाली ट्रेन को भी बंद कर दिया। जिसके कारण यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ती है।
समय पर नहीं पहुंच पाते घर
यात्री प्रवीण ने कहा कि समय पर ट्रेन नहीं मिलने के कारण वे घर भी नहीं पहुंच पाते। जिन लोगों की छुट्टी साढ़े 5 बजे हो जाती है, वे लोग रात साढ़े आठ बजे तक इंतजार करते हैं ताकि ट्रेन मिल जाए। सुबह एक ट्रेन 6 बजे आती है। जो व्यक्ति उस ट्रेन में आता है, वह वापस रात को 10 बजे पहुंचता है। ऐसे में यात्री करें तो क्या करें।
नहीं पहुंचा कोई अधिकारी
यात्री विवेक ने बताया कि दिल्ली से कुरुक्षेत्र जा रही एक्सप्रेस को करीब पौने-एक घंटे तक रोककर रखा। इस दौरान कोई भी रेलवे का अधिकारी तक नहीं आया। जो यात्रियों की बात को सुन सके और उनका समाधान कर पाए। अधिकारी भी यात्रियों व उनकी समस्या से दूरी बनाए बैठे हैं।