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निराशा के होने और उससे उबरने पर कवि ने क्या सुन्दर लाइनें लिखी हैं।
क्या आपके आस-पास ऐसे छात्र हैं जो कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी में बेहद निराश हताश हो चुके हैं? उनकी मदद के लिए प्रस्तुत है मेरा BT-LMR फार्मूला। पढ़ते चलें। आवश्यक इसलिए भी है कि हाल ही में अनेकों स्टूडेंट सुसाइड की विचलित करने वाली खबरें आई हैं।
कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी में निराशा क्या है
IIT या कैट या नीट या सिविल्स जैसे बड़े एग्जाम की तैयारी में अनेक पड़ाव आते हैं, जहां स्टूडेंट खुद को परखता है, जैसे क्लास में सवाल-जवाब, मॉक टेस्ट, मेमोरी एंड रिटेंशन, आदि। जब स्टूडेंट को मॉक टेस्ट्स में वो स्कोर नहीं मिलते जो वे खुद से उम्मीद करता है, तो दुखी और निराश महसूस करता है।
उसे ऐसा लगने लगता है कि वो पता नहीं कहां गलत जा रहा है, और पता नहीं आगे क्या करे। अगर इस टर्निंग पॉइंट पर वो खुद को संभाल न सके, तो गए काम से। इसलिए, सावधान। सही तरह से गाइड करने का यही टाइम है।
निराशा क्यों
मेरे अनुसार निराशा का सबसे प्रमुख कारण (1) इंस्टेंट रिजल्ट की एक्सपेक्टेशन, और (2) जीवन को लेकर एक लिमिटेड सोच, होते हैं। बेहद युवा छात्र (17 से 22 उम्र के) जो शायद पहली बार घर से बाहर निकले होंगे, इसमें स्वाभाविक रूप से फंस सकते हैं।
लेकिन क्या छोटे-छोटे कछुए, जब पहली बार जमीन से समुद्र में उतरते हैं, वो तेज गति से तैरने लगते हैं? नहीं, उन्हें काफी समय लगता है।
क्या कोई एक परीक्षा इस व्यापक जीवन का पर्याय हो सकती है? जब कोई व्यक्ति किसी एक बात को ही जीवन और मरण का प्रश्न बना ले तो उस कार्य के ना होने पर निराशा होना स्वाभाविक है, उसकी तुलना में एक ऐसा व्यक्ति जो अपने लिए सभी ऑप्शंस को खुला रख कर, जीवन पर सोच बनाता है, वो अधिक बैलेंस्ड माइंड लेकर चलता है।
स्टूडेंट्स के लिए निराशा से बचने का BT-LMR फार्मूला
1) व्यापक और बड़ी सोच बनाएं: ‘टनल विजन’ अर्थात जब हम यह सोचते हैं कि कोई एक एग्जाम हमारी खुशी के लिए बहुत अधिक आवश्यक है। फिल्मी भाषा में बोलूं तो देवदास इसलिए दुखी है कि वह पारो के ना मिलने पर अपनी खुशियां चंद्रमुखी में नहीं देख पा रहा। व्यक्ति यदि यह सोच बना ले कि यह जीवन किसी को परफेक्ट नहीं मिलता, किसी को जमीं तो किसी को आसमान नहीं मिलता, तो वह शायद कभी निराशा में फंसेगा ही नहीं। स्टूडेंट चलता रहेगा, बस। (Think Big: B)
2) अपने आप को समय दें, और प्रैक्टिस बढ़ाएं: बड़ी कॉम्पिटिटिव एग्जाम में बेहद प्रतिभावान स्टूडेंट भी कई बार तैयारी में लड़खड़ा जाते हैं। ये नेचुरल सी बात है। लेकिन उस वक्त, यदि घरवाले और टीचर्स उसे ये न समझें कि ‘बेटी, ये नेचुरल है, लगी रहो, सब ठीक होगा’ तो वो घबरा सकती है। स्टूडेंट को बस और प्रैक्टिस, थोड़ी और मुस्कान, और थोड़े से सपोर्ट की जरूरत है। (Give Time: T)
3) जीवन में हार कुछ नहीं होती, होती है केवल सीख: जीवन में हार नाम की कोई चीज नहीं होती, होती है तो सीख। ऐसे लोगों से दूर रहे जो इसमें यकीन न करें। अपने 30 वर्षों के प्रोफेशनल अनुभव से मैं आपको यकीन दिलाता हूँ कि जिन लोगों ने भी इस गोल्डन मंत्र को स्वीकारा है, और इस पर चले हैं, वो मुस्कराते हुए जीतते जाते हैं, हार में भी। आपके भीतर पॉजिटिव होर्मोनेस बनने लगते हैं। (Failure is Learning: L)
4) जीवन को मायने दें, उद्धेश्यपूर्ण कार्य करें: कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी के समय तो अन्य चीजों पर ध्यान देने का समय नहीं मिलता, लेकिन फिर भी यदि आपकी कोई हॉबी है, इंटरेस्ट है या समाज सेवा का चस्का और जज्बा है, तो बेहतर। जीवन को मायने मिलते हैं। आपकी चाल में एक नया जोश दिखता है। (Meaning to Life – M)
5) लगातार गोल सेट करके नीड के हिसाब से रिसेट करें: एग्जाम की तैयारी में सेल्फ एनालिसिस सबसे महत्वपूर्ण होता है। उसे नेग्लेक्ट न करें। अपने वीकली और मंथली गोल्स को लगातार सेट रिसेट करें जब तक वो परफेक्ट रिजल्ट न देने लगें। (Reset goals: R)
उम्मीद करता हूं, मेरे विचार आपको निराशा से निपटने में मदद करेंगे, और आप दोगुने जोश से आईआईटी या कैट या नीट या सिविल्स जैसे बड़े एग्जाम की तैयारी में जुट जाएंगे।